Punjab-Haryana High Court: गजब का आदेश: विधायक के आने पर इमरजेंसी ड्यूटी कर रहे चिकित्सक नहीं हुआ खड़ा: राज्य सरकार ने डाक्टर को थमा दी नोटिस…
Punjab-Haryana High Court: हरियाणा की सरकार ने गजब कर दिया। कोविड-19 के दौरान डाक्टर इमरजेंसी ड्यूटी पर थे। अस्पताल में भर्ती मरीजों की जांच कर रहे थे। इसी बीच विधायक वहां पहुंचे। डाक्टर अपना काम कर रहे थे। अपनी जगह से नहीं उठे। यह देखकर विधायक नाराज हो गया और सरकार से शिकायत कर दी। राज्य सरकार ने इसे विधायक का अपमान मानते हुए इमरजेंसी ड्यूटी कर रहे चिकित्सक को नोटिस थमा दी। राज्य सरकार ने चिकित्सक को मेडिकल पीजी की पढ़ाई के लिए एनओसी जारी नहीं किया।

Punjab-Haryana High Court: पंजाब। हरियाणा की सरकार ने गजब कर दिया। कोविड-19 के दौरान डाक्टर इमरजेंसी ड्यूटी पर थे। अस्पताल में भर्ती मरीजों की जांच कर रहे थे। इसी बीच विधायक वहां पहुंचे। डाक्टर अपना काम कर रहे थे। अपनी जगह से नहीं उठे। यह देखकर विधायक नाराज हो गया और सरकार से शिकायत कर दी। राज्य सरकार ने इसे विधायक का अपमान मानते हुए इमरजेंसी ड्यूटी कर रहे चिकित्सक को नोटिस थमा दी। राज्य सरकार ने चिकित्सक को मेडिकल पीजी की पढ़ाई के लिए एनओसी जारी नहीं किया। हाई कोर्ट ने इस बात को लेकर हैरानी जताई कि राष्ट्रव्यापी महामारी के दौरान अपनी ड्यूटी कर रहे चिकित्सक के साथ इस तरह का अमानवीय व्यवहार समझ से परे है। नाराज कोर्ट ने राज्य सरकार पर 50 हजार रुपये का जुर्माना ठोंका है। चिकित्सक को मेडिकल पीजी की पढ़ाई के लिए एनओसी जारी करने का निर्देश दिया है।
चिकित्सक की याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट ने शासकीय चिकित्सक के खिलाफ अनुशानात्मक कार्रवाई शुरू करने को लेकर हरियाणा सरकार की कड़ी आलोचना की है। हाई कोर्ट ने इस बात को लेकर हैरानी जताई है, इमरजेंसी ड्यूटी कर रहे चिकित्सक को मेडिकल पीजी की पढ़ाई के लिए सिर्फ इसलिए एनओसी नहीं दिया जा रहा है, उसने COVID-19 महामारी के दौरान विधायक के अस्पताल आने पर अपनी कुर्सी ने नहीं उठा। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के इस कार्रवाई को असंवेदनशील और मनमाना करार देते हुए याचिकाकर्ता चिकित्सक के पक्ष में तत्काल एनओसी जारी करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि राज्य सरकार को यह व्यवहार फ्रंटलाइन मेडिकल प्रोफेशनल्स के खिलाफ है। सरकार का यहव व्यवहार हतोत्साहित करने वाला है।
चिकित्सक की याचिका पर जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्रा व जस्टिस रोहित कपूर की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। कोर्ट ने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान इमरजेंसी ड्यूटी करने वाले चिकित्सक को राज्य सरकार ने सिर्फ इसलिए अनुशासनहीनता के आरोप में नोटिस जारी किया क्योंकि एमएलए के आने पर वह उठ नहीं पाए। याचिकाकर्ता चिकित्सक ने अपनी याचिका में खुलासा किया है कि इमरजेंसी ड्यूटी के दौरान आए विधायक को वे नहीं पहचान पाए। उसे अपमानित करने जैसा कोई भी इरादा उनका नहीं था। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि इस तरह के अपराध के लिए याचिकाकर्ता चिकित्सक के खिलाफ कार्रवाई करना राज्य सरकार की असंवेदनशीलता को दर्शाता है। डिवीजन बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता सरकारी अस्पताल में काम करने वाला कैजुअल्टी मेडिकल ऑफिसर था। उसने पोस्ट-ग्रेजुएट मेडिकल प्रोग्राम में एडमिशन के लिए काफी मार्क्स हासिल किए और उसे इन-सर्विस कैंडिडेट के तौर पर अप्लाई करने के लिए NOC की ज़रूरत थी। सर्टिफिकेट इस आधार पर रोक लिया गया कि उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई लंबित थी।
राज्य सरकार ने हरियाणा सिविल सर्विसेज़ (पनिशमेंट एंड अपील) रूल्स, 2016 के रूल 8 के तहत शोकॉज़ नोटिस SCN जारी किया, जिसमें मामूली पेनल्टी का प्रस्ताव था। याचिकाकर्ता ने जून 2024 में जवाब दिया, जिसमें बताया कि वह विधायक को नहीं पहचानता था और उसका खड़ा न होना अनजाने में हुआ। चिकित्सक के जवाब के बाद राज्य सरकार की ओर से आदेश जारी नहीं किया गया है। शोकाज नोटिस पर कार्रवाई लंबित है। इसी को आधार बनाते हुए राज्य सरकार ने एनओसी देने से मना कर दिया।
डिवीजन बेंच ने अपने फैसले में कहा कि इमरजेंसी ड्यूटी के दौरान खासकर COVID के दौरान एक डाक्टर को अनुशासन में रखना और वह भी विधायक के सामने खड़ा ना होने के आरोप में नोटिस जारी करना हैरान और परेशान करना वाली बात है। डिवीजन बेंच ने कहा, मेडिकल की पढ़ाई करना एक मुश्किल काम है। MBBS कोर्स में एडमिशन के लिए स्टूडेंट्स को बहुत अच्छा परफॉर्म करना पड़ता है। यह सब जानते हैं कि मेडिकल कोर्स के लिए लंबे समय तक गहरी लगन और कमिटमेंट की ज़रूरत होती है। MBBSकी पढ़ाई पूरी करने और शासकीय सेवा में आने के बाद एक चिकित्सक से उम्मीद की जाती है कि वह आम लोगों को चिकित्सा सुविधाएं देगा। जन प्रतिनिधियों और दूसरे ज़िम्मेदार लोगों को ऐसे डेडिकेटेड प्रोफेशनल्स का सम्मान और बेसिक तहज़ीब दिखानी चाहिए।
डिवीजन बेंच ने अपने फैसले में कहा कि अब समय आ गया कि ऐसी अनचाही घटनाओं पर रोक लगाई जाए और ईमानदार मेडिकल प्रोफेशनल्स को सही पहचान दी जाए। मामले की सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने याचिकाकर्ता डॉ मनोज के पक्ष में एनओसी जारी करने का निर्देश राज्य सरकार को दिया है।
