Plane Crash: प्लेन क्रैश क्यों होता है? क्या संकेत मिलते हैं पायलट को हादसे से पहले?
अहमदाबाद से लंदन के लिए उड़ान भरने वाले एयर इंडिया के विमान AI-171 क्रैश हो गया। टेकऑफ के ठीक बाद पायलट ने ‘MAYDAY’ कॉल किया था, जो बताता है कि हादसे से ठीक पहले उन्हें गंभीर खतरे का संकेत मिल गया था। विमान में कुल 242 लोग सवार थे, जिसमें 53 यात्री ब्रिटेन के नागरिक थे, 169 भारतीय, 7 यात्री पुर्तगाल के भी शामिल थे।

अहमदाबाद एयरपोर्ट में आज बड़ा हादसा हुआ। अहमदाबाद से लंदन जा रहा एयर इंडिया का विमान AI-171 टेकऑफ करते ही क्रैश हो गया। टेकऑफ के ठीक बाद पायलट ने ‘MAYDAY’ कॉल किया था, जो बताता है कि हादसे से ठीक पहले उन्हें गंभीर खतरे का संकेत मिल गया था। विमान में कुल 242 लोग सवार थे, जिसमें 53 यात्री ब्रिटेन के नागरिक थे, 169 भारतीय, 7 यात्री पुर्तगाल के भी शामिल थे।
क्रैश से पहले पायलट को क्या संकेत मिलते हैं?
हवाई यात्रा जितनी सुरक्षित मानी जाती है, उतनी ही तकनीकी रूप से जटिल भी होती है। जब कोई विमान खतरे में होता है तो पायलट को विशेष प्रकार के संकेत मिलते है। पायलट को इंजन की गति में गिरावट, हाइड्रॉलिक सिस्टम फेल्योर, कॉकपिट में चेतावनी अलार्म, स्वचालित सिस्टम से चेतावनी समेत अनेक जानकारियां मिलती है।
अगर खतरा बहुत गंभीर हो, तो पायलट "MAYDAY" कॉल देता है। यह सबसे उच्च स्तरीय संकट संकेत होता है, जो रेडियो पर तीन बार दोहराया जाता है- “Mayday… Mayday… Mayday.” इसका अर्थ है — मैं गंभीर संकट में हूँ, तुरंत मदद की जरूरत है। AI-171 के पायलट ने भी टेकऑफ के कुछ सेकंड के अंदर यह कॉल किया, जो बताता है कि उन्हें किसी बहुत गंभीर यांत्रिक समस्या का आभास हो चुका था लेकिन इसके बाद संचार पूरी तरह टूट गया।
प्लेन क्रैश क्यों होता है? –
प्लेन क्रैश के पीछे कई वजहें हो सकती हैं। ऐतिहासिक रूप से जिन कारणों से क्रैश होते हैं, वे हैं- जैसे तकनीकी खराबी, इंजन का फेल होना, या फिर हाइड्रॉलिक फेल्योर... मौसम संबंधी कारक की वजह से भी प्लेन क्रैश की संभावना बढ़ जाती है। पायलट की चूक बर्ड हिट या रनवे पर बाधा, ईंधन की कमी या कंटैमिनेशन, संचार और नेविगेशन सिस्टम की विफलता, AI-171 हादसे में शुरुआती जांच में हाइड्रॉलिक सिस्टम और इलेक्ट्रिकल यूनिट फेल होने की आशंका जताई जा रही है। विमान ने रनवे 23 से उड़ान भरी थी और महज 625 फीट की ऊंचाई पर रडार से गायब हो गया।
भारत में अब तक के प्रमुख विमान हादसे हुए है-
1. 1978, पुणे: इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट रनवे से फिसली – 213 की मौत
2. 1996, चर्खी-दादरी: मिड-एयर कोलिजन – 349 लोग मारे गए
3. 2010, मंगलुरु: एअर इंडिया एक्सप्रेस – 158 मौतें
4. 2020, केरल: कोझिकोड में एअर इंडिया एक्सप्रेस विमान रनवे से फिसला – 21 मौतें
5. 2025, अहमदाबाद: Air India AI-171, टेकऑफ के 60 सेकंड बाद क्रैश – 242 सवार
प्लेन क्रैश किसी एक कारण से नहीं, बल्कि टेक्निकल, ह्यूमन और इंवायरमेंटल फैक्टर के मिश्रण से होता है। अहमदाबाद AI-171 प्लेन हादसा कुछ इस प्रकार हुआ कि MAYDAY सिग्नल के बावजूद कोई बचाव नहीं हो सका, यह दिखाता है कि क्रैश से पहले चंद सेकंड ही होते हैं, जो किसी भी फैसले को ‘जीवन या मृत्यु’ में बदल देते हैं।
प्लेन क्रैश टालने के उपाय-
1. तकनीकी जांच और मेंटेनेंस
2. हर उड़ान से पहले और नियमित अंतराल पर एयरक्राफ्ट का गहन निरीक्षण किया जाता है:
3. इंजन टेस्ट
4. हाइड्रॉलिक, इलेक्ट्रिक सिस्टम जांच
5. ईंधन की गुणवत्ता
6. ऑटोमैटिक सिस्टम अपडेट
दुनिया की बड़ी एयरलाइनों में एक क्रैश के बाद हजारों विमानों का तुरंत इंस्पेक्शन होता है ताकि ऐसा दोबारा न हो। पायलट को हर साल कई बार "emergency landing", "engine failure", "stall" जैसे खतरनाक हालात की ट्रेनिंग दी जाती है। ये ट्रेनिंग 100% वर्चुअल और रियलिस्टिक होती है, ताकि जब घटना हो तो वे बिना घबराए सही फैसले ले सकें।
एटीसी सिस्टम मॉडर्न बनाना-
रनवे पर ट्रैफिक, मौसम, पक्षियों की स्थिति सबकुछ रडार से मॉनिटर किया जाता है, खराब मौसम में रूट बदल दिया जाता है। हर क्रैश के बाद ब्लैक बॉक्स से पता चलता है कि गलती कहां हुई — तकनीकी या इंसानी। इससे आगे की उड़ानों में सुधार किया जाता है। प्लेन क्रैश को ठीक या 100% रोका नहीं जा सकता, लेकिन आधुनिक तकनीक, ट्रेन्ड पायलट्स, और सख्त एविएशन पॉलिसी के चलते इनकी संभावना बहुत कम हो चुकी है। इसलिए हर क्रैश के बाद पूरी दुनिया उस घटना से सीखती है ताकि अगली उड़ान और भी सुरक्षित हो सके।
