Pahalgam Terror Update: पहलगाम हमले का एक महीना! आतंकी अभी भी पहुँच से बाहर, जानिए कहाँ तक पहुंची जांच?
Pahalgam Terror Update: जम्मू-कश्मीर की खूबसूरत वादियों में बसे पहलगाम का नाम जब भी लिया जाता है, तो आंखों के सामने एक शांत और सैलानियों से भरा इलाका उभरता है। लेकिन 22 अप्रैल 2025 को यह तस्वीर अचानक खून से लाल हो गई।

Pahalgam Terror Update: जम्मू-कश्मीर की खूबसूरत वादियों में बसे पहलगाम का नाम जब भी लिया जाता है, तो आंखों के सामने एक शांत और सैलानियों से भरा इलाका उभरता है। लेकिन 22 अप्रैल 2025 को यह तस्वीर अचानक खून से लाल हो गई। बायसरन घाटी में आतंकियों ने पर्यटकों पर अंधाधुंध फायरिंग की, जिसमें 26 मासूम लोगों की जान चली गई।
आज इस भयानक आतंकी हमले को एक महीना बीत चुका है, लेकिन हैरानी की बात यह है कि अब तक ना कोई आतंकी पकड़ा गया और ना ही जांच एजेंसियों को कोई ठोस सुराग हाथ लगा है। इस बीच, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने जांच का जिम्मा संभालते हुए तमाम कोशिशें कीं, लेकिन एक महीने की मेहनत के बाद भी मामले में कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है।
3,000 लोगों से पूछताछ, 113 गिरफ्तारियां- पर हाथ खाली क्यों?
पहले इस हमले की जांच स्थानीय पुलिस कर रही थी, लेकिन जल्द ही इसे NIA को सौंप दिया गया। इसके बाद NIA ने 113 लोगों को गिरफ्तार किया, जिनमें कई ओवरग्राउंड वर्कर्स (OGWs) शामिल हैं। 3,000 से ज्यादा लोगों से पूछताछ की गई, पर्यटक, दुकानदार, घोड़े वाले, स्थानीय गाइड, और मृतकों के परिवारजन। बावजूद इसके, आतंकियों तक पहुंचने का कोई पक्का रास्ता अब तक नहीं मिला।
3D मैपिंग और डिजिटल सबूतों की जांच
NIA ने जांच में आधुनिक तकनीक का भरपूर उपयोग किया है। घटनास्थल की 3D मैपिंग कराई गई, जिससे यह पता लगाया जा सके कि आतंकी कहां से आए और किस दिशा में भागे। साथ ही, पर्यटकों और चश्मदीदों द्वारा शूट किए गए वीडियो और तस्वीरों को भी फोरेंसिक जांच के लिए भेजा गया। लेकिन ये तकनीकी प्रयास भी जांच को बहुत आगे नहीं बढ़ा सके।
20-20 लाख का इनाम और जारी हुए स्केच
हमले के दो दिन बाद यानी 24 अप्रैल को अनंतनाग पुलिस ने तीन आतंकियों के स्केच जारी किए: आदिल हुसैन ठोकर, हाशिम मूसा उर्फ सुलेमान, और अली उर्फ तल्हा भाई। इनके अलावा, एक तस्वीर में जुनैद अहमद भट्ट नाम का चौथा आतंकी भी राइफल लिए नजर आया। हर आतंकी पर 20 लाख रुपये का इनाम घोषित किया गया। इसके बावजूद, किसी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी।
हिरासत में लिए गए ज्यादातर लोग रिहा
जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि इतने लोगों को हिरासत में लेने का दो मकसद था सुराग ढूंढना और सख्त संदेश देना। लेकिन सुराग तो नाकाफी रहे, और हिरासत में लिए गए अधिकांश लोग रिहा कर दिए गए। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि जो सुराग मिले, उनमें से अधिकतर झूठे निकले।
जंगलों और गुफाओं में छिपे आतंकी, आखिर कब पकड़े जाएंगे?
पूर्व DGP एसपी वैद्य के अनुसार, आतंकी किसी घर में छिपने से परहेज कर रहे हैं क्योंकि वहां से सूचना लीक होने का खतरा ज्यादा होता है। ऐसे में वे गुफाओं, जंगलों और पहाड़ों में शरण ले रहे हैं और लगातार अपनी लोकेशन बदलते जा रहे हैं। संभव है कि उन्हें स्थानीय सहयोगियों से भोजन और अन्य जरूरतों की आपूर्ति मिल रही हो।