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Organ Donation Status in India : सांसों की वेटिंग लिस्ट : 82 हजार भारतीय अंगदान के इंतजार में, 5 साल में 3000 से ज्यादा ने तोड़ा दम; दिल्ली में सबसे ज्यादा मौतें, पुरुषों से ज्यादा महिलाएं दिखा रहीं दिलेरी

भारत में आधुनिक चिकित्सा ने जहाँ एक ओर असाध्य बीमारियों का इलाज संभव कर दिया है, वहीं दूसरी ओर एक बहुत बड़ी त्रासदी अंगों की कमी के रूप में सामने आ रही है।

Organ Donation Status in India : सांसों की वेटिंग लिस्ट : 82 हजार भारतीय अंगदान के इंतजार में, 5 साल में 3000 से ज्यादा ने तोड़ा दम; दिल्ली में सबसे ज्यादा मौतें, पुरुषों से ज्यादा महिलाएं दिखा रहीं दिलेरी
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Organ Donation Status in India : सांसों की वेटिंग लिस्ट : 82 हजार भारतीय अंगदान के इंतजार में, 5 साल में 3000 से ज्यादा ने तोड़ा दम; दिल्ली में सबसे ज्यादा मौतें, पुरुषों से ज्यादा महिलाएं दिखा रहीं दिलेरी

By UMA

Organ Donation Status in India : नई दिल्ली : भारत में आधुनिक चिकित्सा ने जहाँ एक ओर असाध्य बीमारियों का इलाज संभव कर दिया है, वहीं दूसरी ओर एक बहुत बड़ी त्रासदी अंगों की कमी के रूप में सामने आ रही है। सरकार द्वारा हाल ही में जारी किए गए आंकड़े एक कड़वी हकीकत बयां कर रहे हैं। देश में इस वक्त करीब 82,285 मरीज ऐसे हैं, जिनकी जिंदगी सिर्फ एक डोनर के इंतजार पर टिकी है। इनमें से 60 हजार से ज्यादा लोग केवल किडनी ट्रांसप्लांट के लिए कतार में खड़े हैं। विडंबना यह है कि जागरूकता की कमी और डोनर्स की कम संख्या के कारण यह इंतजार कई मरीजों के लिए उनकी आखिरी सांस तक खत्म नहीं होता।

Organ Donation Status in India : इंतजार में टूटती उम्मीदें: दिल्ली में सबसे बुरा हाल पिछले पांच वर्षों के आंकड़े बताते हैं कि अंगदान की प्रतीक्षा सूची (Waiting List) में रहते हुए करीब 3,000 लोगों ने दुनिया को अलविदा कह दिया। यह संख्या केवल एक आंकड़ा नहीं, बल्कि उन परिवारों का दर्द है जिन्होंने अपनों को सिर्फ इसलिए खो दिया क्योंकि समय पर कोई अंग उपलब्ध नहीं हो सका। इस मामले में देश की राजधानी दिल्ली की स्थिति सबसे ज्यादा हृदयविदारक है, जहाँ सबसे अधिक 1,425 लोगों की मौत ट्रांसप्लांट की राह देखते-देखते हो गई। इसके बाद महाराष्ट्र में 297 और तमिलनाडु में 233 मरीजों की मौत दर्ज की गई। उत्तर प्रदेश में भी स्थिति चिंताजनक है, जहाँ 150 मरीजों ने इंतजार में दम तोड़ दिया।

अंगों की भारी किल्लत: किडनी और लिवर के मरीज सबसे ज्यादा

देश में सबसे बड़ी चुनौती 'किडनी' को लेकर है। नेशनल ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन (NOTTO) की रिपोर्ट के अनुसार, कुल वेटिंग लिस्ट में से 60,590 मरीज केवल किडनी ट्रांसप्लांट के लिए हैं। किडनी के बाद सबसे ज्यादा जरूरत 'लिवर' की है, जिसके लिए 18 हजार से अधिक मरीज संघर्ष कर रहे हैं। इसके अलावा, 1,695 मरीज दिल (Heart), 970 मरीज फेफड़े (Lungs) और 306 मरीज पैंक्रियाज के ट्रांसप्लांट की उम्मीद लगाए बैठे हैं। राज्यों की बात करें तो महाराष्ट्र में किडनी ट्रांसप्लांट के सबसे ज्यादा 13,045 मरीज हैं, जबकि गुजरात, चंडीगढ़ और तमिलनाडु में भी यह संख्या हजारों में है।

अंगदान में महिलाओं ने पेश की मिसाल, पुरुष पीछे

इस रिपोर्ट का एक सकारात्मक और हैरान करने वाला पहलू महिलाओं की भागीदारी है। शोध और ड्राइविंग लाइसेंस आवेदनों के विश्लेषण से यह स्पष्ट हुआ है कि अंगदान की इच्छा जताने में भारत की महिलाएं पुरुषों से कहीं आगे हैं। दिल्ली में जहाँ 27% महिलाओं ने मृत्यु के बाद अंगदान की सहमति दी, वहीं पुरुषों में यह आंकड़ा महज 16% रहा। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और ओडिशा जैसे राज्यों में भी यही ट्रेंड देखने को मिला है। यह समाज की उस सोच को दर्शाता है जहाँ महिलाएं परोपकार और जीवन बचाने के कार्यों में अधिक संवेदनशीलता दिखा रही हैं।

जिंदा डोनर्स बनाम मृत डोनर्स

भारत उन देशों में शामिल है जहाँ 'जीवित अंगदान' (Living Donation) यानी परिवार के सदस्यों द्वारा अंग देना बहुत अधिक होता है, लेकिन 'मृत अंगदान' (Deceased Donation) की दर अभी भी बहुत कम है। पिछले 5 सालों में कुल 65,488 डोनर्स रजिस्टर्ड हुए, जिनमें से 61,417 डोनर्स जीवित थे और केवल 4,071 डोनर्स ही ऐसे थे जिनकी मृत्यु के बाद अंग लिए गए। हालांकि, अच्छी खबर यह है कि जागरूकता बढ़ रही है। साल 2020 में डोनर्स की संख्या जो 6,812 थी, वह 2024 तक बढ़कर 16,636 पहुँच गई है। यह बढ़ोत्तरी उम्मीद जगाती है कि भविष्य में वेटिंग लिस्ट का बोझ कम होगा।

ट्रांसप्लांट के क्षेत्र में बढ़ती सफलता

चुनौतियों के बावजूद, भारत ने पिछले 5 सालों में ट्रांसप्लांट की संख्या में भी इजाफा किया है। 2020 से 2024 के बीच देशभर में कुल 72,993 ऑर्गन ट्रांसप्लांट किए गए। इनमें सबसे अधिक 53,198 किडनी ट्रांसप्लांट और 17,939 लिवर ट्रांसप्लांट हुए। दिल्ली इस मामले में हब बनकर उभरा है, जहाँ सबसे ज्यादा ट्रांसप्लांट प्रक्रियाएं पूरी की गईं। वहीं, कॉर्नियल ट्रांसप्लांट (आंखों की पुतली) के मामले में देश ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है, जहाँ 1.37 लाख से ज्यादा लोगों की आंखों की रोशनी लौटाई गई। इसमें तमिलनाडु और तेलंगाना जैसे दक्षिण भारतीय राज्यों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है।

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