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Operation Sindoor:ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद भारत की बड़ी रणनीति, ओवैसी और थरूर को तोहफा, मिली ये बड़ी जिम्मेदारी

Operation Sindoor: ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद मोदी सरकार ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को बेनकाब करने की तैयारी कर ली है, मामले को लेकर सभी भारतीय एकजुट होते नजर आ रहे हैं, इसी के तहतस रकार ने एक रणनीति बनाई है, इस रणनीति के तहत कांग्रेस नेता शशि थरूर को एक बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है.

ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद भारत की बड़ी रणनीति, ओवैसी और थरूर को तोहफा, मिली ये बड़ी जिम्मेदारी
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By Anjali Vaishnav

Operation Sindoor: ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद मोदी सरकार ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को बेनकाब करने की तैयारी कर ली है, मामले को लेकर सभी भारतीय एकजुट होते नजर आ रहे हैं, इसी के तहतस रकार ने एक रणनीति बनाई है, इस रणनीति के तहत कांग्रेस नेता शशि थरूर को एक बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है.

दरअसल संसदीय कार्य मंत्रालय के घोषित भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल में शशि थरूर अमेरिका जाने वाले दल का नेतृत्व करेंगे, जहां वे ऑपरेशन सिंदूर की सफलता, कश्मीर और पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के मुद्दे पर भारत का पक्ष प्रभावशाली ढंग से रखेंगे. इस पहल के जरिए मोदी सरकार ने यह स्पष्ट संकेत दिया है कि आतंकवाद जैसे मुद्दे पर देश एकजुट है और राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर भारत की छवि और सुरक्षा हितों की रक्षा की जाएगी.

ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद भारत सरकार अब पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर घेरने की कूटनीतिक तैयारी कर रही है. भारत की योजना अब सिर्फ सीमा पार आतंकवाद को खत्म करने तक सीमित नहीं है, बल्कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को वैश्विक स्तर पर बेनकाब करना अब मोदी सरकार की रणनीति का अहम हिस्सा बन चुका है. इसी सिलसिले में केंद्र सरकार 40 सांसदों के एक विशेष ऑल पार्टी डेलीगेशन को अमेरिका, ब्रिटेन, यूएई, जापान, दक्षिण अफ्रीका सहित विभिन्न देशों में भेजने जा रही है.

23 मई से शुरू होगा सांसदों का अंतरराष्ट्रीय दौरा

सरकारी सूत्रों के अनुसार, 23 मई से शुरू होकर अगले 10 दिनों तक यह डेलीगेशन दुनिया के प्रमुख देशों का दौरा करेगा. इस दौरान प्रतिनिधिमंडल आतंकवाद, कश्मीर और पाकिस्तान की भूमिका को लेकर वैश्विक समुदाय को भारत का पक्ष समझाएगा. यह कूटनीतिक स्ट्राइक भारत की बहुपक्षीय रणनीति का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य आतंकवाद के मुद्दे को सिर्फ सुरक्षा तक सीमित न रखते हुए, उसे वैश्विक राजनीतिक विमर्श का विषय बनाना है.

7 समूहों में बांटा गया है सांसदों का डेलीगेशन

इस 40 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को सात समूहों में बांटा गया है. हर समूह में अलग-अलग राजनीतिक दलों के सांसद शामिल होंगे, जिससे भारत की एकजुटता और राष्ट्रीय मुद्दों पर सर्वसम्मति का संदेश वैश्विक मंचों पर दिया जा सके. हर समूह को अलग-अलग देशों में भेजा जाएगा ताकि व्यापक और प्रभावशाली संवाद सुनिश्चित हो सके.

इन देशों में जाएगा प्रतिनिधिमंडल

डेलीगेशन अमेरिका, ब्रिटेन, संयुक्त अरब अमीरात, जापान, दक्षिण अफ्रीका, फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों का दौरा करेगा. यह दौरा राजनीतिक नेताओं से मुलाकात के लिए होगा, साथ ही थिंक टैंक, विश्वविद्यालयों, मीडिया संस्थानों और प्रवासी भारतीय समुदाय के साथ संवाद का भी हिस्सा होगा.

डेलीगेशन का नेतृत्व कौन करेगा?

डेलीगेशन का नेतृत्व विभिन्न राजनीतिक दलों के वरिष्ठ सांसद करेंगे, जिससे संदेश दिया जाएगा कि आतंकवाद जैसे मुद्दे पर भारत की सरकार और विपक्ष एक साथ हैं. डेलीगेशन का नेतृत्व करने वाले प्रमुख नेता होंगे, शशि थरूर (कांग्रेस), रविशंकर प्रसाद (भाजपा), संजय कुमार झा (जेडीयू), बैजयंत पांडा (भाजपा), कनीमोझी करुणानिधि (डीएमके), सुप्रिया सुले (एनसीपी), एकनाथ शिंदे (शिवसेना) इसके अलावा प्रतिनिधिमंडल में, मनीष तिवारी, प्रियंका चतुर्वेदी, सलमान खुर्शीद, सस्मित पात्रा, अपराजिता सारंगी जैसे जानेमाने सांसद शामिल हो सकते हैं.

कार्यक्रम के समन्वयक किरण रिजिजू

पूरे कार्यक्रम की समन्वयक भूमिका केंद्रीय संसदीय कार्यमंत्री किरण रिजिजू निभा रहे हैं. वे इस अंतरराष्ट्रीय यात्रा को समयबद्ध, संगठित और प्रभावी बनाने के लिए विभिन्न देशों के भारतीय दूतावासों और विदेश मंत्रालय के अधिकारियों से समन्वय कर रहे हैं.

अनुराग ठाकुर-ओवैसी के नाम भी हो सकते हैं शामिल

सूत्रों के मुताबिक इसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, ओडिशा से भाजपा सांसद अपराजिता सारंगी, TMC के सुदीप बन्योपाध्याय, बीजद के सस्मित पात्रा वहीँ AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी को भी शामिल करने की संभावना है.

ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद अगला कदम

हाल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने सीमा पार आतंकियों के 9 ठिकानों को निशाना बनाकर बड़ी सफलता हासिल की थी, जिसमें 100 से अधिक आतंकी मारे गए. इसके जवाब में पाकिस्तान ने जब मिसाइल और ड्रोन से जवाबी हमला किया, तो भारतीय सुरक्षा बलों ने उन्हें हवा में ही नष्ट कर दिया. इसके बाद भारत की निर्णायक कार्रवाई से घबराकर पाकिस्तान ने सीजफायर का प्रस्ताव रखा, जिस पर फिलहाल सहमति बन चुकी है.

भारत की कूटनीतिक स्ट्राइक

विदेशों में सांसदों के इस दौरे को कूटनीतिक स्ट्राइक के तौर पर देखा जा रहा है. भारत अब सीमा पर जवाब नहीं दे रहा, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी पाकिस्तान की भूमिका को बेनकाब करने की मुहिम छेड़ चुका है. यह पहल भारत की कूटनीतिक परिपक्वता और आक्रामक रुख दोनों को दर्शाती है.

अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाने की कोशिश

इस डेलीगेशन का मकसद पाकिस्तान की भूमिका को उजागर करना है, साथ ही अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भारत के साथ खड़े होने के लिए प्रेरित करना भी है. भारत उम्मीद कर रहा है कि इस पहल से संयुक्त राष्ट्र जैसे मंचों पर उसका पक्ष मजबूत होगा और आतंकवाद के मुद्दे पर वैश्विक सहमति भी बनाई जा सकेगी.

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