Nirbhaya Case: निर्भया कांड के 11 साल बाद क्या हैं हालात, कितना सुरक्षित अब महिलाओं के लिए देश?
Nirbhaya Case: 11 साल पहले दिल्ली में हुए निर्भया कांड ने देश को झकझोर कर रख दिया था। इससे गुस्साए देशवासी सड़कों पर निकल आए और कानूनों में बदलाव की मांग की।
Nirbhaya Case: 11 साल पहले दिल्ली में हुए निर्भया कांड ने देश को झकझोर कर रख दिया था। इससे गुस्साए देशवासी सड़कों पर निकल आए और कानूनों में बदलाव की मांग की। इस घटना के बाद देश में नीतियों और कानून में बदलाव हुए ताकि महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके, लेकिन आज इन घटनाओं पर नजर डालें तो पता चलता है कि महिलाओं के खिलाफ अपराध में कोई कमी नहीं आई है।
2012 में जिस साल निर्भया कांड हुआ, उस वर्ष दिल्ली में रेप के 706 मामले दर्ज किए गए थे। तमाम बदलावों और नए कानूनों के बाद भी हालात नहीं बदले और अगले 5 सालों तक हालात बदतर होते गए। 2012 से 2017 के बीच रेप के मामलों में बढ़ोतरी हुई। 2016 में इन मामलों की संख्या 2,155 पहुंच गई थी। इसके बाद इनमें गिरावट आना शुरू हुई, लेकिन ये हर साल 1,200 से ऊपर रहे।
दिल्ली में 2012 में रेप के 706, 2013 में 1,636, 2014 में 2,096, 2015 में 2,199, 2016 में 2,155, 2017 में 1,229, 2018 में 1,215, 2019 में 1,253, 2017 में 997, 2021 में 1,250 और 2022 में 1,212 मामले दर्ज हुए। राष्ट्रीय स्तर पर बात करें तो 2012 में देश में 24,923 मामले दर्ज हुए और उसके बाद हर साल रेप के मामलों की संख्या 30,000 से अधिक ही रही। 2016 में तो लगभग 39,000 मामले सामने आए।
देश में महिलाओं के खिलाफ अपराध के लिए कठोर कानून बनाए गए हैं, लेकिन इन्हें लागू करने में लापरवाही और लचर न्याय व्यवस्था दूसरी तस्वीर ही पेश करती है। न्यूज18 के अनुसार, 2017 और 2020 को छोड़ दें तो दोषसिद्धी दर (कन्विक्शन रेट) 30 से कम रही है यानी 100 आरोपियों में से 30 से भी कम का दोष सिद्ध हुआ। इससे न्यायिक लड़ाई तो लंबी खिंचती ही है, पीड़िताओं को भी मुश्किल झेलनी पड़ती है।
2009 में भारत में रेप के मामलों में दोषसिद्धी दर 26.9 प्रतिशत थी और अगले कुछ सालों तक यह 27 प्रतिशत से नीचे ही रही। 2013 के बाद इसमें मामूली उछाल आया और 2020 में यह 40 प्रतिशत तक पहुंची। आंकड़ों की बात करें तो 2016 में देश में रेप के 1.52 मामलों का ट्रायल चल रहा था। इनमें से केवल 4,739 में दोष सिद्ध हुआ, जबकि 13,813 में आरोपियों को बरी कर दिया गया।
दिल्ली में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की स्थिति पर बोलते हुए दिल्ली महिला आयोग की प्रमुख स्वाति मालीवाल ने कहा कि पिछले एक दशक में कुछ नहीं बदला है। निर्भया कांड की 11वीं बरसी पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि घटना के समय लोग सड़कों पर उतर आए और बदलाव की मांग की, लेकिन इतने सालों बाद भी कुछ नहीं बदला है। महिलाओं के खिलाफ अपराधों में रोज वृद्धि हो रही है।