New Criminal Laws: FIR दर्ज होने के 3 साल के भीतर ही लोगों को मिलेगा न्याय! 3 नए कानूनों को लेकर क्या बोले अमित शाह
New Criminal Laws: 1 जुलाई से नए आपराधिक कानून पूरे देश में लागू हो गए हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जानकारी देते हुए बताया कि भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) 2023 अब से प्रभावी हो गए हैं।
New Criminal Laws: 1 जुलाई से नए आपराधिक कानून पूरे देश में लागू हो गए हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जानकारी देते हुए बताया कि भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) 2023 अब से प्रभावी हो गए हैं। इन नए कानूनों ने पुराने ब्रिटिश कालीन कानूनों क्रमशः भारतीय दंड संहिता (IPC) 1860, दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) 1973 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (IEA) 1872 को प्रतिस्थापित कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट के स्तर तक तीन साल में मिलेगा न्याय
अमित शाह ने कहा कि अब सभी आपराधिक मामलों में सुप्रीम कोर्ट के स्तर तक न्याय एफआईआर दर्ज होने के तीन साल के भीतर मिल सकेगा। यह नई व्यवस्था अपराधों में कमी लाने और दोषसिद्धि दर को 90 प्रतिशत तक पहुंचाने में सहायक होगी।
त्वरित सुनवाई और न्याय की प्राथमिकता
गृह मंत्री ने बताया कि नए कानूनों के तहत दंड की जगह न्याय मिलेगा और देरी की जगह त्वरित सुनवाई होगी। उन्होंने कहा कि पुराने कानूनों में जहां पुलिस के अधिकार अधिक थे, वहीं अब पीड़ितों और शिकायतकर्ताओं के अधिकारों की रक्षा की जाएगी।
आधुनिक आपराधिक न्याय प्रणाली की स्थापना
शाह ने बताया कि नए कानूनों के तहत 'जीरो एफआईआर', ऑनलाइन शिकायत पंजीकरण, इलेक्ट्रॉनिक समन (एसएमएस) और जघन्य अपराधों के लिए अनिवार्य वीडियोग्राफी जैसे प्रावधान शामिल हैं। यह भारतीय आपराधिक न्याय प्रणाली को दुनिया में सबसे आधुनिक बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
पहले मामले का पंजीकरण
नए कानून के तहत पहला मामला ग्वालियर में रविवार रात 12 बजकर 10 मिनट पर मोटरसाइकिल चोरी का दर्ज किया गया। अमित शाह ने बताया कि नए कानून न्याय प्रदान करने को प्राथमिकता देंगे, जबकि औपनिवेशिक काल के कानूनों में दंडात्मक कार्रवाई पर जोर दिया जाता था।
चार साल से चल रही थी तैयारी
गृह मंत्री ने बताया कि इन तीनों कानूनों पर चार साल से अधिक समय तक विचार-विमर्श किया गया। उन्होंने उम्मीद जताई कि नए आपराधिक न्याय कानूनों के तहत दोषसिद्धि दर 90 प्रतिशत तक होगी और अपराधों में कमी आएगी। इन नए आपराधिक कानूनों के लागू होने से भारतीय न्याय प्रणाली में बड़ा परिवर्तन आएगा, जिससे न केवल अपराधों में कमी आएगी बल्कि न्याय प्रक्रिया भी त्वरित और प्रभावी होगी।