New Chief Justice of India: जस्टिस बीआर गवई बनें देश के 52 वें चीफ जस्टिस: राष्ट्रपति ने दिलाई शपथ, शपथ से पहले मां से लिया आशीर्वाद
New Chief Justice of India: जस्टिस बीआर गवई देश के नए मुख्य न्यायाधिपति बने हैं। आज 14 मई को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया का कार्यभार संभाला। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें शपथ दिलवाई। शपथ से पहले उन्होंने अपनी मां के पैर छू आशीर्वाद लिया। अनुसूचित जाति वर्ग से आने वाले देश के दूसरे चीफ जस्टिस गवई होंगे। उन्होंने वर्तमान चीफ जस्टिस संजीव खन्ना का स्थान लिया। उनका कार्यकाल मात्र 6 माह का होगा।

New Chief Justice of India: जस्टिस बीआर गवई चीफ जस्टिस आफ इंडिया बन गए हैं। आज सीजेआई का कार्यभार उन्होंने संभाला लिया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें शपथ दिलाई। शपथ लेने से पहले उन्होंने अपनी मां कमलताई गवई के पैर छू कर आशीर्वाद लिया। जस्टिस गवई देश के 52 वें चीफ जस्टिस हैं। उन्होंने निवृतमान चीफ जस्टिस संजीव खन्ना का स्थान ग्रहण किया है। अनुसूचित जाति से आने वाले जस्टिस गवई देश के दूसरे चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया होंगे। 2003 से जस्टिस के रूप में न्यायिक करियर की शुरुआत करने वाले गवई का चीफ जस्टिस के रूप में कार्यकाल 23 नवंबर 2025 तक होगा।
सीजेआई के शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्री अमित शाह, राजनाथ सिंह, जेपी नड्डा, एस जयशंकर, पीयूष गोयल, अर्जुन राम मेघवाल, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, उपराष्ट्रपति वीपी धनखड़, पूर्व सीजेआई संजीव खन्ना, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और सुप्रीम कोर्ट के अन्य न्यायाधीश मौजूद थे। इस दौरान गवई की पत्नी और परिवार के अन्य सदस्य भी मौजूद थे।
जस्टिस बीआर गवई चुनावी बांड को असंवैधानिक घोषित करने, राजीव गांधी हत्याकांड के दोषियों की रिहाई, ईडी निदेशक संजय मिश्रा के कार्यकाल विस्तार को अवैध घोषित करने,बुलडोजर एक्शन पर रोक लगाने, कश्मीर से धारा 370 हटाने, नोटबंदी को वैध ठहराने जैसे महत्वपूर्ण फैसलों में शामिल रहे हैं।
जानिए कौन हैं देश के 52 वें चीफ जस्टिस:–
जस्टिस बीआर गवई का पूरा नाम भूषण रामकृष्ण गवई हैं। वे मूलतः महाराष्ट्र के अमरावती के रहने वाले हैं। उनका जन्म 24 नवंबर 1960 को अमरावती में ही हुआ है। उनके पिता स्वर्गीय आरएस गवई प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता थे। वे रिपब्लिकन पार्टी ऑफ़ इंडिया से राजनीति करते थे। इसी पार्टी से सांसद रहने के बाद बिहार,केरल और सिक्किम के राज्यपाल रहे। गवई के पिता और पूरा परिवार अंबेडकरवादी विचारधारा को मानने वाला परिवार है। कुछ कार्यक्रमों में जस्टिस बीआर गवई ने भी अंबेडकर की नीतियों को सराहा है। अपने व्याख्यान में गवई ने कहा था कि उन्हें जब 2003 में मुंबई हाईकोर्ट का जस्टिस बनाया गया था तो मुंबई हाईकोर्ट में कोई दलित समुदाय या अनुसूचित जाति का न्यायाधीश नहीं था,इसलिए उन्हें जस्टिस बनाया गया। उन्होंने अपना खुद का उदाहरण देते हुए कहा था कि यदि वे खुद दलित नहीं होते तो सुप्रीम कोर्ट का जस्टिस नहीं बन पाते।
जस्टिस गवई ने नागपुर यूनिवर्सिटी से बीए एलएलबी की डिग्री ली। 16 मार्च 1985 को वकील के रूप में रजिस्ट्रेशन करवा वकालत शुरू की। फिर 1987 तक मुंबई हाईकोर्ट में सीनियर एडवोकेट राजा भोंसले के जूनियर के तौर पर काम किया। राजा भोंसले बाद में जस्टिस बने। फिर 1987 से 1990 तक मुंबई हाईकोर्ट में स्वतंत्र रूप से प्रैक्टिस की। 1990 से उन्होंने मुंबई हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में प्रेक्टिस करने लगे। उन्हें संवैधानिक, कानूनी और प्रशासनिक मुद्दों पर दक्षता हासिल थी। वे महाराष्ट्र के विभिन्न नगर निगमों के वकील भी रहे। नागपुर नगर निगम,अमरावती नगर निगम और अमरावती विश्वविद्यालय के स्थायी वकील भी रहे। गवई अगस्त 1992 से जुलाई 1993 तक मुंबई उच्च न्यायालय के नागपुर पीठ ने परमानेंट लॉयर और असिस्टेंट लॉयर रहे।
17 जनवरी सन 2000 को मुंबई हाईकोर्ट की नागपुर पीठ के लिए उन्हें एडिशनल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर नियुक्त किया गया।
2003 में बने जज:–
बीआर गवई को 14 नवंबर 2003 को मुंबई हाईकोर्ट का एडिशनल जज ( अतिरिक्त न्यायाधीश) नियुक्त किया गया। फिर 12 नवंबर 2005 को उन्हें परमानेंट जस्टिस ( स्थायी जज) बनाया गया। मुंबई हाईकोर्ट के अलावा जस्टिस गवई नागपुर,औरंगाबाद बेंच,गोवा की पणजी हाईकोर्ट में भी रहे और विभिन्न प्रकार के मामलों में फैसला दिया। 16 सालों तक हाईकोर्ट में जज रहने के बाद 24 मई 2019 को उन्हें प्रमोशन देकर सुप्रीम कोर्ट का जस्टिस बनाया गया।
अनुसूचित जाति वर्ग से आने वाले दूसरे सीजेआई:–
2010 में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के पद से रिटायर होने वाले केजी बालाकृष्णन पहले ऐसे सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश थे जो अनुसूचित जाति वर्ग से आते थे। उनके रिटायरमेंट के 9 सालों बाद बीआर गवई अनुसूचित जाति वर्ग से आने वाले पहले ऐसे न्यायाधीश बने जिन्हें सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश बनाया गया। कह सकते है कि अनुसूचित जाति वर्ग से आने वाले सुप्रीम कोर्ट के दूसरे न्यायाधीश बीआर गवई हैं। उसी तरह चीज जस्टिस ऑफ इंडिया अर्थात भारत के मुख्य न्यायाधिपति के पद पर पहुंचने वाले अनुसूचित जाति वर्ग से दूसरे न्यायाधीश भी जस्टिस बीआर गवई होंगे।
जस्टिस गवई द्वारा सुनाए गए महत्वपूर्ण फैसले:–
6 सालों के कार्यकाल में जस्टिस बीआर गवई ने 150 से अधिक फैसले किए हैं। इनमें कई महत्वपूर्ण फैसले रहे।
नोटबंदी के फैसले को रखा बरकरार :–
नवंबर 2016 में केंद्र सरकार द्वारा की गई नोटबंदी योजना के खिलाफ लगी याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने 4:1 से बहुमत से फैसला करते हुए कहा था कि नोटबंदी केंद्र के घोषित उद्देश्यों के अनुपात में थी जिसे उचित अनुपात में लागू किया गया था। नोटबंदी के फैसले को सही ठहराते हुए बेंच ने कहा था कि नोटबंदी का निर्णय केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक के बीच परामर्श के बाद लिया गया। इस बेंच में जस्टिस गवई भी थे।
उज्जैन के महाकाल मंदिर में ज्योतिर्लिंग का क्षरण रोकने दिया था फैसला:–
उज्जैन के महाकाल मंदिर में ज्योतिर्लिंग के क्षरण रोकने के लिए लगी याचिका में आठ बिंदुओं पर महत्वपूर्ण फैसला दिया था।
राजीव गांधी हत्याकांड के दोषियों की रिहाई का दिया था आदेश
राजीव गांधी हत्याकांड के दोषियों की रिहाई के लिए बने संविधान पीठ में जस्टिस गवई अध्यक्ष थे। वर्ष 2022 में राजीव गांधी हत्याकांड के आरोप में तीस साल से ज्यादा जेल में बंद 6 दोषियों की रिहाई के आदेश उन्होंने दिया था। जिसका आधार या था कि तमिलनाडु सरकार की सिफारिश पर राज्य सरकार ने कोई कार्यवाही नहीं की।
अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने का फैसला रखा था बरकरार:–
जम्मू कश्मीर से धारा 370 के प्रावधानों को निरस्त करने के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ लगी याचिका पर सुनवाई हेतु गठित संविधान पीठ का हिस्सा बीआर गवई थे। पीठ ने दिसंबर 2023 में जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 के प्रावधानों को निरस्त करने के केंद्र सरकार के फैसले को सर्वसम्मति से बरकरार रखा था।
चुनावी बांड को किया था असंवैधानिक घोषित:–
चुनावी फंडिंग के लिए बनाए गए चुनावी बांड को रद्द करने का फैसला जस्टिस गवई की सदस्यता वाली बेंच का था।
ईडी निदेशक के कार्यकाल को बताया था अवैध,:–
ईडी के निदेशक संजय मिश्रा के कार्यकाल को लगातार केवल सरकार द्वारा विस्तार दिया जा रहा था। तीसरी बार दिए गए विस्तार को अवैध बताते हुए उन्हें 31 जुलाई 2023 तक पद छोड़ने के निर्देश दिए।
बुलडोजर एक्शन पर लगाई रोक:–
जस्टिस गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने 2024 में उत्तर प्रदेश में बुलडोजर एक्शन पर रोक लगाने वाला महत्वपूर्ण फैसला दिया था। जिसमें आरोपी के पुलिस द्वारा आरोपी बनाए जाने या दोषी होने के आधार पर बिना प्रक्रिया के संपत्ति पर बुलडोजर चलाए जाने पर रोक लगाई गई थी। देशभर में संपत्ति विध्वंस के लिए 15 दिन का कारण बताओ नोटिस और जवाब के लिए समय सुनिश्चित करने के निर्देश दिया था।
मोदी सरनेम केस में राहुल गांधी के द्वारा की गई विवादित टिप्पणी में उन्हें दो साल की सजा के बाद उनकी संसद सदस्यता अवैध करार दी गई थी। जिस पर गवई ने राहुल गांधी को राहत दी थी।
सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता शीतलवाड़ा और शराब घोटाले में जेल में बंद दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को जमानत दी थी।
