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Nalanda University History Hindi: पीएम मोदी ने नालंदा विश्वविद्यालय के नए कैंपस का किया उद्घाटन, जानें नालंदा विश्वविद्यालय का पुराना इतिहास

Nalanda University History Hindi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के राजगीर में नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का उद्घाटन किया। इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में विदेश मंत्री एस जयशंकर, 17 देशों के राजदूत, और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी शामिल हुए।

Nalanda University History Hindi: पीएम मोदी ने नालंदा विश्वविद्यालय के नए कैंपस का किया उद्घाटन, जानें नालंदा विश्वविद्यालय का पुराना इतिहास
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By Ragib Asim

Nalanda University History Hindi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के राजगीर में नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का उद्घाटन किया। इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में विदेश मंत्री एस जयशंकर, 17 देशों के राजदूत, और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी शामिल हुए। नालंदा विश्वविद्यालय का यह नया परिसर प्राचीन नालंदा खंडहरों के करीब स्थित है, जो कभी दुनिया का सबसे बड़ा शिक्षण केंद्र था। अब 815 साल बाद, यह विश्वविद्यालय एक नए स्वरूप में लौट रहा है। आइए, जानते हैं इस नए परिसर की खासियतें और नालंदा विश्वविद्यालय का गौरवशाली इतिहास।

नालंदा विश्वविद्यालय का इतिहास

नालंदा विश्वविद्यालय का निर्माण 427 ईस्वी में सम्राट कुमार गुप्ता ने कराया था। यह बौद्ध धर्म का सबसे बड़ा शिक्षा केंद्र था, जहां दुनियाभर से छात्र पढ़ने आते थे। यहाँ करीब 10,000 छात्र अध्ययन करते थे और उन्हें 1,500 शिक्षक पढ़ाते थे। ज्यादातर छात्र चीन, कोरिया, और जापान जैसे एशियाई देशों से आने वाले बौद्ध भिक्षु होते थे। चीनी भिक्षु ह्वेनसांग ने भी 7वीं सदी में नालंदा में शिक्षा ग्रहण की थी।

बख्तियार खिलजी ने जलाया था परिसर

नालंदा विश्वविद्यालय दुनिया के पहले आवासीय विश्वविद्यालयों में से एक था। इसके पुस्तकालय में करीब 3 लाख किताबों का संग्रह था। 1193 में, दिल्ली सल्तनत के शासक कुतुबुद्दीन ऐबक के सेनापति मोहम्मद बिन बख्तियार खिलजी ने इस विश्वविद्यालय को आग लगा दी थी, जिससे यह करीब 3 महीने तक जलता रहा। आज नालंदा खंडहर के रूप में जाना जाता है और यह यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल है।

नया परिसर

नालंदा विश्वविद्यालय का नया परिसर प्राचीन खंडहरों के पास ही बनाया गया है। इसमें 2 शैक्षणिक ब्लॉक हैं, जिनमें 40 कक्षाएं हैं। यहां 1,900 बच्चों के बैठने की व्यवस्था है। इसके अलावा 300 लोगों की क्षमता वाले 2 ऑडिटोरियम, हजारों लोगों की क्षमता वाले इंटरनेशनल सेंटर और एंफीथिएटर भी बनाए गए हैं। पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए पूरे परिसर को 'नेट जीरो' बनाया गया है।

परिसर की स्थापना को लेकर घटनाक्रम

मार्च 2006 में, पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम ने नालंदा के पुनरुद्धार का प्रस्ताव रखा था। जनवरी 2007 में, फिलीपींस में पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में इस पर सहमति जताई गई। इसके बाद संसद ने नालंदा विश्वविद्यालय अधिनियम, 2010 पारित किया। बिहार सरकार ने परिसर के लिए 455 एकड़ जमीन आवंटित की। सितंबर 2014 में, एक अस्थायी परिसर में छात्रों के पहले बैच का नामांकन हुआ। 2017 से नए परिसर का काम शुरू हुआ।

प्रधानमंत्री का उद्घाटन पर बयान

उद्घाटन से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'एक्स' पर लिखा, "यह हमारे शिक्षा क्षेत्र के लिए बहुत खास दिन है। नालंदा का हमारे गौरवशाली अतीत से गहरा नाता है। यह विश्वविद्यालय निश्चित रूप से युवाओं की शैक्षिक आवश्यकताओं को पूरा करने में बहुत मददगार साबित होगा।" विश्वविद्यालय के अंतरिम कुलपति प्रोफेसर अभय कुमार सिंह ने कहा, "हम प्रधानमंत्री की यात्रा को बहुत ही प्रतिष्ठित और शुभ अवसर मानते हैं।"

नालंदा विश्वविद्यालय का नया परिसर न केवल शैक्षिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमारे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को भी सजीव करता है। यह कदम न केवल वर्तमान पीढ़ी के लिए बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक प्रेरणा का स्रोत बनेगा।

Ragib Asim

Ragib Asim पिछले 8 वर्षों से अधिक समय से मीडिया इंडस्ट्री में एक्टिव हैं। मूल रूप से बिहार के रहने वाले हैं, पढ़ाई-लिखाई दिल्ली से हुई है। क्राइम, पॉलिटिक्स और मनोरंजन रिपोर्टिंग के साथ ही नेशनल डेस्क पर भी काम करने का अनुभव है।

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