मुँह में राम, बगल में छुरी..एक तरफ अमेरिका की दोस्ती, दूसरी तरफ 100% टैरिफ वॉर, EU के साथ रच रहे हैं ये साजिश!
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस से तेल खरीदने वाले देशों, खासकर भारत और चीन पर कड़े आर्थिक कदम उठाने की बात कही है। उन्होंने यूरोपीय संघ से 100% तक टैरिफ लगाने का सुझाव दिया है ताकि रूस की अर्थव्यवस्था कमजोर हो।

Trump's tariffs on India (NPG file photo)
नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक तरफ सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना "बहुत अच्छा दोस्त" बता रहे हैं, तो दूसरी तरफ भारत पर 100% टैरिफ (आयात शुल्क) लगाने की धमकी दे रहे हैं। यह कदम रूस से तेल खरीदने के मुद्दे पर उठाया जा रहा है। ट्रंप का मानना है कि, अगर भारत और चीन रूसी तेल खरीदना बंद कर देते हैं, तो रूस की अर्थव्यवस्था कमजोर हो जाएगी और यूक्रेन युद्ध को खत्म करने का दबाव बढ़ेगा।
हाल ही में फाइनेंशियल टाइम्स और रॉयटर्स जैसी अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसियों ने खुलासा किया है कि, ट्रंप ने व्हाइट हाउस में यूरोपीय यूनियन (EU) और अमेरिकी अधिकारियों के साथ एक बैठक में भारत और चीन पर 100% टैरिफ लगाने का प्रस्ताव रखा।
उन्होंने साफ कहा कि, जब तक ये दोनों देश रूस से तेल खरीदना बंद नहीं कर देते, तब तक उन पर भारी शुल्क जारी रहना चाहिए। ट्रंप ने यूरोपीय यूनियन से भी यही कदम उठाने का आग्रह किया है। अमेरिका ने यह संकेत भी दिया है कि अगर EU इस रणनीति में उसका साथ देता है, तो वह भी भारत और चीन पर टैरिफ लगाने के लिए तैयार है।
आखिर क्यों लगा रहे हैं ट्रंप दबाव?
यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद, अमेरिका और पश्चिमी देशों ने रूस की अर्थव्यवस्था को कमजोर करने के लिए उस पर कई तरह के प्रतिबंध (सैंक्शन्स) लगाए हैं। रूस की कमाई का एक बड़ा हिस्सा तेल और गैस के निर्यात से आता है। इस कमाई को रोकने के लिए अमेरिका चाहता है कि दुनिया के बड़े तेल खरीदार, जैसे भारत और चीन, रूस से तेल खरीदना बंद कर दें।
जब युद्ध शुरू हुआ था, कई देशों ने रूस से तेल लेना बंद कर दिया था, लेकिन भारत और चीन ने मौके का फायदा उठाते हुए सस्ते दामों पर रूसी तेल खरीदना शुरू कर दिया। भारत ने तो रूस से तेल आयात में भारी बढ़ोतरी की। इसी बात से अमेरिका नाराज़ है, क्योंकि उसका मानना है कि भारत और चीन रूस को आर्थिक रूप से मजबूती दे रहे हैं। ट्रंप का तर्क है कि अगर ये दोनों देश रूस से तेल खरीदना बंद कर दें, तो पुतिन पर युद्ध रोकने का दबाव बढ़ जाएगा।
भारत के साथ अमेरिका की दोहरी नीति
ट्रंप का यह रुख उनकी हालिया सोशल मीडिया पोस्ट से बिल्कुल उलट है। कुछ ही दिन पहले, शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ दिखे थे। इस पर ट्रंप ने टिप्पणी की थी कि ऐसा लगता है कि, अमेरिका ने भारत और रूस को चीन के हाथों खो दिया है।
हालांकि, इस बयान के कुछ दिनों बाद ही ट्रंप ने यू-टर्न लिया और कहा कि अमेरिका और भारत के संबंध मजबूत हैं। उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि भारत और अमेरिका व्यापारिक बाधाओं को दूर करने के लिए बातचीत कर रहे हैं और वह जल्द ही अपने "बहुत अच्छे दोस्त" प्रधानमंत्री मोदी से बात करने के लिए उत्सुक हैं।
India and the US are close friends and natural partners. I am confident that our trade negotiations will pave the way for unlocking the limitless potential of the India-US partnership. Our teams are working to conclude these discussions at the earliest. I am also looking forward… pic.twitter.com/3K9hlJxWcl
— Narendra Modi (@narendramodi) September 10, 2025
पीएम मोदी ने भी ट्रंप की पोस्ट का जवाब देते हुए कहा कि, दोनों देशों की टीमें इस पर काम कर रही हैं। लेकिन दोस्ती की इन बातों के बावजूद, ट्रंप की 100% टैरिफ की धमकी से साफ है कि अमेरिका भारत पर दबाव बनाए रखना चाहता है। पहले भी ट्रंप के कहने पर भारत के कुछ उत्पादों पर 50% तक का टैरिफ लगाया जा चुका है, जिसमें 25% अतिरिक्त शुल्क रूस से तेल खरीदने के चलते लगाया गया था।
यूरोपीय यूनियन पर भी सवाल
ट्रंप सिर्फ भारत और चीन पर ही नहीं, बल्कि यूरोपीय यूनियन पर भी सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि EU ने भी रूस से पूरी तरह ऊर्जा आयात बंद नहीं किया है। हालांकि, EU का दावा है कि वह धीरे-धीरे रूस पर अपनी निर्भरता खत्म करने की कोशिश कर रहा है। लेकिन ट्रंप के इस नए दबाव के बाद, EU को भी अपनी रणनीति पर दोबारा विचार करना पड़ सकता है।
कुल मिलाकर, ट्रंप की इस दोहरी चाल से अंतरराष्ट्रीय संबंधों में एक नया तनाव पैदा हो गया है। एक तरफ वह भारत से दोस्ती और बेहतर व्यापारिक संबंधों की बात कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ रूस से तेल खरीदने के मुद्दे पर भारत पर कड़ी कार्रवाई करने की धमकी दे रहे हैं। अब देखना यह है कि, भारत इस दबाव का सामना कैसे करता है और क्या अमेरिका वाकई 100% टैरिफ जैसा बड़ा कदम उठाएगा।
