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Satta Matka King History: Satta किंग! सट्टे का बादशाह कैसे बना रतन खत्री? जानें मटका किंग की पूरी कहानी

Satta Matka King History: मुंबई का मटका किंग रतन खत्री कौन था? कैसे उसने अवैध मटका जुएं को देशभर में फैलाया और कैसे उसके साम्राज्य का अंत हुआ, जानें पूरी कहानी।

Satta King: मटका किंग रतन खत्री की सनसनीखेज कहानी, जिसने भारत में जुए का खेल बदल डाला!
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By Ragib Asim

Satta Matka King History: मुंबई, जिसे देश की आर्थिक राजधानी कहा जाता है, कई कहानियों और घटनाओं का गवाह रहा है। यहां बिजनेसमैन से लेकर बॉलीवुड सितारों तक सबने अपनी पहचान बनाई। लेकिन इसी मुंबई से जुड़ा एक ऐसा नाम है जिसे "मटका किंग" (Matka King) कहा गया wah hai रतन खत्री।

रतन खत्री ने भारत में अवैध जुएं के कारोबार मटका सट्टा को एक अलग पहचान दिलाई। जहां पहले यह खेल केवल मेलों या छोटे आयोजनों तक सीमित था, वहीं खत्री ने इसे देशभर में फैला दिया।

भारत में सट्टे के कई रूप रहे, जिनमें से एक था मटका जुआ। शुरुआत में यह न्यूयॉर्क कॉटन एक्सचेंज में कपास के दामों से जुड़ा था। खिलाड़ी इस बात पर दांव लगाते थे कि कपास का भाव किस रेंज में खुलेगा और बंद होगा। पर्चियां एक मटके में डाली जाती थीं और नतीजों के आधार पर जीत-हार तय होती थी। अगर दांव सही बैठता तो खिलाड़ी को तय रकम का कई गुना मिलता, लेकिन गलत होने पर सबकुछ चला जाता।

कौन था मटका किंग रतन खत्री?

रतन खत्री एक सिंधी परिवार से था और 1947 के विभाजन के बाद पाकिस्तान से मुंबई आया। 60 के दशक में उसने मटका जुएं के कारोबार में कदम रखा। शुरुआत में उसने मुंबई के पहले मटका किंग कल्याण भगत के साथ मैनेजर के रूप में काम किया। लेकिन बाद में अनबन होने पर उसने अपना रास्ता अलग कर लिया।

"रतन मटका" की शुरुआत

कल्याण भगत से अलग होने के बाद रतन खत्री ने "रतन मटका" के नाम से कारोबार शुरू किया। उसने मटके में पर्चियां डालने की पुरानी पद्धति खत्म कर नए तौर-तरीके अपनाए। जल्द ही उसका नाम पूरे मुंबई में गूंजने लगा।

कहा जाता है कि 70 के दशक में उसका यह गैरकानूनी धंधा महीने के करोड़ों रुपये का मुनाफा देने लगा था। रतन खत्री को ही वह शख्स माना जाता है जिसने मटका जुएं को संगठित सट्टेबाजी में बदल दिया।

पहला मटका किंग कौन था?

हालांकि, मुंबई का पहला मटका किंग मूल रूप से गुजराती कल्याण भगत थे। उन्होंने ही इस खेल की नींव रखी थी। रतन खत्री उनके मैनेजर के तौर पर काम करता था। लेकिन अलग होने के बाद खत्री ने इसे एक बड़े बिजनेस में बदल दिया और खुद "मटका किंग" कहलाया।

जब शुरू हुए बुरे दिन

जहां एक तरफ खत्री का नाम सट्टे के बादशाह के रूप में मशहूर हो रहा था, वहीं सरकार भी इस अवैध धंधे पर शिकंजा कसने लगी। आपातकाल के दौरान रतन खत्री को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। उसने करीब 19 महीने जेल में बिताए। बाहर आने पर कारोबार में काफी बदलाव आ चुके थे। हालांकि, उसने फिर से वर्चस्व जमाने की कोशिश की, लेकिन 80 के दशक में पुलिस और प्रशासन ने इस धंधे पर सख्ती से रोक लगाना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे मटका कारोबार टूटने लगा और खत्री का साम्राज्य कमजोर हो गया।

रतन खत्री की विरासत

भले ही आज मटका जुएं पर सरकार ने कई हद तक लगाम कस दी हो, लेकिन 70 और 80 के दशक में रतन खत्री का नाम मुंबई के माफियाराज और अंडरवर्ल्ड की कहानियों के साथ लिया जाता था। वह एक समय में हजारों परिवारों की किस्मत का मालिक माना जाता था। उसके नाम पर बनी कहानियां और किस्से आज भी मुंबई के लोकल चर्चाओं का हिस्सा हैं।

Ragib Asim

Ragib Asim is a senior journalist and news editor with 13+ years of experience in Indian politics, governance, crime, and geopolitics. With strong ground-reporting experience in Uttar Pradesh and Delhi, his work emphasizes evidence-based reporting, institutional accountability, and public-interest journalism. He currently serves as News Editor at NPG News.

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