Maoist links case: HC ने DU के पूर्व प्रोफेसर जी एन साईबाबा और 5 अन्य को किया बरी, आजीवन कारावास को भी कर दिया रद्द
Maoist links case: बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने माओवादियों से जुड़े मामले में दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा समेत 5 अन्य को मंगलवार को बरी कर दिया।

Maoist links case: बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने माओवादियों से जुड़े मामले में दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा समेत 5 अन्य को मंगलवार को बरी कर दिया। बार एंड बेंच के मुताबिक, न्यायमूर्ति विनय जोशी और एसए मेनेजेस की पीठ ने एक सेशन कोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें 2017 में साईबाबा और अन्य को दोषी ठहराया था। 54 वर्षीय प्रोफेसर साईबाबा व्हीलचेयर पर हैं और 99 प्रतिशत विकलांग हैं। वह नागपुर सेंट्रल जेल में हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, हाई कोर्ट की पिछली पीठ ने भी 14 अक्टूबर, 2022 को विकलांग प्रोफेसर को बरी किया था और अब पीठ ने साईबाबा की अपील पर दोबारा सुनवाई के बाद फैसला सुनाया।दरअसल, सुप्रीम कोर्ट द्वारा अक्टूबर, 2022 के बरी करने के आदेश को रद्द करने और मामले को नए सिरे से सुनवाई के लिए हाई कोर्ट में वापस भेजने के बाद दोबारा सुनवाई हुई थी।
2017 में ठहराया गया था दोषी
गढ़चिरौली की एक सेशन कोर्ट ने मार्च, 2017 में साईबाबा और अन्य को कथित माओवादी से संबंध और देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने जैसी गतिविधियों में शामिल होने के लिए दोषी ठहराया था। इस फैसले के खिलाफ साईबाबा ने बॉम्बे हाई कोर्ट का रुख किया और इसकी सुनवाई न्यायमूर्ति रोहित बी देव की अगुवाई वाली पीठ ने की। पीठ ने 14 अक्टूबर, 2022 को अपील स्वीकार कर साईबाबा को बरी कर दिया। इसके खिलाफ महाराष्ट्र सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या फैसला दिया था?
सुप्रीम कोर्ट ने 15 अक्टूबर, 2022 को विशेष बैठक कर हाई कोर्ट के फैसले को निलंबित कर दिया था। लंबी सुनवाई के बाद 19 अप्रैल, 2023 को न्यायमूर्ति एमआर शाह और सीटी रविकुमार की पीठ ने हाई कोर्ट के फैसले को रद्द किया। पीठ ने मामले पर नए सिरे से विचार के लिए हाई कोर्ट भेजा था। बता दें, साईबाबा को बरी करने वाले न्यायमूर्ति रोहित देव ने 2 अगस्त, 2023 को न्यायाधीश पद से इस्तीफा दे दिया था।
