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MGNREGA vs VB-G RAM G: मनरेगा से कितना अलग है ‘VB-जी राम जी’? 125 दिन रोजगार से लेकर भुगतान और फंडिंग तक क्या-क्या बदला, नए कानून में क्या बढ़ा और क्या घटा?

MGNREGA vs VB-G RAM G: विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) विधेयक यानी VB-जी राम जी बिल लोकसभा से पारित हो चुका है और अब यह 20 साल पुराने मनरेगा (MGNREGA) की जगह लेने जा रहा है।

MGNREGA vs VB-G RAM G: मनरेगा से कितना अलग है ‘VB-जी राम जी’? 125 दिन रोजगार से लेकर भुगतान और फंडिंग तक क्या-क्या बदला, नए कानून में क्या बढ़ा और क्या घटा?
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By Ragib Asim

नई दिल्ली। विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) विधेयक यानी VB-जी राम जी बिल लोकसभा से पारित हो चुका है और अब यह 20 साल पुराने मनरेगा (MGNREGA) की जगह लेने जा रहा है। विधेयक के पारित होने के दौरान संसद में जमकर हंगामा हुआ, विपक्षी सांसदों ने बिल की प्रतियां फाड़ीं और वेल में आकर विरोध दर्ज कराया। सरकार जहां इसे Viksit Bharat 2047 के विजन से जुड़ा बड़ा सुधार बता रही है, वहीं विपक्ष का आरोप है कि इससे गरीबों के अधिकार कमजोर होंगे। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर मनरेगा से अलग VB-जी राम जी में क्या-क्या बदला है।

नया कानून क्या है और क्यों लाया गया

VB-जी राम जी विधेयक का मकसद ग्रामीण रोजगार के लिए मनरेगा की जगह एक नया और आधुनिक कानूनी ढांचा तैयार करना है। सरकार का कहना है कि यह कानून सिर्फ मजदूरी तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि ग्रामीण आजीविका, बुनियादी ढांचे और समग्र विकास को भी मजबूती देगा। इसके तहत तकनीक के ज्यादा इस्तेमाल, पारदर्शिता बढ़ाने और शिकायतों के समाधान के लिए जिला व ब्लॉक स्तर पर मजबूत सिस्टम बनाने की बात कही गई है।

रोजगार के दिन: 100 से बढ़कर 125

मनरेगा के तहत हर ग्रामीण परिवार को साल में 100 दिन के रोजगार की गारंटी थी, जिसे अब बढ़ाकर 125 दिन कर दिया गया है। यह रोजगार उन परिवारों को मिलेगा, जिनके वयस्क सदस्य बिना किसी विशेष कौशल के काम करने को तैयार होंगे। सरकार का दावा है कि इससे ग्रामीण आय बढ़ेगी और गांवों का समग्र विकास तेज होगा।

फंडिंग पैटर्न: राज्यों पर बढ़ी जिम्मेदारी

मनरेगा में योजना का लगभग पूरा खर्च केंद्र सरकार उठाती थी, लेकिन VB-जी राम जी में राज्यों की हिस्सेदारी बढ़ा दी गई है। पूर्वोत्तर राज्यों, हिमालयी राज्यों और कुछ केंद्र शासित प्रदेशों में खर्च का 90 प्रतिशत केंद्र और 10 प्रतिशत राज्य वहन करेंगे। अन्य राज्यों में यह अनुपात 60-40 रहेगा। जिन केंद्र शासित प्रदेशों में विधानसभा नहीं है, वहां पूरा खर्च केंद्र सरकार उठाएगी। विपक्ष का आरोप है कि इससे राज्यों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ेगा।

मजदूरी भुगतान: 15 दिन से साप्ताहिक सिस्टम

मनरेगा में मजदूरी का भुगतान 15 दिन में किया जाता था, जबकि नए कानून में हर हफ्ते भुगतान या फिर काम पूरा होने के अधिकतम 15 दिनों के भीतर पैसा देना अनिवार्य किया गया है। अगर आवेदन के 15 दिन के भीतर काम नहीं मिलता है, तो बेरोजगारी भत्ता देने का भी प्रावधान रखा गया है। हालांकि, मजदूरी की दर को लेकर विधेयक में कोई स्पष्ट राशि तय नहीं की गई है, जिससे केंद्र और राज्य अलग-अलग दरें तय कर सकेंगे।

खेती के मौसम में काम पर रोक

VB-जी राम जी में एक बड़ा बदलाव यह है कि बुआई और कटाई के मौसम में 60 दिनों तक रोजगार कार्य नहीं दिया जाएगा। किसानों की शिकायत थी कि मनरेगा के कारण उन्हें खेती के समय मजदूर नहीं मिलते थे। सरकार का कहना है कि इस प्रावधान से खेती के लिए मजदूर उपलब्ध होंगे और फर्जी मजदूरी पर भी रोक लगेगी। इन 60 दिनों की अवधि को राज्य सरकारें अधिसूचित करेंगी।

कुल मिलाकर क्या बदला

VB-जी राम जी को सरकार ग्रामीण रोजगार का आधुनिक और विकसित संस्करण बता रही है, जिसमें ज्यादा काम के दिन, तेज भुगतान और तकनीक पर जोर है। वहीं विपक्ष का कहना है कि राज्यों पर बढ़ा खर्च, मजदूरी दर की अस्पष्टता और खेती के मौसम में काम पर रोक जैसे प्रावधान गरीब मजदूरों के हितों के खिलाफ हैं। आने वाले समय में यह साफ होगा कि यह नया कानून मनरेगा से ज्यादा असरदार साबित होता है या नहीं।

Ragib Asim

रागिब असीम – समाचार संपादक, NPG News रागिब असीम एक ऐसे पत्रकार हैं जिनके लिए खबर सिर्फ़ सूचना नहीं, ज़िम्मेदारी है। 2013 से वे सक्रिय पत्रकारिता में हैं और आज NPG News में समाचार संपादक (News Editor) के रूप में डिजिटल न्यूज़रूम और SEO-आधारित पत्रकारिता का नेतृत्व कर रहे हैं। उन्होंने करियर की शुरुआत हिन्दुस्तान अख़बार से की, जहाँ उन्होंने ज़मीन से जुड़ी रिपोर्टिंग के मायने समझे। राजनीति, समाज, अपराध और भूराजनीति (Geopolitics) जैसे विषयों पर उनकी पकड़ गहरी है। रागिब ने जामिया मिलिया इस्लामिया से पत्रकारिता और दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की है।

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