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माननीयों की कुर्सी पर कानून की कुल्हाड़ी : राहुल गांधी ही नहीं, इन सांसद-विधायकों की छिन गई थी सदस्यता, देश में ऐसे एक-दो नहीं 35 मामले

माननीयों की कुर्सी पर कानून की कुल्हाड़ी : राहुल गांधी ही नहीं, इन सांसद-विधायकों की छिन गई थी सदस्यता, देश में ऐसे एक-दो नहीं 35 मामले
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By NPG News

NPG ब्यूरो. कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की लोकसभा की सदस्यता खत्म होने के बाद देश की राजनीति में बड़ा भूचाल आ गया है. कांग्रेस ने इसे लोकतंत्र की हत्या करार दिया है. वहीं, भाजपा ने इसे ओबीसी समाज के अपमान से जोड़ दिया है. इस पूरे मुद्दे में कानून के जानकारों का कहना है कि रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपुल्स एक्ट 1951 में यह स्पष्ट है कि यदि दो वर्ष से अधिक के कारावास की सजा सुनाई जाती है तो उसे दोषी ठहराए जाने की तिथि से आयोग्य माना जाएगा. ऐसे में यह कहना सही नहीं है कि बिना समय दिए लोकसभा सचिवालय ने सदस्यता खत्म करने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया. जहां तक निचली अदालत ने जो समय दिया है, वह गिरफ्तारी से बचने के लिए है. हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट यदि निचली अदालत के फैसले के विरुद्ध कोई निर्णय देता है, तब ही सदस्यता बच सकती है. हालांकि यह आसान नहीं है.

इस फैसले के साथ ही यह बहस छिड़ गई है कि क्या इस कानून के तहत सिर्फ राहुल गांधी की सदस्यता खत्म हुई है? जानकारी के मुताबिक देशभर में 35 माननीयों की सदस्यता जा चुकी है. इनमें चार सांसद और 31 विधायक शामिल हैं. आगे पढ़ें, कुछ चर्चित मामले, जिनमें सांसद-विधायकों की सदस्यता गई...


लालू प्रसाद यादव : देश में काफी चर्चित चारा घोटाले के मामले में बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव ने कोर्ट ने 5 साल की सजा सुनाई थी. इस वजह से उनकी सांसदी चली गई थी. 2013 में यह फैसला आया था. उस समय केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी. इस फैसले के बाद लालू यादव 6 साल तक चुनाव नहीं लड़ सके थे.


रशीद मसूद : 2013 में ही एक और सांसद की सदस्यता गई थी. नाम था रशीद मसूद. रशीद मसूद कांग्रेस के राज्यसभा सांसद थे और उन्हें कोर्ट ने एमबीबीएस सीट घोटाले में दोषी पाया था. उन्हें चार साल की सजा सुनाई गई थी. इसके बाद उनकी राज्यसभा की सदस्यता खत्म हो गई थी.


जगदीश शर्मा : 2013 का एक और मामला जगदीश शर्मा से जुड़ा है. शर्मा जनता दल यूनाइटेड के सांसद थे. उन्हें भी चारा घोटाले के मामले में दोषी पाया गया था. शर्मा जहानाबाद के सांसद थे. उनकी सांसदी चली गई थी.


आजम खान : उत्तरप्रदेश के समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान को हेट स्पीच मामले में रामपुर की अदालत ने 2019 में तीन साल की सजा सुनाई थी. इसके बाद उनकी सदस्यता चली गई थी.


अब्दुल्ला आजम : पिता आजम खान की तरह अब्दुल्ला आजम की भी विधायकी खत्म हो गई थी. उन्हें गलत शपथ पत्र देने के मामले में दोषी पाया गया. इसके बाद उनकी सदस्यता चली गई.


अशोक चंदेल : भाजपा विधायक अशोक कुमार सिंह चंदेल को अदालत ने हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई थी. वे हमीरपुर से भाजपा के विधायक थे. यह फैसला 2019 में आया था, जिसके बाद उनकी सदस्यता चली गई.


कुलदीप सिंह सेंगर : गैंगरेप के एक मामले में कोर्ट ने विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. इसके बाद सेंगर की सदस्यता चली गई थी. यह फैसला 20 दिसंबर 2019 को आया था और विधानसभा सचिवालय ने उसी दिन सदस्यता खत्म करने का आदेश जारी किया था.

जन प्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 8 जिसके आधार पर गई सदस्यता

इस अधिनियम की धारा 8(3) में प्रावधान है कि किसी भी विधायिका सदस्य को यदि दो वर्ष से अधिक के कारावास की सजा सुनाई जाती है तो उसे दोषी ठहराए जाने की तिथि से आयोग्य माना जाएगा. ऐसे व्यक्ति को सजा पूरी किए जाने की तिथि से 6 वर्ष तक चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य माना जाएगा.

हालांकि, धारा 8(4) में यह भी प्रावधान है कि यदि दोषी सदस्य निचली अदालत के इस आदेश के खिलाफ तीन महीने के भीतर उच्च न्यायालय में अपील दायर कर देता है तो वह अपनी सीट पर बना रह सकता है, लेकिन 2013 में 'लिली थॉमस बनाम यूनियन ऑफ इंडिया' के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने इस धारा को असंवैधानिक ठहरा कर निरस्त कर दिया था.

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