Farmers Suicide News: साल 2023 में मराठवाड़ा में अब तक 685 किसानों ने की आत्महत्या, कृषि मंत्री के गृह जिले में सबसे अधिक मौतें
Farmers Suicide News: आज भी किसानों (farmer) की आत्महत्या (Suicide) रुकने का नाम नहीं ले रही है। सरकारें चाहे कितनी भी वादे कर लें लेकिन धरातल पर स्थिति कुछ और ही है।
Farmers Suicide News: आज भी किसानों (farmer) की आत्महत्या (Suicide) रुकने का नाम नहीं ले रही है। सरकारें चाहे कितनी भी वादे कर लें लेकिन धरातल पर स्थिति कुछ और ही है। महाराष्ट्र के मराठवाड़ा (Marathwada of Maharashtra) में तो किसानों की मुसीबतें आज भी कम होने का नाम नहीं ले रहीं। खराब फसल, कर्ज चुकाने का दबाव और खराब माली हालत के चलते यहां साल 2023 में ही 685 किसान आत्महत्या कर चुके हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि यह आंकड़ा 31 अगस्त तक का ही है, जिससे अधिकारियों और सरकार की चिंता बढ़ गई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, मौतों का सबसे ज्यादा आंकड़ा बीड जिले से है, जहां अब तक 186 किसान मौत को गले लगा चुके हैं। बीड महाराष्ट्र के मौजूदा कृषि मंत्री धनंजय मुंडे का गृह जिला है। मुंडे राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अजित पवार गुट का हिस्सा हैं, जिसने हाल ही में शरद पवार के नेतृत्व को ठुकराते हुए सीएम एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार में शामिल होने का फैसला किया था। मुंडे को इसके दो हफ्ते बाद ही शिंदे सरकार में कृषि मंत्रालय की जिम्मेदारी मिल गई थी।
बता दें कि मध्य महाराष्ट्र का इस शुष्क क्षेत्र में आठ जिले- औरंगाबाद, जालना, बीड, परभनी, नांदेड, उस्मानाबाद, हिंगोली और लातूर हैं। यहां के डिवीजनल कमिश्नर के दफ्तर की रिपोर्ट के मुताबिक, एक जनवरी 2023 से 31 अगस्त 2023 के बीच मराठवाड़ा में 685 किसानों ने आत्महत्या कर ली। इनमें से 294 ने अपनी जान मानसून के महीनों यानी जून से अगस्त के बीच दे दी।
महाराष्ट्र का मराठवाड़ा क्षेत्र इस साल भी बारिश की कमी से जूझ रहा है। यहां इस मानसून सीजन में 20.7 फीसदी तक कम बारिश हुई है। क्षेत्र में 11 सितंबर तक 455.4 मिलीमीटर बारिश हुई है, जो कि मानसून में होने वाली औसत 574.4 मिमी बारिश से काफी कम है।
मराठवाड़ा में सबसे ज्यादा किसानों ने बीड में जान दी। इसके अलावा 2023 में अब तक उस्मानाबाद में 113 किसान आत्महत्या कर चुके हैं। तीसरा नंबर नांदेड का है, जहां 110 किसानों ने जान दी है। औरंगाबाद में 95, परभनी में 58, लातूर में 51, जालना में 50 और हिंगोली में 22 किसान आत्महत्या कर चुके हैं।