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किसानों का महा-आंदोलन! नागपुर हाईवे पर लगा लंबा जाम; जानें कैसे शुरू हुआ ये प्रदर्शन, क्या है पूरी मांगे?

Maharashtra Farmers Protest: महाराष्ट्र में किसानों का कर्ज माफी को लेकर आंदोलन लगातार आज दूसरे दिन भी जारी है। प्रदर्शनकारियों ने नागपुर से हैदराबाद को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग-44 को जाम कर दिया है। जिसके बाद आवाजाही पूरी तरह से बाधित हो गई है।

किसानों का महा-आंदोलन! नागपुर हाईवे पर लगा लंबा जाम; जानें कैसे शुरू हुआ ये प्रदर्शन, क्या है पूरी मांगे?
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Maharashtra Farmers Protest

By Ashish Kumar Goswami

नई दिल्ली। नागपुर में किसानों का भयंकर आंदोलन लगातार आज दूसरे दिन भी जारी रहा, जिसके चलते नागपुर-हैदराबाद हाइवे (NH-44) पर 20 किलोमीटर तक गाड़ियों की लंबी कतार लग गई है। पूर्व मंत्री और किसान नेता बच्चू कडू नागपुर शहर से सिर्फ 16 किलोमीटर दूर बॉर्डर पर डटे हुए हैं। जिसका असर नागपुर-हैदराबाद हाइवे (NH-44) पर 20 किलोमीटर तक गाड़ियों की लंबी कतार के रूप में दिख रहा है। हाइवे की चारों लेन में ट्रैक्टरों और बैलगाड़ियों के खड़े होने से स्थिति बहुत बिगड़ गई है। किसान बारिश से हुए फसल नुकसान का मुआवजा और कर्जमाफी की अपनी मुख्य मांगों को लेकर डटे हुए हैं।

सरकार से बातचीत को लेकर गतिरोध

वहीं, पूर्व विधायक बच्चू कडू ने बुधवार को सरकार से बातचीत के लिए मुंबई जाने से भी इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि, नागपुर-वर्धा राजमार्ग पर आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक सरकार की तरफ से ठोस आश्वासन नहीं मिल जाता। किसान नेता ने चिंता जताते हुए कहा कि, अगर वह विरोध स्थल छोड़ते हैं तो उनके समर्थकों की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। उन्होंने चेतावनी दी कि, अगर जल्द ही कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला तो किसान रेलवे यातायात को भी बाधित करेंगे।

उन्होंने कैबिनेट मंत्री गिरीश महाजन से कहा कि, मुंबई जाने के लिए सड़क मार्ग में 8 से 12 घंटे लगते हैं और शाम तक कोई फ्लाइट भी नहीं है। उन्होंने सरकार के मंत्रियों से नागपुर आने के लिए कहा है। आपको बता दें कि, हजारों किसान 'महा एलगार रैली' के बैनर तले पूरी तरह से किसानों के लोन माफी और फसल नुकसान के लिए लंबित मुआवजे की मांग कर रहे हैं। इसके साथ ही किसान सूखा और बाढ़ राहत मानदंडों की बहाली की मांग भी कर रहे हैं।

सरकार से बातचीत असंभव

जिस पर गार्डियन मिनिस्टर चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि, सरकार बातचीत के लिए तैयार है, लेकिन नागपुर में उच्च-स्तरीय बैठक संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि इसमें कई विभागों के कोऑर्डिनेशन की जरूरत पड़ेगी। उन्होंने यह भी बताया कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस राहत और मुआवजे के मुद्दे की समीक्षा करेंगे। किसान नेता बच्चू कडू ने पलटवार करते हुए कहा कि, पिछले आंदोलनों के दौरान मंत्रियों ने मौके पर आकर बातचीत की थी। किसान नेता ने कहा कि जब किसानों से जुड़े मुद्दों की बात आती है तो किसी को कोई परवाह नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि मैं देवा भाऊ (देवेंद्र फडणवीस) का एक अलग पक्ष देख रहा हूँ। उन्होंने कहा कि जिस देवा भाऊ (देवेंद्र फडणवीस) को मैं जानता था, वह ऐसे नहीं थे।

क्यों शुरू हुआ आंदोलन?

जानकारी के अनुसार, किसानों का आरोप है कि, राज्य सरकार ने चुनाव से पहले कर्ज माफी और बोनस देने का वादा किया था, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। बच्चू कडू ने कहा कि ‘सरकार ने हर फसल पर 20% बोनस और सोयाबीन पर ₹6000 देने की बात कही थी, पर अब तक किसानों को कुछ नहीं मिला। मुख्यमंत्री के पास किसानों से मिलने का समय तक नहीं है।’

वही, प्रदर्शनकारियों का कहना है कि पिछले एक साल में सूखा और ओलावृष्टि से फसलें बर्बाद हो चुकी हैं। इसके बावजूद, सरकार ने मुआवजे की प्रक्रिया में ढिलाई दिखाई है। कडू ने कहा, ‘कर्ज में डूबे किसान आत्महत्या कर रहे हैं। जब तक पूरा कर्ज माफ नहीं किया जाता, हम यहां से नहीं हटेंगे।’ स्वाभिमानी पक्ष के नेता रवीकांत तुपकर ने भी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि “सरकार के पास हाईवे और मेट्रो प्रोजेक्ट्स के लिए पैसा है, लेकिन किसानों के लिए नहीं।”

क्या है किसानों की मांग?

1. महाराष्ट्र में किसानों की ऋण माफी बड़ा मुद्दा है। किसान यह मांग कर रहे हैं कि उनके कृषि ऋण को बिना शर्त माफ कर दिया जाए।

2. कर्ज चुकाने में असमर्थ किसानों के साथ कोई जोर जबरदस्ती न की जाए।

3. सूखा से प्रभावित किसानों के लिए मुआवजे की मांग।

4. इन मांगों के अतिरिक्त किसान एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) की मांग भी कर रहे हैं।

क्या है सरकार का पक्ष?

कर्ज माफी महाराष्ट्र में बड़ा मसला है। कृषि ऋण की वजह से यहां कई किसानों ने अपनी जान तक दी है। इसी वजह से चुनाव के वक्त हमेशा ही यह मुद्दा जोर-शोर से उठता है। किसानों के प्रदर्शन पर अब तक सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने तो नहीं आया है, लेकिन सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार सरकार किसानों से बातचीत के लिए राजी है। 2017 में किसानों की ऋण माफी हुई थी, लेकिन उसका लाभ किसानों को मिला नहीं।

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