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Maharashtra Politics: महाराष्ट्र की सत्ता में बड़ा फेरबदल – अजित पवार की ताकत कम! शिंदे को बढ़त?कौन हुआ मजबूत, कौन कमजोर?

Maharashtra Politics: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने महायुति गठबंधन में सत्ता के संतुलन को बनाए रखने के लिए एक नया सरकारी आदेश जारी कर "शक्ति राजनीति" में अपनी चतुराई का परिचय दिया है।

Maharashtra Politics: महाराष्ट्र की सत्ता में बड़ा फेरबदल – अजित पवार की ताकत कम! शिंदे को बढ़त?कौन हुआ मजबूत, कौन कमजोर?
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By Ragib Asim

Maharashtra Politics: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने महायुति गठबंधन में सत्ता के संतुलन को बनाए रखने के लिए एक नया सरकारी आदेश जारी कर "शक्ति राजनीति" में अपनी चतुराई का परिचय दिया है। 18 मार्च 2025 को मुख्य सचिव सुजाता सौनिक द्वारा जारी इस आदेश के मुताबिक, वित्त और योजना विभाग की हर फाइल अब उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से होकर गुजरेगी, इसके बाद अंतिम मंजूरी के लिए सीएम फडणवीस के पास पहुंचेगी। वर्तमान में यह विभाग उपमुख्यमंत्री अजित पवार के पास है। राजनीतिक गलियारों में इसे फडणवीस का "मास्टरस्ट्रोक" बताया जा रहा है, जो गठबंधन के तीन प्रमुख दलों—बीजेपी, शिवसेना (शिंदे गुट), और एनसीपी (पवार गुट)—के बीच सियासी संतुलन को मजबूत करने की दिशा में एक रणनीतिक कदम है।

पहले भी रहा था ऐसा नियम

इससे पहले जब एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री थे और अजित पवार व देवेंद्र फडणवीस उपमुख्यमंत्री थे, तब भी 2023 में इसी तरह का आदेश जारी हुआ था। उस समय वित्त विभाग की फाइलें फडणवीस के जरिए शिंदे तक पहुंचती थीं, जहां अंतिम फैसला लिया जाता था। हालांकि, अब सत्ता की कमान फडणवीस के हाथ में आने के बाद उन्होंने इस प्रक्रिया को उलट दिया है। नई व्यवस्था में फाइलें पहले दोनों उपमुख्यमंत्रियों (शिंदे और पवार) के पास जाएंगी, फिर सीएम के पास मंजूरी के लिए आएंगी। इसका मकसद शिंदे गुट को सशक्त करना और पवार को नियंत्रण में रखना बताया जा रहा है।

महायुति में पुराना विवाद

महायुति के नेताओं ने हमेशा दावा किया है कि उनके बीच "कभी कोई विवाद नहीं रहा"। लेकिन महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के शासनकाल में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में अजित पवार के पास वित्त विभाग था। तब शिंदे के शिवसेना गुट ने पवार पर पक्षपात का आरोप लगाया था, जिसमें कहा गया था कि फंड पहले एनसीपी, फिर कांग्रेस और आखिर में शिवसेना को मिलता था। यह असंतोष एमवीए के पतन का एक बड़ा कारण बना। अब नए नियम से शिंदे को फंड आवंटन में अहम भूमिका मिलने से उनका गुट संतुष्ट रहेगा, वहीं पवार की स्वायत्तता पर लगाम लगेगी।

फडणवीस की रणनीति

इस आदेश से फडणवीस ने दो बड़े लक्ष्य हासिल किए हैं:

  • शिंदे को ताकत: शिंदे की शिवसेना को एनसीपी पर बढ़त दिलाई गई, जिससे गठबंधन में उनका असंतोष कम होगा।
  • पवार पर नियंत्रण: वित्त विभाग पर पवार का एकछत्र अधिकार सीमित कर दिया गया, जिससे बीजेपी का दबदबा बना रहेगा।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम महायुति को भविष्य में स्थिरता देने की दिशा में अहम साबित होगा। खासकर तब, जब बीजेपी के 132 विधायक, शिंदे के 57 और पवार के 41 विधायक मिलकर 230 सीटों के साथ मजबूत बहुमत में हैं।

विपक्ष की प्रतिक्रिया

विपक्षी नेता और शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने इस कदम पर तंज कसते हुए कहा, "महाराष्ट्र के फैसले अब दिल्ली में नहीं, बल्कि शिंदे-पवार के बीच फाइलों के खेल में तय होंगे। यह दिखाता है कि महायुति में विश्वास की कमी है।" वहीं, कांग्रेस ने इसे "बीजेपी की कठपुतली सरकार" करार दिया।

Ragib Asim

Ragib Asim is a journalist currently employed as News Editor in NPG News (Digital). Born and brought up in Bettiah, Ragib journey began with print media and soon transitioned towards digital. He carries more than 10 years of experience in the field with focus on New media. He has previously worked with Hindustan Samachar, News Track, Janjwar, Special Coverage News Hindi. His interests include Science, Geopolitics, Economics and Current affairs.

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