Mahakumbh Stampede: मौनी अमावस्या के दिन कुंभ में हुई थीं 800 मौतें, बौराये हाथियों ने श्रद्धालुओं को कुचला, पीएम नेहरू को देखने मची थी भगदड़
Mahakumbh Stampede: पहली बार नहीं है जब महाकुंभ में ऐसा हुआ हो. आज से 71 साल पहले भी महाकुंभ में मौनी अमावस्या के दिन ही भगदड़ मची थी. जिसमे करीब 800 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी.

Mahakumbh Stampede: प्रयागराज महाकुंभ में आज, बुधवार 29 जनवरी मौनी अमावस्या के दिन दूसरा शाही स्नान चल रहा है. बड़ी संख्या में श्रद्धालु स्नान करने पहुंच रहे हैं. मंगलवार शाम से ही लोगों की भी लग गयी थी. इसके बाद वही हुआ जिसका डर था. भीड़ के चलते स्नान से पहले संगम नोज पर भगदड़ मच गई. कई लोग घायल हो गए कई परिवार अपनों से बिछड़ गए. भगदड़ की तसवीरें बेहद भयवाह थी. लेकिन यह पहली बार नहीं है जब महाकुंभ में ऐसा हुआ हो. आज से 71 साल पहले भी महाकुंभ में मौनी अमावस्या के दिन ही भगदड़ मची थी. जिसमे करीब 800 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी.
महाकुंभ 1954 की भदगड़ में 800 लोगों की मौत
घटना 3 फरवरी, साल 1954 की है. भारत का पहला महाकुंभ इलाहाबाद जिसे अब आज के प्रयागराज में आयोजित हुआ था. यह भारत की स्वतंत्रता के बाद पहला कुंभ मेला था.3 फरवरी को मौनी अमावस्या था. मौनी अमावस्या के शुभ अवसर पर शाही स्नान के लिए लाखों लोग संगम पर पहुंचे थे. उस दिन पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू भी महाकुंभ पहुंचे थे. उन्हें देखने के लिए लगी भीड़ के कारण त्रिवेणी बांध पर भगदड़ मच गयी.
भगदड़ के चलते लोग इधर उधर भागने लगे. हर तरफ धक्का-मुक्की होने लगी. इसी बीच मेले में मौजूद एक हाथी नियंत्रण से बाहर हो गया. हाथी ने कई श्रद्धालुओं को कुचल दिया. वहीँ, कई लोग भगदड़ के चलते नदी में डूब गए. बताया जाता है मौनी अमावस्या के दरमियानी रात को बारिश हुआ था. जिस वजह से गंगा में अचानक बहुत पानी बढ़ गया था. बारिश के कारण चारों तरफ कीचड़ और फिसलन थी. नदी में कई लोग डूब गए थे. वहीँ, भगदड़ के दौरान अखाड़ों का जुलूस भी चल रहा था. अफरा-तफरी से कुछ नागा साधु ने गुस्से में आकर त्रिशूल और चिमटों से लोगों पर हमला कर दिया था. लोग जान बचाने के लिए बिजली के खंभों से चढ़कर तारों पर लटक गए. लेकिन जान नहीं बच पाई. करीब 45 मिनट तक यह मौत का यह मंजर जारी रहा. इस घटना में दबकर और डूबकर करीब 800 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पंडित नेहरू ने कुंभ मेले में व्यवस्थाओं की समीक्षा करने के लिए एक दिन पहले ही मेले का दौरा किया था. घटना वाले दिन वह मौजूद नहीं थे. कुछ लोगों द्वारा अफवाह फैलाई गयी थी, कि प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू आ रहे हैं. जिस वजह से भीड़ उन्हें देखने के उत्सुक हो गयी थी और यह हादसा हुआ. इस हादसे पर पीएम नेहरू ने शौक भी व्यक्त किया था. साथ ही न्यायमूर्ति कमलाकांत वर्मा की अध्यक्षता में जांच कमेटी बनाई थी. वहीँ इसी घटना के बाद से कुंभ मेले में हाथियों के उपयोग पर हमेशा के लिए रोक लगा दी गई थी. दूसरी तरफ यूपी सरकार ने यह दावा किया था कि किसी की मौत नहीं है, लेकिन इस हादसे से इंकार करती रही. लेकिन एक तस्वीर सामने आने के बाद मौत की जानकारी सामने आयी और जांच में पता चला करीब 800 श्रद्धालुओं ने जान गवाये हैं.
1986 हरिद्वार कुंभ में 200 लोगों की गयी थी जान
साल 1986 में हरिद्वार में आयोजित कुंभ में 200 लोगों ने दम तोड़ा था. साल 1986 में हरिद्वार में कुंभ मेले का आयोजन किया गया था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों और सांसदों के साथ हरिद्वार पहुंचे थे. उस दौरान सुरक्षाकर्मियों ने आम लोगों को नदी के किनारे जाने से रोक दिया था. जिसके बाद भीड़ बेकबू हो गयी थी और भगदड़ मच गयी. जिसमे 200 लोगों की मौत हो गयी थी.
नासिक 2003 भगदड़ में 39 लोगों की मौत
महाराष्ट्र के नासिक में साल 2003 में कुंभ मेले का आयोजन किया गया था. जिसमे स्नान के लिए गोदावरी नदी में हजारों लोग इकठ्ठा हुए थे. इस दौरान भगदड़ मच गयी थी. जिसमे महिलाओं समेत 39 लोगों की मौत हुई थी. जबकि 100 से ज्यादा घायल हो गए.
प्रयागराज में हुआ था एक और हादसा
इसी तरह साल. 2013 में भी हादसा हुआ था. जिसमे 42 लोगों की मौत हो गई थी. उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में कुम्भ मेले का आयोजन हुआ था. 10 फरवरी, 2013 को मौनी अमावस्या का दिन था. कुंभ मेले में स्नान के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचे थे. जहाँ इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर प्लेटफार्म 6 के पास फुट ओवरब्रिज भारी भीड़ के चलते ढह गया था. फुटब्रिज ढहने से भगदड़ मची. जिसमे 42 लोगों की मौत हुई थी.और 45 घायल हो गए थे.