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Ladakh Violence: सोनम वांगचुक गिरफ्तार, सरकार ने NSA के तहत की कार्रवाई, पढ़ें कितने साल की हो सकती है सजा?

Ladakh Violence: नई दिल्ली: लद्दाख में बुधवार को हुए विरोध प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया था। पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को इस हिंसा के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत गिरफ्तार कर लिया गया है।

Ladakh Violence: सोनम वांगचुक गिरफ्तार, सरकार ने NSA के तहत की कार्रवाई, पढ़ें कितने साल की हो सकती है सजा?
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By Ragib Asim

Ladakh Violence: नई दिल्ली: लद्दाख में बुधवार को हुए विरोध प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया था। पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को इस हिंसा के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत गिरफ्तार कर लिया गया है। वांगचुक पिछले 14 दिनों से भूख हड़ताल पर थे। उनकी मांग थी कि लद्दाख को राज्य का दर्जा मिले और उसे संविधान की छठी अनुसूची में शामिल किया जाए। हिंसा के दौरान प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर तोड़फोड़ की और शहर स्थित बीजेपी दफ़्तर को आग के हवाले कर दिया। प्रशासन ने हालात काबू में करने के लिए सख्त कदम उठाए हैं।

क्या है मामला?
24 सितंबर 2025 को लेह में प्रदर्शनकारियों ने राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची की मांग को लेकर बड़ा मार्च निकाला। शुरुआत शांतिपूर्ण रही लेकिन कुछ ही देर में स्थिति बेकाबू हो गई।कम से कम 4 लोगों की मौत हुई। करीब 90 लोग घायल हो गए। प्रदर्शनकारियों ने सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया। बीजेपी ऑफिस में आग लगाई गई। स्थिति गंभीर होते ही प्रशासन ने लेह में कर्फ्यू लगा दिया और 50 से अधिक लोगों को हिरासत में ले लिया।
हिंसा के बाद लेह जिला मजिस्ट्रेट ने दो दिन के लिए सभी स्कूल, कॉलेज और आंगनवाड़ी केंद्र बंद करने का आदेश दिया। साथ ही लेह, कारगिल और अन्य महत्वपूर्ण शहरों में धारा 144 लागू कर दी गई। लद्दाख के उपराज्यपाल कविंद्र गुप्ता ने हाईलेवल सुरक्षा बैठक बुलाई और इस हिंसा को “षड्यंत्र” बताया। उन्होंने अधिकारियों को सतर्क रहने और संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा बढ़ाने के निर्देश दिए।
सोनम वांगचुक पर कार्रवाई
सोनम वांगचुक, जिन्हें लद्दाख की आवाज़ और पर्यावरण कार्यकर्ता के रूप में जाना जाता है, पर हाल के दिनों में दबाव बढ़ रहा था। उनकी NGO SECMOL का FCRA लाइसेंस रद्द किया जा चुका है। अब इस मामले की जांच CBI कर रही है। और अब उन पर NSA के तहत कार्रवाई हुई है।
NSA क्या है और इसमें कितनी सज़ा हो सकती है?
राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) साल 1980 में इंदिरा गांधी सरकार के दौरान लागू किया गया था। इसका मकसद है कि अगर सरकार को लगता है कि कोई व्यक्ति कानून-व्यवस्था के लिए खतरा है, आवश्यक सेवाओं की आपूर्ति रोक रहा है, या राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ख़तरा बन रहा है, तो उसे बिना किसी मुकदमे के हिरासत में लिया जा सकता है। किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को 12 महीने तक बिना आरोप साबित किए जेल में रखा जा सकता है। हिरासत की अवधि राज्य सरकार और केंद्र सरकार बढ़ा सकती है। अदालतें सीधे तौर पर इसमें दखल नहीं दे सकतीं, क्योंकि यह प्रिवेंटिव डिटेंशन कानून है।
यानी, सोनम वांगचुक को अगर सरकार चाहे तो एक साल तक जेल में रखा जा सकता है, भले ही उनके खिलाफ कोई औपचारिक चार्जशीट दाखिल न हो। वांगचुक लद्दाख में युवाओं और पर्यावरण आंदोलन की बड़ी पहचान हैं। उनकी गिरफ्तारी से स्थानीय लोगों में नाराज़गी और बढ़ सकती है। लद्दाख के लिए छठी अनुसूची की मांग लंबे समय से उठती रही है। प्रदर्शन में बड़ी संख्या में युवाओं और महिलाओं ने हिस्सा लिया। अब सवाल उठ रहा है कि क्या सरकार कड़े कानून का इस्तेमाल कर आंदोलन को दबाना चाहती है।
क्या है छठी अनुसूची?
छठी अनुसूची भारतीय संविधान की एक अहम अनुसूची है, जो पूर्वोत्तर भारत के कुछ आदिवासी क्षेत्रों को स्वायत्तता प्रदान करती है, ताकि उनकी संस्कृति, जमीन और संसाधनों की रक्षा की जा सके। यह अनुसूची आदिवासी बहुल पहाड़ी चार राज्यों- असम, मेघालय, त्रिपुरा, और मिजोरम में लागू है। यह जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन से संबंधित है जो इन समुदायों को अपनी पहचान और परंपराओं को बनाए रखने में मदद करती है। इसके तहत स्वायत्त जिला परिषदों (Autonomous District Councils - ADCs) का गठन किया जाता है, जो स्थानीय स्तर पर भूमि, जंगल, शिक्षा और टैक्स जैसे मामलों पर कानून बना सकती हैं।
छठी अनुसूची के प्रावधान भारतीय संविधान के अनुच्छेद 244(2) और 275(1) के तहत दिए गए हैं। इस अनुसूची का मुख्य उद्देश्य इन क्षेत्रों की जनजातीय आबादी की संस्कृति, उनकी पहचान और उनके अधिकारों की रक्षा करना है। यह इन क्षेत्रों को स्थानीय शासन और स्व-नियमन (Self Regulation) की अनुमति भी देता है। प्रावधानों के मुताबिक, प्रत्येक स्वायत्त जिले में एक परिषद होता है, जिसमें अधिकतम 30 सदस्य होते हैं। इनमें से 4 राज्यपाल या उपराज्यपाल द्वारा मनोनीत होते हैं और 26 वोटिंग के जरिए चुने जाते हैं।

Ragib Asim

रागिब असीम – समाचार संपादक, NPG News रागिब असीम एक ऐसे पत्रकार हैं जिनके लिए खबर सिर्फ़ सूचना नहीं, ज़िम्मेदारी है। 2013 से वे सक्रिय पत्रकारिता में हैं और आज NPG News में समाचार संपादक (News Editor) के रूप में डिजिटल न्यूज़रूम और SEO-आधारित पत्रकारिता का नेतृत्व कर रहे हैं। उन्होंने करियर की शुरुआत हिन्दुस्तान अख़बार से की, जहाँ उन्होंने ज़मीन से जुड़ी रिपोर्टिंग के मायने समझे। राजनीति, समाज, अपराध और भूराजनीति (Geopolitics) जैसे विषयों पर उनकी पकड़ गहरी है। रागिब ने जामिया मिलिया इस्लामिया से पत्रकारिता और दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की है।

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