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क्या देशभक्ति से बड़ा है खेल? भारत-पाक मैच पर सियासी घमासान, कांग्रेस ने BJP पर साधा निशाना..भाजपा ने किया पलटवार

भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाला हर क्रिकेट मैच सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि देश के जज्बातों से जुड़ा हुआ होता है। लाखों लोग इस मुकाबले को देखते हैं, लेकिन इस बार माहौल बिल्कुल अलग है

क्या देशभक्ति से बड़ा है खेल? भारत-पाक मैच पर सियासी घमासान, कांग्रेस ने BJP पर साधा निशाना..भाजपा ने किया पलटवार
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NPG file photo

By Ashish Kumar Goswami

नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाला हर क्रिकेट मैच सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि देश के जज्बातों से जुड़ा हुआ होता है। लाखों लोग इस मुकाबले को देखते हैं, लेकिन इस बार माहौल बिल्कुल अलग है। हाल ही में कश्मीर के पहलगाम में हुए भयानक आतंकी हमले ने देश को हिलाकर रख दिया है। इस हमले में 26 लोगों की मौत हो गई थी, और अब इस दुखद घटना के बाद पाकिस्तान के साथ क्रिकेट मैच खेलने को लेकर पूरे देश में सियासी बवाल मचा हुआ है।

विपक्ष ने उठाया सवाल: शहीदों का सम्मान या मुनाफा?

पहलगाम हमले के बाद विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार पर हमलावर है। कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव गुट) और आम आदमी पार्टी जैसी पार्टियां कह रही हैं कि जब हमारे सैनिक और नागरिक सीमा पर शहीद हो रहे हैं, तब पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलना देश की भावनाओं का अपमान है।

कांग्रेस का हमला

कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी, राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस. जयशंकर के पुराने बयानों को दिखाया गया है। इन बयानों में ये नेता कहते नजर आ रहे हैं कि 'खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते' और 'आतंकवाद और बातचीत एक साथ नहीं चलेंगे'। कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी की कथनी और करनी में फर्क है। कांग्रेस नेता इमरान मसूद ने तो यहां तक कहा कि यह मैच सिर्फ व्यापार के लिए खेला जा रहा है, ताकि कुछ लोगों को फायदा हो।

उद्धव ठाकरे का 'सिंदूर आंदोलन'

शिवसेना (उद्धव गुट) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने तो इस विरोध को और भी आक्रामक बना दिया है। उन्होंने पूरे महाराष्ट्र में 'सिंदूर आंदोलन' चलाने का ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि देशभक्त नागरिकों को इस मैच का बहिष्कार करना चाहिए और विरोध जताने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय को सिंदूर भेजना चाहिए। उनका कहना है कि यह खेल नहीं, बल्कि देश के आत्म-सम्मान और शहीदों की कुर्बानी का सवाल है।

खेल को राजनीति से अलग रखें: बीजेपी का पलटवार

वहीं, बीजेपी और उसके सहयोगी दलों का कहना है कि यह सिर्फ एक अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट है। बीजेपी सांसद और पूर्व खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा है कि ऐसे बड़े टूर्नामेंट्स में हिस्सा लेना जरूरी होता है, नहीं तो टीम को बाहर कर दिया जाएगा। उन्होंने साफ किया कि द्विपक्षीय सीरीज (दो देशों के बीच की सीरीज) को लेकर हमारी नीति पहले की तरह ही सख्त है और जब तक पाकिस्तान आतंकवाद नहीं रोकेगा, तब तक द्विपक्षीय मैच नहीं खेले जाएंगे।

शिंदे गुट की शिवसेना ने भी उद्धव ठाकरे पर पलटवार किया है। उनका कहना है कि जो नेता पहले सत्ता के लिए हिंदुत्व को छोड़ सकते थे, वे आज देशभक्ति की बात कर रहे हैं। उन्होंने ठाकरे के विरोध को सिर्फ राजनीतिक लाभ के लिए एक दिखावा बताया है।

क्या है असली मुद्दा?

पहलगाम आतंकी हमले के पीड़ित परिवारों ने भी इस मैच का विरोध किया है। शहीद शुभम के परिवार ने सरकार से पूछा है कि आखिर आतंकी हमले के बाद भी पाकिस्तान के साथ मैच क्यों खेला जा रहा है? कांग्रेस नेता उदित राज ने भी इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि, क्या बीसीसीआई देश की जनभावनाओं से ऊपर है?

इस पूरे विवाद ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि, क्या हम अपने राष्ट्रीय सम्मान को खेल और व्यापार से ऊपर रखते हैं? जहां एक तरफ खेल प्रेमियों के लिए यह सिर्फ एक रोमांचक मुकाबला है, वहीं दूसरी तरफ कई लोगों के लिए यह उन शहीदों के अपमान जैसा है, जिन्होंने देश के लिए अपनी जान दी है। यह मैच सिर्फ क्रिकेट का नहीं, बल्कि देश की भावना और राजनीति के बीच चल रहे घमासान का मैदान बन चुका है।

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