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Justice BR Gavai Biography Hindi: जस्टिस बीआर गवई बनेंगे देश के 52 वें CJI, 370, नोटबंदी और बुलडोजर एक्शन पर दिए फैसला देकर बनाया इतिहास, जानिए उनकी पूरी कहानी!

New Chief Justice of India:– जस्टिस बीआर गवई देश के नए मुख्य न्यायाधीश Chief Justice Of India होंगे। वे 14 मई को CJI का कार्यभार संभालेंगे। अनुसूचित जाति वर्ग से आने वाले गवई देश के दूसरे CJI होंगे। वे वर्तमान सीजेआई जस्टिस संजीव खन्ना का स्थान लेंगे। उनका कार्यकाल मात्र 6 माह का होगा।

Justice BR Gavai Biography Hindi: जस्टिस बीआर गवई बनेंगे देश के 52 वें CJI, 370, नोटबंदी और बुलडोजर एक्शन पर दिए फैसला देकर बनाया इतिहास, जानिए उनकी पूरी कहानी!
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By Ragib Asim

Justice BR Gavai Biography Hindi: जस्टिस बीआर गवई को देश का नया सीजेआई घोषित किया गया है। वे 14 मई को चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया का कार्यभार संभालेंगे। जस्टिस गवई देश के 52 वें चीफ जस्टिस होंगे। वे वर्तमान चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की जगह लेंगे। अनुसूचित जाति वर्ग से आने वाले जस्टिस गवई देश के दूसरे चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया होंगे। 2003 से जस्टिस के रूप में न्यायिक करियर की शुरुआत करने वाले गवई का चीफ जस्टिस के रूप में कार्यकाल 23 नवंबर 2025 तक होगा।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस के तौर पर उन्होंने कई महत्वपूर्ण फैसले दिए। चुनावी बांड को असंवैधानिक घोषित करने, राजीव गांधी हत्याकांड के दोषियों की रिहाई, ईडी निदेशक संजय मिश्रा के कार्यकाल विस्तार को अवैध घोषित करने, उत्तर प्रदेश सरकार के बुलडोजर एक्शन पर रोक लगाने, कश्मीर से धारा 370 हटाने, नोटबंदी को वैध ठहराने जैसे महत्वपूर्ण फैसलों में शामिल रहे हैं।

जस्टिस बीआर गवई का पूरा नाम भूषण रामकृष्ण गवई है। वे मूलतः महाराष्ट्र के अमरावती के रहने वाले हैं। उनका जन्म 24 नवंबर 1960 को अमरावती में ही हुआ है। उनके पिता स्वर्गीय आरएस गवई प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता थे। वे रिपब्लिकन पार्टी ऑफ़ इंडिया के सक्रिय सदस्य थे। आरपीआई से सांसद रहने के बाद बिहार,केरल और सिक्किम के राज्यपाल रहे। गवई के पिता और पूरा परिवार अंबेडकरवादी विचारधारा को मानने वाला है। कुछ कार्यक्रमों में जस्टिस बीआर गवई ने भी अंबेडकर की नीतियों को सराहा है। अपने व्याख्यान में गवई ने कहा था कि उन्हें जब 2003 में मुंबई हाई कोर्ट का जस्टिस बनाया गया था तब मुंबई हाई कोर्ट में कोई दलित समुदाय या अनुसूचित जाति का न्यायाधीश नहीं था, इसलिए उन्हें जस्टिस बनाया गया।

जस्टिस गवई ने नागपुर यूनिवर्सिटी से BA LLB की डिग्री ली। 16 मार्च 1985 को वकील के रूप में रजिस्ट्रेशन कराने के बाद वकालत शुरू की। 1987 तक मुंबई हाई कोर्ट में सीनियर एडवोकेट राजा भोसले के जूनियर के तौर पर काम किया। राजा भोसले बाद में जस्टिस बने। फिर 1987 से 1990 तक मुंबई हाई कोर्ट में स्वतंत्र रूप से प्रैक्टिस की। 1990 से मुंबई हाई कोर्ट की नागपुर बेंच में प्रेक्टिस करने लगे। उन्हें संवैधानिक, कानूनी और प्रशासनिक मुद्दों पर दक्षता हासिल है। वे महाराष्ट्र के विभिन्न नगर निगमों के वकील भी रहे। नागपुर नगर निगम,अमरावती नगर निगम और अमरावती विश्वविद्यालय के स्थायी वकील भी रहे। गवई अगस्त 1992 से जुलाई 1993 तक मुंबई हाई कोर्ट के नागपुर पीठ में स्थाई वकील रहे।

17 जनवरी सन 2000 को मुंबई हाई कोर्ट की नागपुर पीठ के लिए उन्हें एडिशनल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर नियुक्त किया गया।

2003 में बने जज:

बीआर गवई को 14 नवंबर 2003 को मुंबई हाई कोर्ट का एडिशनल जज ( अतिरिक्त न्यायाधीश) नियुक्त किया गया। 12 नवंबर 2005 को उन्हें स्थायी नियुक्ति दी गई। मुंबई हाई कोर्ट के अलावा जस्टिस गवई नागपुर,औरंगाबाद बेंच,गोवा की पणजी हाई कोर्ट में भी रहे और विभिन्न प्रकार के मामलों में फैसला दिया। 16 साल तक हाई कोर्ट जज रहने के बाद 24 मई 2019 को उन्हें प्रमोशन देकर सुप्रीम कोर्ट का जस्टिस बनाया गया।

अनुसूचित जाति वर्ग से आने वाले दूसरे सीजेआई:

2010 में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के पद से रिटायर होने वाले केजी बालाकृष्णन पहले ऐसे सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश थे जो अनुसूचित जाति वर्ग से आते थे। उनके रिटायरमेंट के 9 सालों बाद बीआर गवई अनुसूचित जाति वर्ग से आने वाले दूसरे सीजेआई हैं।

जस्टिस गवई द्वारा सुनाए गए महत्वपूर्ण फैसले:

6 सालों के कार्यकाल में जस्टिस बीआर गवई ने 150 से अधिक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कुछ महत्वपूर्ण फैसले जिसने सुर्खियां बटोरी

नोटबंदी को बरकरार रखा:

नवंबर 2016 में केंद्र सरकार के नोटबंदी आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने 4:1 से बहुमत से फैसला करते हुए कहा था कि नोटबंदी केंद्र के घोषित उद्देश्यों के अनुपात में थी जिसे उचित अनुपात में लागू किया गया था। नोटबंदी के फैसले को सही ठहराते हुए बेंच ने कहा था कि नोटबंदी का निर्णय केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक के बीच परामर्श के बाद लिया गया। इस बेंच में जस्टिस गवई भी थे।

उज्जैन के महाकाल मंदिर में ज्योतिर्लिंग का क्षरण रोकने दिया फैसला:

उज्जैन के महाकाल मंदिर में ज्योतिर्लिंग के क्षरण रोकने के लिए लगी याचिका में आठ बिंदुओं पर महत्वपूर्ण फैसला दिया था।

राजीव गांधी हत्याकांड के दोषियों की रिहाई:

राजीव गांधी हत्याकांड के दोषियों की रिहाई के लिए बने संविधान पीठ में जस्टिस गवई अध्यक्ष थे। वर्ष 2022 में राजीव गांधी हत्याकांड के आरोप में 30 साल से ज्यादा जेल में बंद 6 दोषियों की रिहाई का आदेश दिया था। जिसका आधार यह था कि तमिलनाडु सरकार की सिफारिश पर राज्य सरकार ने कोई कार्यवाही नहीं की।

अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने का फैसला रखा था बरकरार:

जम्मू कश्मीर से धारा 370 के प्रावधानों को निरस्त करने के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई हेतु गठित संविधान पीठ का हिस्सा बीआर गवई थे। पीठ ने दिसंबर 2023 में जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 के प्रावधानों को निरस्त करने के केंद्र सरकार के फैसले को सर्वसम्मति से बरकरार रखा था।

चुनावी बांड को किया था असंवैधानिक घोषित:

चुनावी फंडिंग के लिए बनाए गए चुनावी बांड को रद्द करने का फैसला जस्टिस गवई की सदस्यता वाली बेंच का था।

ईडी निदेशक के कार्यकाल को बताया था अवैध,:

ईडी के निदेशक संजय मिश्रा के कार्यकाल को केंद्र सरकार द्वारा लगातार विस्तार दिया जा रहा था। तीसरी बार दिए गए विस्तार को अवैध बताते हुए उन्हें 31 जुलाई 2023 तक पद छोड़ने के निर्देश दिए।

बुलडोजर एक्शन पर लगाई रोक:

  • जस्टिस गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने 2024 में उत्तर प्रदेश में बुलडोजर एक्शन पर रोक लगाने वाला महत्वपूर्ण फैसला दिया था।
  • मोदी सरनेम मामले में राहुल गांधी द्वारा की गई विवादित टिप्पणी में उन्हें दो साल की सजा के बाद संसद की सदस्यता अवैध करार दी गई थी। जिस पर गवई ने राहुल गांधी को राहत दी थी।
  • सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता शीतलवाड़ा और शराब घोटाले में जेल में बंद दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को जमानत दी थी।

Ragib Asim

रागिब असीम – समाचार संपादक, NPG News रागिब असीम एक ऐसे पत्रकार हैं जिनके लिए खबर सिर्फ़ सूचना नहीं, ज़िम्मेदारी है। 2013 से वे सक्रिय पत्रकारिता में हैं और आज NPG News में समाचार संपादक (News Editor) के रूप में डिजिटल न्यूज़रूम और SEO-आधारित पत्रकारिता का नेतृत्व कर रहे हैं। उन्होंने करियर की शुरुआत हिन्दुस्तान अख़बार से की, जहाँ उन्होंने ज़मीन से जुड़ी रिपोर्टिंग के मायने समझे। राजनीति, समाज, अपराध और भूराजनीति (Geopolitics) जैसे विषयों पर उनकी पकड़ गहरी है। रागिब ने जामिया मिलिया इस्लामिया से पत्रकारिता और दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की है।

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