Yashwant Varma Case: कैश कांड में नया मोड़! जस्टिस वर्मा ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा, जांच समिति की प्रक्रिया पर उठाए सवाल
Judge Yashwant Verma Case Kand: इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) के न्यायाधीश यशवंत वर्मा (Judge Yashwant Verma) द्वारा सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का दरवाजा खटखटाना न्यायापालिका से जुड़ी एक संवेदनशील और बेहद अहम कहानी को नया मोड़ दे रहा है। उनके दिल्ली स्थित सरकारी बंगले में भारी मात्रा में नकदी मिलने और उसके बाद महाभियोग की सिफारिश ने जहां न्यायिक व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं, वहीं अब वर्मा द्वारा आंतरिक जांच प्रक्रिया को चुनौती देना इस मामले को संवैधानिक लड़ाई के रूप में स्थापित करता है।

Judge Yashwant Verma Case Kand: इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) के न्यायाधीश यशवंत वर्मा (Judge Yashwant Verma) द्वारा सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का दरवाजा खटखटाना न्यायापालिका से जुड़ी एक संवेदनशील और बेहद अहम कहानी को नया मोड़ दे रहा है। उनके दिल्ली स्थित सरकारी बंगले में भारी मात्रा में नकदी मिलने और उसके बाद महाभियोग की सिफारिश ने जहां न्यायिक व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं, वहीं अब वर्मा द्वारा आंतरिक जांच प्रक्रिया को चुनौती देना इस मामले को संवैधानिक लड़ाई के रूप में स्थापित करता है।
नहीं दिया अपना पक्ष रखने का उचित अवसर
जस्टिम वर्मा (Judge Yashwant Verma) ने अपनी याचिका में कहा कि तीन सदस्यीय आंतरिक जांच समिती ने उन्हें अपना पक्ष रखने का उचित अवसर नहीं दिया। उनका कहना है कि समिती की कार्रवाई एकतरफा थी और पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना (Former Chief Justice Sanjeev Khanna) द्वारा की गई महाभियोग की सिफाारिश पूर्वाग्रहणपूर्ण रही। यह याचिका संसद के मानसून सत्र (Sansad Ka Monsoon Satra) से ठीक पहले दायर की गई है, जिससे राजनीतिक सरगर्मी और तेज हो गई है। केंद्र सरकार महाभियोग प्रस्कताव लाने की दिशा में आगे बढ़ चुकी है और इसके लिए हस्ताक्षर अभियान चलाया गया है। विपक्ष भी आश्चर्यजनक रूप से इस प्रस्ताव पर सरकार के साथ कदमताल करता दिख रहा है।
मालबे में मिला नकदी
मामला उस समय उजागर हुआ जब 14 मार्च को दिल्ली में तुगलक क्रीसेंट स्थित जस्टिस वर्मा (Judge Yashwant Verma) के बंगले में आग लगने की खबर सामने आई। स्टोररूम में लगी आग के बाद दमकर विभाग ने जब मालबा हटाया तो कथित तौर पर वहां से बड़ी मात्रा में नकदी बरामद हुई। उस समय न्यायाधीश वर्मा स्वयं घर पर मौजूद नहीं थे, लेकिन उनकी बेटी, मां, एक विश्वस्त नौकर और कार्की नामक व्यक्ति वहां थे।
जांच समिति ने जताया संदेह
आंतरिक जांच समिति ने पाया कि इन सभी ने गुमराह करने वाले बयान दिए और नकदी की मौजूदगी से इनकार किया, जबकि जांच के दौरान नोटों के बंडलों के प्रमाण पत्र मिले। यही आधार बनाकर समिति ने संदेह जताया कि यह बेहिसाब धनराशि अवैध हो सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के लिए दी थी सहमति
इस घटनाक्रम के कुछ ही दिनों बाद सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति दी थी, जिसमें दिल्ली पुलिस और ईडी को जस्टिस वर्मा (Judge Yashwant Verma) के खिलाफ FIR दर्ज करने और प्रभावी जांच की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया था कि इतनी बड़ी रकम का मिलना संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है, इसलिए पुलिस का दायित्व है कि वह स्वतः FIR दर्ज करे। अब जब न्यायामूर्ती वर्मा (Judge Yashwant Verma) स्वयं सुप्रिम कोर्ट में जांच समिति की निष्पक्षता को चुनौती दे रहे हैं, यह मामला केवल नकदी की बरामदगी तक सीमित नहीं रह गया है। यह न्यायिक पारदर्शिता बनाम न्यायाधीशों की गरिमा के द्वंद्व में बदल चुका है।
