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Supreme Court: रिटायरमेंट उम्र तय करना कर्मचारी का अधिकार नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने दिव्यांग कर्मचारी की याचिका आंशिक रूप से मंजूर की

रिटायरमेंट को लेकर विवाद के बीच दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी कर्मचारी को इस बात का कोई मौलिक अधिकार नहीं दिया गया है कि वह किस आयु में रिटायर होगा। यह अधिकार संबंधित राज्य सरकार के पास अंतर्निहित है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता की याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए राज्य सरकार को जरुरी दिशा निर्देश जारी किया है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा: अपराध के बाद फरार होना अपने आप में दोष साबित नहीं करता, लेकिन यदि......।
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Supreme Court

By Radhakishan Sharma

दिल्ली। राज्य सरकार के रिटायरमेंट के एक फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। याचिकाकर्ता की याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए खंडपीठ ने कहा कि किसी कर्मचारी को अपने सेवानिवृति को लेकर उम्र निर्धारित करने का कोई अधिकार नहीं दिया गया है। यह अधिकार संबंधित राज्य सरकार के पास अंतर्निहित है। अनुच्छेछ 14 के तहत समानता के सिद्धांत का पालन करते हुए प्रयोग करने की जिम्मेदारी राज्य सरकार को दी गई है। याचिका की सुनवाई जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस केवी विश्वनाथन की खंडपीठ में हुई। याचिकाकर्ता लोकोमोटर दिव्यांग है और वह इलेक्ट्रीशियन के पद पर कार्यरत है। याचिका के अनुसार राज्य सरकार ने उसे 58 वर्ष की आयु में रिटायर होने के लिए मजबूर किया गया था। याचिकाकर्ता ने राज्य सरकार पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि दिव्यांग होने के कारण रिटायरमेंट के लिए निर्धारित उम्र से पहले उसे रिटायरमेंट के लिए मजबूर किया गया जबकि इसी तरह के दृष्टिबाधित कर्मचारियों को 60 वर्ष तक सेवा करने की अनुमति दी गई थी।

याचिकाकर्ता ने राज्य शासन द्वारा जारी आदेश का हवाला देते हुए कहा कि कार्यालय ज्ञापन Office Memorendom के माध्यम से दृष्टिबाधित कर्मचारियों के रिटायरमेंट की आयु बढ़ाकर 60 वर्ष कर दी गई थी। बाद में राज्य सरकार ने अपना आदेश वापस ले लिया था। जिसमें रिटायरमेंट की आयु 58 वर्ष तय की गई थी। याचिकाकर्ता को अन्य समान स्थिति वाले कर्मचारियों को दिए गए समान रिटायरमेंट लाभों की अनुमति देने से इंकार करने वाले विवादित निर्णय को अलग रखते हुए कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता अन्य कर्मचारियों को दिए गए समान लाभों का हकदार है, लेकिन स्पष्ट किया कि लाभ उसे OM वापस लेने की तिथि तक मिलेंगे। कोर्ट ने कहा कि आगे सेवा विस्तार का दावा करने का अधिकार नहीं मिलेगा, क्योंकि रिटायरमेंट की तिथि का निर्धारण कार्यकारी का नीतिगत निर्णय है। जहां कर्मचारी को अपनी रिटायरमेंट की आयु निर्धारित करने का अधिकार नहीं है।

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि राज्य सरकार द्वारा जिस तिथि को OM जारी किया गया, उस तिथि को याचिकाकर्ता को 60 वर्ष की आयु तक सेवा में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है।लिहाजा याचिकाकर्ता 04 नवंबर 2019 से आगे सेवा में बने रहने का हकदार नहीं है। कोर्ट ने अपील को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता 04 नवंबर 2019 तक सेवा में बने रहने के लाभ का हकदार होगा। साथ ही सभी परिणामी लाभ जो उसकी पेंशन को प्रभावित कर सकते हैं राज्य सरकार को देने का निर्देश दिया है।

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