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Israel Hamas War: भाकपा, माकपा ने गाजा में युद्धविराम पर संयुक्त राष्ट्र में मतदान से भारत के दूर रहने पर हैरानी जताई

Israel Hamas War: भाकपा और माकपा ने शनिवार को गाजा में युद्धविराम के लिए मतदान से भारत के दूर रहने पर हैरानी जताई की और केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि यह दर्शाता है कि भारतीय विदेश नीति किस हद तक अमेरिकी साम्राज्यवाद के अधीनस्थ सहयोगी की तरह आकार ले रही है।

Israel Hamas War: भाकपा, माकपा ने गाजा में युद्धविराम पर संयुक्त राष्ट्र में मतदान से भारत के दूर रहने पर हैरानी जताई
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By Npg

Israel Hamas War: भाकपा और माकपा ने शनिवार को गाजा में युद्धविराम के लिए मतदान से भारत के दूर रहने पर हैरानी जताई की और केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि यह दर्शाता है कि भारतीय विदेश नीति किस हद तक अमेरिकी साम्राज्यवाद के अधीनस्थ सहयोगी की तरह आकार ले रही है।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) नेता डी. राजा और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नेता सीताराम येचुरी ने एक संयुक्त बयान में कहा : "यह चौंकाने वाली बात है कि भारत संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा भारी बहुमत से अपनाए गए उस प्रस्ताव से दूर रहा, जिसमें गाजा में चल रहे इजरायली हमले के मद्देनजर 'नागरिकों की सुरक्षा और कानूनी व मानवीय दायित्वों को कायम रखने' का आह्वान किया गया है।"

उन्‍होंने आगे कहा, "एक प्रस्ताव से भारत का किनारा कर लेना, जिसे भारी बहुमत से अपनाया गया, यह दर्शाता है कि अमेरिकी साम्राज्यवाद के अधीनस्थ सहयोगी होने का सबूत पेश करते हुए नरेंद्र मोदी सरकार अमेरिका-इजरायल-भारत सांठगांठ को मजबूत करने के लिए भारतीय विदेश नीति को किस हद तक आकार दे रही है। यह फिलिस्तीन को लंबे अरसे से भारत से मिलते रहे समर्थन को नकारता है।”

संयुक्त बयान में कहा गया कि जैसे ही संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इस प्रस्ताव को अपनाया, "इजरायल ने गाजा पट्टी में अपने नरसंहारक हवाई और जमीनी हमले तेज कर दिए हैं।" इसमें कहा गया, "इसने गाजा में संचार के सभी साधन भी ठप कर दिए हैं, जहां 22 लाख फिलिस्तीनी रहते हैं।"

बयान में कहा गया, "संयुक्त राष्ट्र महासभा के भारी जनादेश का सम्मान करते हुए तत्काल युद्धविराम होना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र को राजधानी के रूप में पूर्वी येरुसलम के साथ 1967 से पहले की सीमाओं के साथ 2-राज्य समाधान के लिए सुरक्षा परिषद के आदेश को लागू करने के लिए खुद को फिर से सक्रिय करना चाहिए।"

यह टिप्पणी तब आई, जब भारत ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में जॉर्डन द्वारा पेश एक मसौदा प्रस्ताव पर मतदान से परहेज किया, जिसमें इज़रायल-हमास संघर्ष में तत्काल मानवीय संघर्ष विराम का आह्वान किया गया था, क्योंकि इसमें आतंकवादी संगठन हमास का जिक्र नहीं किया गया था। भारत ने पहली बार फिलिस्तीन मुद्दे का समर्थन करने वाले संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया है।

शुक्रवार को प्रस्ताव पर भारत का विरोध इसलिए था, क्योंकि वह हमास के आतंकवादी हमले की निंदा करने में विफल रहा और महासभा ने नई दिल्ली द्वारा समर्थित एक संशोधन को खारिज कर दिया, जिसमें आतंकवादी संगठन का नाम दिया गया था। भारत की उप स्थायी प्रतिनिधि योजना पटेल ने मतदान के बाद कहा, ''इजरायल में 7 अक्टूबर को हुए आतंकी हमले चौंकाने वाले थे और ये निंदा के पात्र हैं।

उन्‍होंने कहा, "राजनीतिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के साधन के रूप में हिंसा अंधाधुंध नुकसान पहुंचाती है, और किसी भी टिकाऊ समाधान का मार्ग प्रशस्त नहीं करती है। 7 अक्टूबर को इजरायल में आतंकवादी हमले चौंकाने वाले थे और निंदा के लायक थे। हमारी संवेदनाएं बंधक बनाए गए लोगों के साथ भी हैं। हम उनकी तत्काल और बिना शर्त रिहाई मांग करते हैं। आतंकवाद एक घातक बीमारी है और इसकी कोई सीमा, राष्ट्रीयता या नस्ल नहीं होती। दुनिया को आतंकी कृत्यों के औचित्य पर विश्‍वास नहीं करना चाहिए। आइए, हम मतभेदों को दूर रखें, एकजुट हों और आतंकवाद के प्रति शून्य-सहिष्णुता का दृष्टिकोण अपनाएं।"

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