Indigo Flight Cancellation Crisis : DGCA के नए नियम : इंडिगो की लापरवाही से यात्री हलाकान, देश की सबसे बड़ी एयरलाइन को पायलट संकट, फिर सरकारी फरमान, जानें अब तक क्या-क्या हुआ
Indigo Flight Cancellation Crisis : इंडिगो एयरलाइंस, जो हमारे देश की सबसे बड़ी हवाई कंपनी है, हाल ही में एक बड़े झमेले से गुज़री है। उनकी बहुत सारी फ्लाइट्स कैंसिल हुईं और लेट हुईं, जिससे लाखों यात्रियों को बहुत ज़्यादा परेशानी उठानी पड़ी। आख़िर में सरकार को बीच में आकर सख़्त एक्शन लेना पड़ा।

Indigo Flight Cancellation Crisis : DGCA के नए नियम : इंडिगो की लापरवाही से यात्री हलाकान, देश की सबसे बड़ी एयरलाइन को पायलट संकट, फिर सरकारी फरमान, जानें अब तक क्या-क्या हुआ
Indigo Flight Cancellation Crisis : इंडिगो एयरलाइंस, जो हमारे देश की सबसे बड़ी हवाई कंपनी है, हाल ही में एक बड़े झमेले से गुज़री है। उनकी बहुत सारी फ्लाइट्स कैंसिल हुईं और लेट हुईं, जिससे लाखों यात्रियों को बहुत ज़्यादा परेशानी उठानी पड़ी। आख़िर में सरकार को बीच में आकर सख़्त एक्शन लेना पड़ा।
Indigo Flight Cancellation Crisis : यहाँ जानिए, ये पूरा मामला क्या था, ये गड़बड़ी कब-कब हुई और सरकार ने क्या कदम उठाए:
संकट की जड़ क्या थी?
यह पूरा मामला सरकारी नियम बदलने से शुरू हुआ। हमारे देश में हवाई सुरक्षा देखने वाली संस्था DGCA ने पायलटों और क्रू स्टाफ की थकान कम करने और सुरक्षा बढ़ाने के लिए कुछ नए नियम बनाए थे। इन्हें FDTL नियम (Flight Duty Time Limitation) कहते हैं।
नियम कब लागू हुए : ये नए नियम, जिनमें पायलटों को ज़्यादा आराम देना और उनकी ड्यूटी के घंटे कम करना शामिल था, 1 नवंबर 2025 से पूरी तरह लागू हो गए।
इंडिगो की लापरवाही : इंडिगो को इन नए नियमों के हिसाब से अपने पायलटों की ड्यूटी का टाइम-टेबल (रोस्टर) बदलना था और ज़्यादा पायलट भर्ती करने थे। लेकिन इंडिगो ने पर्याप्त तैयारी नहीं की।
नवंबर में ही चेतावनी : तैयारी की कमी के कारण नवंबर 2025 में ही इंडिगो की 1,200 से ज़्यादा उड़ानें रद्द हो गईं। लेकिन दिसंबर में यह समस्या बेकाबू हो गई।
कब-कब क्या हुआ?
दिसंबर की शुरुआत में, जैसे ही ये नए नियम सख़्ती से लागू हुए, इंडिगो के पास ड्यूटी पर लगाने के लिए पर्याप्त पायलट नहीं बचे।
3 से 5 दिसंबर 2025 : इस दौरान अचानक कैंसिलेशन और देरी की ख़बरें हर तरफ फैल गईं।
सबसे बुरा दिन (5 दिसंबर): यह दिन सबसे खराब था। एक ही दिन में 1,000 से ज़्यादा फ्लाइट्स कैंसिल होने की खबरें आईं। दिल्ली, बेंगलुरु जैसे बड़े एयरपोर्ट पर हज़ारों यात्री फंसे रहे, जिससे चारों तरफ़ अफरा-तफरी मच गई।
कितने लोग प्रभावित : लगातार एक हफ़्ते तक चली इस गड़बड़ी में 5,000 से ज़्यादा उड़ानें रद्द हुईं और लगभग 6 लाख यात्री बुरी तरह प्रभावित हुए। लोगों को पता ही नहीं चल रहा था कि उनकी फ्लाइट उड़ेगी या नहीं।
सरकार ने क्या एक्शन लिया?
जब देश भर में यात्रियों का गुस्सा फूटा और स्थिति काबू से बाहर हो गई, तो नागरिक उड्डयन मंत्रालय और DGCA ने सख़्त कदम उठाए:
कारण बताओ नोटिस : DGCA ने इंडिगो के CEO (मुख्य अधिकारी) को नोटिस भेजकर पूछा कि इतनी बड़ी गड़बड़ी क्यों हुई।
फ्लाइट्स कम करने का आदेश : सरकार ने इंडिगो को तुरंत अपनी रोज़ की उड़ानों की संख्या में 10% की कटौती करने का कड़ा निर्देश दिया। यह कटौती इसलिए की गई ताकि बची हुई 90% फ्लाइट्स के लिए पायलट आसानी से मिल सकें और नियम न टूटे।
जाँच टीम बनाई : सरकार ने पता लगाने के लिए एक जाँच समिति बनाई कि इंडिगो ने पायलटों की भर्ती और ड्यूटी मैनेज करने में कहाँ गलती की।
किराया कंट्रोल किया : संकट के समय टिकट के दाम बहुत ज़्यादा बढ़ गए थे, जिसे देखते हुए सरकार ने टिकट के किराए की अधिकतम सीमा (Fare Cap) तय कर दी ताकि एयरलाइन यात्रियों को लूट न सकें।
रिफंड का आदेश : सरकार ने इंडिगो को निर्देश दिया कि यात्रियों को रद्द टिकटों का पैसा (रिफंड) तुरंत वापस दिया जाए और उनका फंसा हुआ सामान भी जल्द से जल्द उन तक पहुँचाया जाए।
अन्य एयरलाइंस को मदद के लिए कहा : सरकार ने एयर इंडिया और अकासा एयर जैसी बाकी कंपनियों से कहा कि वे ज़्यादा फ्लाइट्स चलाएं ताकि इंडिगो की कैंसिल हुई उड़ानों से आई कमी को पूरा किया जा सके।
अभी की स्थिति: सरकार के आदेश के बाद, इंडिगो ने 10% फ्लाइट्स कम कर दी हैं और चीज़ों को संभालने की कोशिश कर रही है। सरकार ने चेतावनी दी है कि अगर दोबारा ऐसी गड़बड़ी हुई तो और कड़े कदम उठाए जाएंगे।
मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा
इस बीच, देशभर में फैली अफरा-तफरी और लाखों यात्रियों के प्रभावित होने के बाद, यह पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुँचा। प्रभावित यात्रियों के एक समूह ने देश की सर्वोच्च अदालत में याचिका दायर कर कोर्ट से सीधे हस्तक्षेप करने और इंडिगो को सख्त मुआवज़ा देने का निर्देश देने की मांग की। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कोई भी एक्शन लेने से मना कर दिया।
कोर्ट ने तर्क दिया कि यह संकट नागरिक उड्डयन मंत्रालय और DGCA के अधिकार क्षेत्र का विषय है। चूंकि सरकारी संस्थाएं पहले ही इस मामले में सख़्त कदम उठा रही हैं, जैसे कि इंडिगो की उड़ानें कम करना और रिफंड सुनिश्चित करना, इसलिए कोर्ट का मानना था कि इस स्तर पर न्यायिक हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
