Indigo Crisis Supreme Court : लाखों लोग परेशान, फिर भी SC का हाथ पीछे, इंडिगो संकट पर CJI का बड़ा फैसला— दखल से इनकार, कहा सरकार को ही संभालने दो
Indigo Crisis Supreme Court : देश भर के हवाई अड्डों पर पिछले सात दिनों से इंडिगो एयरलाइंस की उड़ानों के लगातार रद्द होने और भारी देरी से उत्पन्न हुए संकट को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है।

Indigo Crisis Supreme Court : लाखों लोग परेशान, फिर भी SC का हाथ पीछे, इंडिगो संकट पर CJI का बड़ा फैसला— दखल से इनकार, कहा सरकार को ही संभालने दो
Indigo Crisis Supreme Court : नई दिल्ली। देश भर के हवाई अड्डों पर पिछले सात दिनों से इंडिगो एयरलाइंस की उड़ानों के लगातार रद्द होने और भारी देरी से उत्पन्न हुए संकट को लेकर दायर जनहित याचिका (PIL) पर सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश (CJI) ने साफ कहा कि भले ही लाखों यात्री इस समस्या से जूझ रहे हैं, लेकिन क्योंकि सरकार इस मामले को देख रही है, इसलिए कोर्ट का दखल देना अभी उचित नहीं है।
Indigo Crisis Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट ने दखल से किया इनकार
इंडिगो एयरलाइंस के परिचालन संकट को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इस पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा कि "हम समझते हैं कि लाखों लोग इस समस्या का सामना कर रहे हैं, लेकिन अभी सरकार इस मामले में कदम उठा रही है। अगर हालत जस के तस बने रहते, तो बात अलग थी। हम चाहते हैं कि सरकार को ही इसे संभालने दिया जाए।"
याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट को बताया कि वर्तमान में लगभग 2500 उड़ानें विलंबित हैं और 95 हवाई अड्डे प्रभावित हैं, जिससे एक बड़े मानवीय संकट की स्थिति पैदा हो गई है। याचिका में कोर्ट से इस पूरे संकट पर स्वतः संज्ञान लेने, तुरंत हस्तक्षेप करने और प्रभावित यात्रियों के लिए वैकल्पिक यात्रा की व्यवस्था करने के साथ-साथ मुआवजे की मांग की गई थी।
FDTL नियम और मौलिक अधिकारों के उल्लंघन का आरोप
सुप्रीम कोर्ट के वकील नरेंद्र मिश्रा ने यह जनहित याचिका दायर की थी। याचिका में उड़ानों के रद्द होने के पीछे पायलटों के लिए बनाए गए नए FDTL (Flight Duty Time Limitations) नियमों की योजना को गलत तरीके से लागू करने को मुख्य वजह बताया गया। याचिकाकर्ता ने यह भी दावा किया कि इस तरह से बिना पूर्व सूचना के इंडिगो की उड़ानों को रद्द करना यात्रियों के अनुच्छेद 21 (जीने का अधिकार) के तहत प्राप्त मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है, क्योंकि इससे यात्रियों को भारी परेशानी उठानी पड़ रही है।
याचिकाकर्ता के वकील ने मामले की गंभीरता को देखते हुए 6 दिसंबर को CJI के आवास पर पहुंचकर तत्काल सुनवाई की मांग भी की थी, जिसके बाद यह मामला कोर्ट तक पहुंचा। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार पर भरोसा जताते हुए, फिलहाल न्यायिक हस्तक्षेप से इनकार कर दिया है और उम्मीद जताई है कि नागरिक उड्डयन प्राधिकरण जल्द ही स्थिति को सामान्य कर लेगा।
