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IAS Officer Gets Jail: अड़ियल IAS अफसर को जेल! 25 हजार का लगा जुर्माना, हाईकोर्ट ने सुनाई सजा, जानिए पूरा मामला

IAS Officer Gets Jail: मद्रास हाईकोर्ट ने शुक्रवार को वरिष्ठ आईएएस (IAS) अधिकारी अंशुल मिश्रा को एक ऐसा सबक सिखाया है, जिसकी गूंज पूरे नौकरशाही सिस्टम में सुनाई दे रही है।

IAS Officer Gets Jail: अड़ियल IAS अफसर को जेल! 25 हजार का लगा जुर्माना, हाईकोर्ट ने सुनाई सजा, जानिए पूरा मामला
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By Ragib Asim

IAS Officer Gets Jail: मद्रास हाईकोर्ट ने शुक्रवार को वरिष्ठ आईएएस (IAS) अधिकारी अंशुल मिश्रा को एक ऐसा सबक सिखाया है, जिसकी गूंज पूरे नौकरशाही सिस्टम में सुनाई दे रही है। कोर्ट के आदेश की अवहेलना करने के मामले में उन्हें एक महीने की साधारण कैद की सजा सुनाई गई है।साथ ही, कोर्ट ने आदेश दिया है कि उनके वेतन से 25,000 का मुआवज़ा याचिकाकर्ताओं को दिया जाए।

हालांकि, हाईकोर्ट ने सजा को तुरंत लागू करने की जगह उन्हें 30 दिन की राहत दी है ताकि वह ऊपरी अदालत में अपील कर सकें। लेकिन यह मामला सिर्फ एक अफसर की नहीं, बल्कि उस प्रवृत्ति की कहानी है जिसमें सरकारी अफसर कोर्ट के आदेशों को नजरअंदाज करते हैं।

क्या है पूरा मामला?

दरअसल यह मामला 42 साल पुराना है। साल 1983 में तमिलनाडु हाउसिंग बोर्ड (TNHB) ने चेन्नई के एक इलाके में आर. ललितांबाई और के.एस. विश्वनाथन नामक भाई-बहन की 17 सेंट (करीब 7400 स्क्वायर फीट) ज़मीन अधिग्रहित की थी। इस ज़मीन पर बहुमंज़िला इमारतें तो बन गईं, लेकिन दशकों तक वह जमीन बेकार पड़ी रही।

जमीन वापसी की मांग को लेकर याचिकाकर्ताओं ने चेन्नई मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी (CMDA) से गुहार लगाई। इसके जवाब में नवंबर 2023 में मद्रास हाईकोर्ट ने CMDA को आदेश दिया कि वह दो महीने के भीतर इस पर निर्णय ले। लेकिन जब दो महीने क्या, नौ महीने बीत गए और कोई जवाब नहीं आया, तो अगस्त 2024 में कोर्ट की अवमानना याचिका दाखिल की गई।

न्यायमूर्ति पी. वेलमुरुगन की सख्त टिप्पणी

मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति पी. वेलमुरुगन ने तल्ख लहजे में टिप्पणी करते हुए कहा, "यह एक दुखद स्थिति है कि गरीब और पीड़ित लोग जब अदालत की शरण लेते हैं, तब भी सरकारी अधिकारी उन्हें न्याय से वंचित करते हैं। यह न केवल जनता के अधिकारों के साथ अन्याय है, बल्कि न्यायपालिका की गरिमा को भी ठेस पहुंचाता है।" उन्होंने आगे कहा कि यह सिर्फ एक अलग घटना नहीं है, बल्कि एक "सिस्टमेटिक नेग्लिजेंस" बन चुकी प्रवृत्ति है, जिसमें लोक सेवक अपने कर्तव्यों की उपेक्षा करते हैं। "लोक सेवा कोई विशेषाधिकार नहीं, बल्कि एक जिम्मेदारी है जो जनता के विश्वास पर टिकी होती है," कोर्ट ने कहा।

कौन हैं अंशुल मिश्रा?

अंशुल मिश्रा, एक वरिष्ठ IAS अधिकारी हैं, जो फरवरी 2025 से तमिलनाडु अर्बन हैबिटेट डेवलपमेंट बोर्ड (TNUHDB) के प्रबंध निदेशक के पद पर तैनात हैं। इससे पहले, जब यह मामला कोर्ट में था, तब वह CMDA के सदस्य सचिव थे, यानी उस संस्था के नेतृत्व में थे, जिसने कोर्ट के आदेश को नजरअंदाज किया।

नियम सबके लिए एक जैसे

मद्रास हाईकोर्ट का यह फैसला नौकरशाही के लिए एक स्पष्ट संदेश है कि कानून का पालन न करने पर कोई भी, चाहे वह किसी भी रैंक का अफसर क्यों न हो, छूट नहीं पाएगा। यह फैसला केवल अंशुल मिश्रा के खिलाफ नहीं, बल्कि उन तमाम अधिकारियों के लिए चेतावनी है जो न्यायपालिका को हल्के में लेते हैं।

अब देखना होगा कि अंशुल मिश्रा इस सजा के खिलाफ मद्रास हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच या सुप्रीम कोर्ट में अपील करते हैं या नहीं। लेकिन इस मामले ने जनता, नौकरशाही और न्यायपालिका के रिश्ते पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है जब अदालत के आदेश भी नहीं माने जाते, तो आम नागरिक कहां जाएगा?

Ragib Asim

रागिब असीम – समाचार संपादक, NPG News रागिब असीम एक ऐसे पत्रकार हैं जिनके लिए खबर सिर्फ़ सूचना नहीं, ज़िम्मेदारी है। 2013 से वे सक्रिय पत्रकारिता में हैं और आज NPG News में समाचार संपादक (News Editor) के रूप में डिजिटल न्यूज़रूम और SEO-आधारित पत्रकारिता का नेतृत्व कर रहे हैं। उन्होंने करियर की शुरुआत हिन्दुस्तान अख़बार से की, जहाँ उन्होंने ज़मीन से जुड़ी रिपोर्टिंग के मायने समझे। राजनीति, समाज, अपराध और भूराजनीति (Geopolitics) जैसे विषयों पर उनकी पकड़ गहरी है। रागिब ने जामिया मिलिया इस्लामिया से पत्रकारिता और दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की है।

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