IAS Alex Paul Menon: IAS अपहरण: 12 साल पहले आज के दिन छत्तीसगढ़ के इस आईएएस को नक्सलियों ने किया था अगवा, 13 दिन रखा बंधक, जाने पूरी कहानी
IAS Alex Paul Menon: आज से ठीक 12 साल पहले 21 अप्रैल 2012 को सुकमा कलेक्टर एलेक्स पॉल मेनन को नक्सलियों ने अगवा कर लिया था। 13 दिनों बाद सरकार की मध्यस्थता करने पर उन्हें रिहा किया गया था।
IAS Alex Paul Menon: सुकमा। आज 21 अप्रैल को सिविल सेवा दिवस है। सिविल सेवा दिवस के ही दिन आज से 12 साल पहले छत्तीसगढ़ कैडर के एक आईएएस को नक्सलियों ने अगवा कर 13 दिन बंधक रखा था। वह आईएएस छत्तीसगढ़ कैडर के 2006 बैच के एलेक्स पॉल मेनन हैं। आज इस घटना को 12 साल बीत गए हैं। आइए जानते हैं पूरी कहानी...
छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के कलेक्टर एलेक्स पॉल मेनन का 21 अप्रैल, 2012 की शाम छत्तीसगढ़ के सबसे संवेदनशील माने जाने वाले सुकमा जिले के केरलापाल क्षेत्र के माझीपारा गांव में नक्सलियों ने अपहरण कर लिया था। वे 2006 बैच के आईएएस अधिकारी हैं।
इस दौरान नक्सालियों ने उनके दो अंगरक्षकों को भी मार दिया था। यह घटना सुकमा के ही केरलापाल इलाके में हुई। जहां प्रशासन के अधिकारी मांझीपारा में जल संरक्षण के नक्शे का अवलोकन कर रहे थे। साथ ही ग्राम सुराज अभियान’ के तहत ग्रामीणों से बातचीत कर रहे थे। हर साल होने वाले ग्राम सुराज अभियान के तहत राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह और प्रशासनिक अधिकारी ग्रामीण क्षेत्रों का दौरा करते थे और ग्रामीणों की समस्याओं से रू-ब-रू होते थे।
इसी क्रम में जिलाधिकारी मेनन जब ग्रामीणों से बातचीत कर रहे थे, तभी एक नक्सली सभा में घुस गया। इसके बाद उसने वहां पर मौजूद जिलाधिकारी के एक अंगरक्षक की गला रेत कर हत्या कर दी। जवाबी कारवाई में सुरक्षा गार्डों ने उसे मार दिया। मगर इसी बीच नक्सालियों का एक बड़ा दल वहां पहुंच गया। अफरा तफरी मच गई, दोनों ओर से गोलीबारी हुई। जिसमें मेनन का दूसरा अंगरक्षक भी शहीद हो गया।
एलेक्स पॉल ने अपने साथ हुई अपहरण की घटना की आपबीती बताई थी। उन्होंने अपने बयान में कहा, " सुकमा के केरलापाल स्थित मांझी पारा में जल संरक्षण कार्यों के नक्शे का अवलोकन कर रहा था, उसी समय वहां पर गोली चलने की आवाज आई। गोली की आवाज सुनकर मैं जमीन पर लेट गया था। इसके बाद शिविर में अफरा तफरी मच गई। सभी इधर—उधर भागने लगे।"
आईएएस ने आगे बताया, "इसी बीच किसी व्यक्ति ने कहा कि साहब आप भाग जाईये। मैं अपनी गाड़ी से जा रहा था, तभी रास्ते में 3-4 बंदूकधारी नकाबपोश लोगों ने मेरी गाड़ी को रोक लिया। उन्होंने पूछा कि कलेक्टर कौन है। मेनन ने जब कहा कि मै हूं फिर नक्सली उनकी आंखों में पट्टी बांधकर जंगल ले गए। उन्होंने वहां 13 दिन तक बंधक रखा।"
पहले रिहाई के लिए नक्सलियों ने 25 अप्रैल तक की समयसीमा रखी थी। बदले में माओवादियों ने सरकार के समक्ष ऑपरेशन ग्रीनहंट को बंद करने और उनके आठ सहयोगियों को रिहा करने की मांग रखी थी। बाद में सरकार की ओर से और नक्सलियों की ओर से दो-दो मध्यस्थों को रखा गया था। सरकार की तरफ से बीड़ी शर्मा और प्रोफेसर जी हरगोपाल को प्रतिनिधि रखा गया था।
मध्यस्थों के बीच हुई लंबी चर्चाओं के बाद एक समझौता हुआ था और माओवादियों ने कलेक्टर की रिहाई के लिए हामी भरी थी। नक्सलियों ने कहा था कि वे 3 मई को ताड़मेटला में जिलाधिकारी को रिहा कर देंगे। 13 दिनों तक नक्सलियों ने कब्जे में रखने के बाद उन्हें 3 मई को रिहा किया था। नक्सलियों ने मेनन को कुमडतुंग गांव में रखा था।