High Court News: IPL सट्टेबाजी केस, MS धोनी की मानहानि याचिका पर ट्रायल शुरू, कोर्ट ने कमिश्नर नियुक्त किया
High Court News: IPL सट्टेबाजी मामले में MS DHONI की मानहानि याचिका पर हाई कोर्ट ट्रायल शुरू करने का आदेश दिया है। हाई कोर्ट ने एडवोकेट कमिश्नर की नियुक्ति कर दी है। मानहानि मामले में कमश्निर साक्ष्य दर्ज करेंगे। एमएस धोनी ने वर्ष 2013 के आईपीएल सट्टेबाजी घोटाले से जुड़ी खबर को लेकर एक मीडिया समूह के खिलाफ वर्ष 2014 में मानहानि का मुकदमा दायर किया था। जिस पर अब जाकर ट्रायल शुरू करने का निर्देश हाई कोर्ट ने दिया है।

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High Court News: चेन्नई। वर्ष 2013 के आईपीएल सट्टेबाजी घाेटाले से जुड़ी खबरों को भ्रामक और झूठी के साथ मानहानिकारक बताते हुए पूर्व भारतीय कप्तान एमएस धोनी ने एक मीडिया के खिलाफ मानहानि का मुकदमा ठाेंकते हुए मद्रास हाई कोर्ट में वर्ष 2014 में याचिका दायर की थी। नौ साल बाद अब जाकर इस याचिका पर ट्रायल शुरू करने का आदेश हाई कोर्ट ने दिया है। इसके लिए कोर्ट कमिश्नर की नियुक्ति भी कर दी है। कोर्ट कमिश्नर साक्ष्य दर्ज करेंगे। याचिकाकर्ता एमएस धोनी ने अपनी याचिका में मीडिया कंपनियों और उनके प्रतिनिधियों को रोकने के लिए स्थाई निषेधाज्ञा जारी करने की मांग की थी।
याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट के सिंगल बेंच ने याचिकाकर्ता एमएस धोनी के साक्ष्य दर्ज करने के लिए एडवोकेट कमिश्नर की नियुक्ति भी कर दी है। कोर्ट ने 20 अक्टूबर से 10 दिसंबर के बीच किसी उपयुक्त स्थान पर साक्ष्य दर्ज करने का निर्देश दिया है। बेंच का मानना है कि याचिकाकर्ता पूर्व कप्तान एमएस धोनी की अदालत में व्यक्तिगत उपस्थिति से ला एंड आर्डर की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। समर्थकों और फैंस की भीड़ को संभालना मुश्किल हो जाएगा। याचिकाकर्ता धोनी के अधिवक्ता ने अदालत को पूरा सहयोग करने का आश्वासन दिया है।
एमएस धोनी ने वर्ष 2014 में एक मीडिया हाउस के एडिटर एंड बिजनेस हेउ के अलावा आईपीएस अधिकारी एक अन्य मीडिया हाउस के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर करते हुए बतौर हर्जाना 100 करोड़ रुपये की मांग की थी।
हाई कोर्ट ने सुनवाई के लिए तय किए मुद्दे-
क्या प्रकाशित समाचार किसी प्रमाणिक सामग्री पर आधारित थे?
क्या इसमें द्वेषपूर्ण इरादा था?
क्या प्रतिवादियों ने जानबूझकर मानहानि अभियान चलाया?
क्या इससे धोनी को मानसिक पीड़ा हुई?
क्या कानूनी कार्यवाही लंबित होने के दौरान ऐसे समाचार प्रकाशित करने पर रोक है?
क्या यह बयान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अंतर्गत आते हैं?
