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Gyanvapi Case: ज्ञानवापी के व्यास तहखाने में मिला पूजा का अधिकार, वाराणसी कोर्ट का हिंदू पक्ष के समर्थन में फैसला

Gyanvapi Case: ज्ञानवापी मस्जिद मामले में वाराणसी की जिला कोर्ट ने हिंदू पक्ष के हक में बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने ज्ञानवापी के व्यास तहखाने में हिंदू पक्ष को पूजा करने का अधिकार दे दिया है।

Gyanvapi Case: ज्ञानवापी के व्यास तहखाने में मिला पूजा का अधिकार, वाराणसी कोर्ट का हिंदू पक्ष के समर्थन में फैसला
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By Ragib Asim

Gyanvapi Case: ज्ञानवापी मस्जिद मामले में वाराणसी की जिला कोर्ट ने हिंदू पक्ष के हक में बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने ज्ञानवापी के व्यास तहखाने में हिंदू पक्ष को पूजा करने का अधिकार दे दिया है। कोर्ट ने जिला प्रशासन को बैरिकेडिंग में 7 दिन के अंदर पूजा की व्यवस्था कराने का आदेश दिया है। बता दें, ये तहखाना मस्जिद के नीचे है, जहां दिसंबर, 1993 में पूजा पर रोक लगा दी गई थी और इसे सील कर दिया गया था।

वाराणसी की जिला कोर्ट के जज ने कहा, "जो व्यास जी का तहखाना है, अब उसके कस्टोडियन (संरक्षक) वाराणसी के जिला मजिस्ट्रेट हो गए हैं। विश्वनाथ मंदिर के जो पुजारी हैं, वे तहखाने की साफ-सफाई करवाएंगे। वहां जो बैरिकेडिंग लगी हुई है, उसे हटाएंगे। वाराणसी मंदिर के पुजारी व्यास तहखाने के अंदर नियमित रूप से पूजा करेंगे।" कोर्ट ने पूजा का अधिकार सोमनाथ व्यास के परिवार को दे दिया है, जिनके नाती शैलेंद्र पाठक ने अपील दायर की थी।

जिला कोर्ट के फैसले के खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने हाई कोर्ट जाने का फैसला लिया है। अंजुमन इंतजामिया समिति के वकील ने कहा, "हमने इसका विरोध किया था कि यह वक्फ की संपत्ति है। यह मामला तो सुना ही नहीं जा सकता है। फैसले की प्रति पढ़ने के बाद हम ऊपरी अदालत यानी हाई कोर्ट जाएंगे।" मुस्लिम पक्ष ने मामले में पूजा स्थल अधिनियम का हवाला देते हुए याचिका को खारिज करने की मांग की थी।

क्या है मामला?

ज्ञानवापी मस्जिद में एक तहखाना है, जिसमें एक देवता के विग्रह की पूजा का काम सोमनाथ व्यास किया करते थे। 1993 में तत्कालीन राज्य सरकार ने तहखाने में पूजा-पाठ पर रोक लगाते हुए इसे सील कर दिया था। बाद में इसे बेरिकैड लगाकर बंद कर दिया गया। इस दौरान तहखाने की चाबी वाराणसी के जिलाधिकारी के पास रहती थी। 2016 में सोमनाथ व्यास के नाती शैलेन्द्र पाठक ने इस संबंध में याचिका दायर की थी।

अगस्त, 2021 में 5 महिलाओं ने याचिका दायर कर मस्जिद के पास श्रृंगार गौरी मंदिर में दर्शन-पूजा की मांग की थी। इसके बाद कोर्ट के आदेश पर परिसर का वीडियो सर्वे हुआ था, जिसमें शिवलिंग मिलने का दावा किया गया था। हालांकि, मुस्लिम पक्ष ने इसे फव्वारा बताया था। इसके बाद वुजूखाने को सील कर दिया गया और कोर्ट के आदेश पर ज्ञानवापी परिसर का वैज्ञानिक सर्वे किया गया। सर्वे में मस्जिद से पहले मंदिर होने की बात सामने आई।

ASI टीम को ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे में पत्थर की 55 मूर्तियां मिली थीं। ज्ञानवापी की दीवार सहित कई स्थानों पर 15 शिवलिंग और अलग-अलग काल के 93 सिक्के भी मिले हैं। इन पत्थर की मूर्तियों के साथ ही अलग-अलग धातु, टेराकोटा सहित घरेलू इस्तेमाल की 259 सामग्रियां मिली हैं। इसके अलावा 113 धातु की वस्तुएं और 93 सिक्के मिले हैं। इनमें 40 ईस्ट इंडिया कंपनी, 21 विक्टोरिया महारानी और तीन शाह आलम बादशाह-द्वितीय के सिक्के शामिल हैं।

पूजा स्थल अधिनियम 18 सितंबर, 1991 को संसद से पारित कर लागू किया गया था। इसमें धर्म स्थलों को 15 अगस्त, 1947 की स्थिति में ही संरक्षित करने का प्रावधान है, यानि मस्जिद मस्जिद और मंदिर मंदिर बना रहेगा। इसका मूल उद्देश्य पूजा स्थलों के रूपांतरण पर रोक लगाना और उनके धार्मिक चरित्र को बनाए रखना है। हालांकि, राम मंदिर और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के संरक्षण वाली इमारतों को इससे बाहर रखा गया है।

Ragib Asim

Ragib Asim पिछले 8 वर्षों से अधिक समय से मीडिया इंडस्ट्री में एक्टिव हैं। मूल रूप से बिहार के रहने वाले हैं, पढ़ाई-लिखाई दिल्ली से हुई है। क्राइम, पॉलिटिक्स और मनोरंजन रिपोर्टिंग के साथ ही नेशनल डेस्क पर भी काम करने का अनुभव है।

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