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Guwahati High Court: बांग्लादेश से घुसपैठ: बदल रहा असम की डेमोग्राफी, हाई कोर्ट ने कहा: राज्य में फैल रहा व्यापक असंतोष

Guwahati High Court: बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए गुवाहाटी हाई कोर्ट ने कहा कि बांग्लादेश से हो रहे अवैध प्रवास और घुसपैठ के कारण राज्य की डेमोग्रॉफी तेजी के साथ बदल रही है। इससे प्रदेश में व्यापक असंतोष फैल रहा है। कोर्ट ने माना माना, राज्य सरकार के पास घोषित विदेशी नागरिकों को देश से बाहर निकालने की पूरी शक्ति है। इस टिप्पणी के साथ बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को खारिज कर दिया है।

Guwahati High Court: बांग्लादेश से घुसपैठ: बदल रहा असम की डेमोग्राफी, हाई कोर्ट ने कहा: राज्य में फैल रहा व्यापक असंतोष
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By Radhakishan Sharma

Guwahati High Court: गुवाहाटी। बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए गुवाहाटी हाई कोर्ट ने कहा कि बांग्लादेश से हो रहे अवैध प्रवास और घुसपैठ के कारण राज्य की डेमोग्रॉफी तेजी के साथ बदल रही है। इससे प्रदेश में व्यापक असंतोष फैल रहा है। कोर्ट ने माना माना, राज्य सरकार के पास घोषित विदेशी नागरिकों को देश से बाहर निकालने की पूरी शक्ति है। इस टिप्पणी के साथ बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को खारिज कर दिया है।

हाई कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए घुसपैठ को रोकने के संबंध में कहा कि राज्य सरकार के पास घोषित विदेशी नागरिकों को देश से बाहर निकालने की पूरी शक्ति है। अगर किसी कारणवश ऐसे व्यक्तियों को निष्कासित नहीं किया जा सकता है, तो राज्य सरकार उपयुक्त नीति बनाकर उन्हें रोजगार पाने, भूमि खरीदने, भारतीय नागरिक से विवाह करने आदि से रोक सकती है।

मामले की सुनवाई करते हुए डिवीजन बेंच ने कहा कि सरकार द्वारा घोषित विदेशी नागरिकों को होल्डिंग कैंप में रखना गलत नहीं है। इसे भारतीय नागरिकों की गिरफ्तारी के समान नहीं माना जा सकता। डिवीजन बेंच ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा, अवैध प्रवास को असम में बाहरी आक्रमण माना गया था और यह अवलोकन आज भी सही है।

अवैध प्रवास, असम में आक्रमण के समान

डिवीजन बेंच ने नाराजगी जताते हुए कहा, अगर कोई असम के कोने-कोने में जाए, तो यह साफ दिखाई देता है कि अवैध प्रवासियों को सरकारी या वन भूमि तथा नदी के चार क्षेत्रों में बसने की अनुमति दी गई है, जहां भूमि के अभिलेख तक उपलब्ध नहीं हैं। कोर्ट ने कहा कि सरकार का दायित्व है कि वह देश की एकता और अखंडता को बनाए रखे। डिवीजन बेंच ने साफ कहा कि बांग्लादेश से लगातार हो रहे अवैध प्रवास असम में एक आक्रमण के सामन है। इस पर प्रभावी रोक लगाने की जरुरत है। डिवीजन बेंच ने साफ कहा कि बांग्लादेश से लगातार हो रहे अवैध प्रवास के कारण असम की डेमोग्रॉफी तेजी के साथ बदल रही है। इससे राज्य में असंतोष फैल रहा है। ऐसे में भारत के नागरिकों को मिले संवैधानिक अधिकार किसी घोषित विदेशी नागरिक तक नहीं बढ़ाए जा सकते।”

गिरफ्तारी के खिलाफ बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका

एक महिला ने अपने पति की हिरासत के खिलाफ हाई काेर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी। उसके पति को 2019 में विदेशी न्यायाधिकरण ने विदेशी नागरिक घोषित किया था। दो साल की हिरासत पूरी करने के बाद उसे 2021 में रिहा किया गया था, लेकिन मई 2025 में पुलिस ने फिर से हिरासत में ले लिया। राज्य सरकार के गृह विभाग ने कोर्ट को जानकारी देते हुए कहा, संबंधित व्यक्ति को दस्तावेजी सत्यापन के हिरासत में रखा गया है। प्रक्रिया पूरी होने के बाद संबंधित व्यक्ति को केंद्र सरकार के सुपुर्द किया जाएगा ताकि उसे वापस भेजा जा सके।

हाई कोर्ट ने याचिका किया खारिज

मामले की सुनवाई के बाद अपने फैसले में डिवीजन बेंच ने कहा कि एक घोषित विदेशी नागरिक को भारतीय नागरिकों के समान मौलिक अधिकार नहीं मिल सकता। विदेशी न्यायाधिकरण के आदेश के तहत हिरासत में रखे गए व्यक्ति का दावा कि उसकी गिरफ्तारी गैरकानूनी है, स्वीकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह कोई आपराधिक मामला नहीं है। इस टिप्पणी के साथ डिवीजन बेंच ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को खारिज कर दिया है। तो आपको कुछ चीजों को अपनी डाइट में शामिल करना होगा, इन्हें सर्दियों का सुपरफुड्स माना जाता है.

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