Gujarat High Court Viral Video: कोर्ट की कार्यवाही में टॉयलेट से जुड़ा शिकायतकर्ता, वीडियो वायरल होने के बाद मचा बवाल, देखें वायरल Video
Gujarat High Court Viral Video: गुजरात हाई कोर्ट में चेक बाउंस केस की सुनवाई के दौरान शिकायतकर्ता ने शौचालय से वर्चुअल हाजिरी लगाई। यह पहली बार नहीं, कोर्ट पहले भी ऐसे मामलों पर लगा चुका है जुर्माना।

Gujarat High Court Viral Video: गुजरात हाई कोर्ट की एक वर्चुअल सुनवाई का वीडियो शुक्रवार को सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसमें एक व्यक्ति शौचालय में बैठकर न्यायाधीश के सामने पेश होता दिखा। यह घटना 20 जून की है, जब न्यायमूर्ति निरजर एस देसाई की खंडपीठ चेक बाउंस मामले की सुनवाई कर रही थी।
वायरल वीडियो में क्या दिखा?
वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि एक व्यक्ति जिसकी पहचान समद बैटरी के रूप में हुई है – कोर्ट की कार्यवाही में शौचालय की सीट पर बैठकर शामिल हो रहा है। उसने अपने गले में ब्लूटूथ ईयरफोन पहन रखा था, और मोबाइल को शौचालय के फर्श पर रखकर वर्चुअल सुनवाई में भाग ले रहा था। हद तो तब हुई जब वीडियो में वह खुद को साफ करते हुए कमरे से बाहर निकलता भी नजर आया।
क्या था मामला?
यह सुनवाई एक चेक बाउंस मामले में दर्ज FIR को रद्द करने के लिए हो रही थी। समद इस केस में शिकायतकर्ता था, और दोनों पक्षों के बीच आपसी सहमति से मामला निपटा दिया गया था। लेकिन जैसे ही शुक्रवार को यह वीडियो सामने आया, कोर्ट की गरिमा पर एक बार फिर सवाल खड़े हो गए।
ग़ज़ब है भाई
— Govind Pratap Singh | GPS (@govindprataps12) June 27, 2025
एक शख़्स, जो टॉयलेट में बैठा हुआ था, वो गुजरात
हाई कोर्ट की वर्चुअल सुनवाई में शामिल हुआ।
अब वीडियो वायरल है 👇🏽pic.twitter.com/t95VQsOg81
यह पहला मामला नहीं है?
- गुजरात हाई कोर्ट पहले भी ऐसी घटनाओं से जूझ चुका है।
- मार्च 2025 में भी एक व्यक्ति ने टॉयलेट से जुड़कर सुनवाई में हिस्सा लिया था।
- 2 लाख रुपये जुर्माना और बगीचे की सफाई का आदेश कोर्ट ने सुनाया था।
- 2020 में एक आरोपी ने वर्चुअल सुनवाई के दौरान सिगरेट पी, जिस पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया था।
क्या कहती है अदालत की गरिमा?
वर्चुअल सुनवाई का उद्देश्य दूरदराज़ के लोगों को न्याय प्रक्रिया में जोड़ना था, लेकिन कुछ मामलों में यह अदालती मर्यादा और अनुशासन का उल्लंघन बन गया है। अदालतें इस तरह के आचरण को न केवल अपमानजनक मानती हैं, बल्कि इसे न्याय प्रक्रिया का मखौल भी समझा जाता है।
इस वायरल वीडियो ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि वर्चुअल सुनवाई के लिए क्या एक आचार संहिता तय होनी चाहिए? क्या ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई और कानूनी सजा का प्रावधान ज़रूरी है? कोर्ट से जुड़े पेशेवर और आमजन अब इस बात पर गंभीरता से चर्चा कर रहे हैं।
