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G-7 से SCO तक मोदी की डिप्लोमैटिक उड़ान! इन 5 बड़ी डील्स ने दुनिया के सामने बदल दी भारत की तस्वीर..

प्रधानमंत्री मोदी ने G-7 शिखर सम्मेलन में भाग लिया और कनाडा के साथ संबंधों को सुधारा। उन्होंने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के लिए ब्राजील का दौरा किया, यूके के साथ व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए, और जापान के साथ सुरक्षा साझेदारी को बढ़ावा दिया।

G-7 से SCO तक मोदी की डिप्लोमैटिक उड़ान! इन 5 बड़ी डील्स ने दुनिया के सामने बदल दी भारत की तस्वीर..
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NPG file photo

By Ashish Kumar Goswami

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले कुछ महीनों में दुनिया भर में भारत का कद बढ़ाने के लिए ताबड़तोड़ दौरे किए हैं, जिसे 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद उनकी 'मिशन विश्व' रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। एक तरफ जहां अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियां भारत-अमेरिका संबंधों के लिए मुश्किलें पैदा कर रही हैं, वहीं पीएम मोदी ने अपनी कूटनीतिक चालों से वैश्विक मंच पर भारत की पकड़ को और मजबूत किया है। उनके व्यस्त कार्यक्रम में जी-7 शिखर सम्मेलन से लेकर ब्रिक्स समिट तक और जापान से लेकर चीन तक के दौरे शामिल थे, जिससे दुनिया भर में भारत का दबदबा बढ़ा है।

कनाडा से संबंधों की शुरुआत

जून के मध्य में, पीएम मोदी ने कनाडा के कनानास्किस में जी-7 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया। यह एक दशक में उनकी पहली कनाडा यात्रा थी, जिसने दोनों देशों के बीच संबंधों को फिर से पटरी पर लाने में मदद की। इस दौरान उन्होंने कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी से मुलाकात की और कई यूरोपीय और एशियाई नेताओं से भी बातचीत की।

ब्रिक्स और यूरोप में भारत की धमक

जुलाई की शुरुआत में, मोदी ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के दौरे पर गए। ट्रंप की नीतियों के बीच, उन्होंने ब्राजील का दौरा किया और राष्ट्रपति लूला से कई अहम मुद्दों पर चर्चा की। इसके बाद, उन्होंने यूके का दौरा किया, जहां भारत और यूके के बीच एक ऐतिहासिक व्यापार समझौते (CETA) पर हस्ताक्षर हुए, जिससे दोनों देशों की रणनीतिक साझेदारी को एक नई दिशा मिली। यूके से सीधे पीएम मोदी मालदीव गए, जहां उन्होंने राष्ट्रीय दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की और मालदीव को आर्थिक मदद का भरोसा दिया।

एशियाई देशों के साथ रिश्ते मजबूत

अगस्त की शुरुआत में, भारत ने फिलीपींस के राष्ट्रपति की मेजबानी की। फिलीपींस भारत से ब्रह्मोस मिसाइलें खरीदने वाला पहला देश बना, जिसने भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति को और मजबूत किया। अगस्त के आखिर में, पीएम मोदी जापान में वार्षिक शिखर सम्मेलन में शामिल हुए, जिससे सुरक्षा और निवेश साझेदारी को बढ़ावा मिला।

चीन और रूस के साथ ऐतिहासिक मुलाकात

जापान के बाद, मोदी सीधे शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के शिखर सम्मेलन में भाग लेने चीन पहुंचे। यहां उन्होंने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिलकर दोनों देशों के बीच संबंधों को स्थिर करने पर बात की। इसके अलावा, उन्होंने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी मुलाकात की, जहां दोनों देशों के बीच विशेष रणनीतिक साझेदारी की पुष्टि हुई।

इस दौरान तीनों नेताओं, शी जिनपिंग, मोदी और पुतिन की एक तस्वीर भी खूब वायरल हुई। अपनी वापसी पर, पीएम मोदी ने सिंगापुर के प्रधानमंत्री की मेजबानी की, जो भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति का एक अहम हिस्सा है।

फोन पर भी रही सक्रिय कूटनीति

पिछले दो महीनों में, पीएम मोदी ने फोन पर भी अपनी कूटनीति जारी रखी। उन्होंने पुतिन और फ्रांसीसी राष्ट्रपति से दो बार बात की। साथ ही, उन्होंने इतालवी पीएम से भी चर्चा की। यूरोपीय संघ के नेताओं ने भी यूक्रेन और मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर उनसे बात की। यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने भी यूक्रेन में शांति के लिए मोदी से मदद मांगी। इसके अलावा, उन्होंने यूएई और फिनलैंड के नेताओं से भी बात की। कुल मिलाकर, पीएम मोदी का यह व्यस्त शेड्यूल दिखाता है कि, भारत अब केवल घरेलू मोर्चे पर ही नहीं, बल्कि वैश्विक मंच पर भी अपनी भूमिका को सक्रिय रूप से बढ़ा रहा है, और ट्रंप जैसे नेताओं की चुनौतियों के बीच भी भारत की कूटनीति को मजबूती दे रहा है।

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