Fungal Infection: उमस के कारण बढ़ जाता है फंगल इंफेक्शन का खतरा, जानिए बचाव के घरेलू उपाय
Fungal Infection: मानसून के आगमन से जहां गर्मी से राहत मिलती है, वहीं नमी के बढ़ने से त्वचा पर फंगल संक्रमण का खतरा भी बढ़ जाता है। मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों के अलावा, मानसून के दौरान फंगल संक्रमण का भी खतरा रहता है।
Fungal Infection: मानसून के आगमन से जहां गर्मी से राहत मिलती है, वहीं नमी के बढ़ने से त्वचा पर फंगल संक्रमण का खतरा भी बढ़ जाता है। मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों के अलावा, मानसून के दौरान फंगल संक्रमण का भी खतरा रहता है। यहां कुछ घरेलू उपाय बताए जा रहे हैं, जिनसे आप फंगल संक्रमण से बच सकते हैं।
1. नीम का करें इस्तेमाल
नीम एक औषधीय पौधा है जो त्वचा को हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस से बचाने में सहायक होता है। इसमें सूजन-रोधी, एंटीऑक्सीडेंट और प्रतिरक्षा-बढ़ाने वाले गुण होते हैं। नीम की पत्तियों का पेस्ट बनाकर संक्रमित त्वचा पर लगाने से फंगल संक्रमण का प्रभावी ढंग से इलाज किया जा सकता है।
2. नारियल का तेल आएगा काम
नारियल के तेल में एंटीफंगल और माइक्रोबियल गुण होते हैं, जो दाद और कैंडिडा जैसे फंगल संक्रमणों के लिए बेहद प्रभावी होते हैं। नारियल के तेल को दिन में 3-4 बार संक्रमित जगह पर लगाने से जल्दी आराम मिलता है। यह स्ट्रेच मार्क्स से भी छुटकारा दिला सकता है।
3. शहद लगाना है कारगर उपाय
शहद में हाइड्रोजन पेरोक्साइड होता है, जो संक्रमण पैदा करने वाले कवक और बैक्टीरिया को मारने में अत्यधिक प्रभावी होता है। इसमें विटामिन, खनिज, आयरन, जस्ता और एंटीऑक्सीडेंट भी होते हैं। शहद का नियमित उपयोग संक्रमण के इलाज और स्वस्थ त्वचा को बनाए रखने में मददगार होता है।
4. एलोवेरा जेल से मिलेगा आराम
एलोवेरा में जीवाणुरोधी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो फंगल संक्रमण का प्रभावी ढंग से इलाज कर सकते हैं। एलोवेरा जेल का उपयोग दाद से जुड़ी परेशानी, जलन और खुजली से राहत दिलाने में सहायक होता है।
5. टी-ट्री ऑयल का करें उपयोग
टी-ट्री ऑयल, ऑस्ट्रेलियाई टी-ट्री पेड़ की पत्तियों से बना एक एसेंशियल आयल है। इसके एंटीफंगल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण इसे पारंपरिक एंटीफंगल दवाओं का एक बेहतरीन विकल्प बनाते हैं। दिन में 3-4 बार टी-ट्री ऑयल की कुछ बूंदों को संक्रमित जगह पर लगाने से आराम मिलता है।