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CPI(M) News: माकपा ने 'इंडिया' की समन्वय समिति में प्रतिनिधि न भेजने के फैसले के बाद वैकल्पिक रणनीति अपनाई

CPI(M) News: मार्क्‍सवादी कम्‍युनिस्‍ट पार्टी (माकपा) के नेतृत्व ने विपक्षी 'इंडिया' गठबंधन की समन्वय समिति में किसी प्रतिनिधि को न भेजने के अपने फैसले के बाद गठबंधन के अन्य सदस्यों के साथ तालमेल के लिए वैकल्पिक रणनीति अपनाने का फैसला किया है।

CPI(M) News: माकपा ने इंडिया की समन्वय समिति में प्रतिनिधि न भेजने के फैसले के बाद वैकल्पिक रणनीति अपनाई
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By Npg

CPI(M) News: मार्क्‍सवादी कम्‍युनिस्‍ट पार्टी (माकपा) के नेतृत्व ने विपक्षी 'इंडिया' गठबंधन की समन्वय समिति में किसी प्रतिनिधि को न भेजने के अपने फैसले के बाद गठबंधन के अन्य सदस्यों के साथ तालमेल के लिए वैकल्पिक रणनीति अपनाने का फैसला किया है।

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, रणनीति यह है कि समन्वय समिति में प्रतिनिधित्व करने वाले अन्य घटक दलों के शीर्ष नेताओं के साथ व्यक्तिगत रूप से बातचीत की जाए। बैठकें आयोजित करने, तालमेल और सीट बंटवारे जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर पार्टी नेतृत्वही व्यक्तिगत रूप से चर्चा करेेेगा।

केंद्रीय समिति के एक वरिष्ठ सदस्य ने कहा, पार्टी नेतृत्व व्यक्तिगत समन्वय बैठकें उस समय करेगा, जब समन्वय समिति के घटकों की सूची में तृणमूल कांग्रेस का प्रतिनिधि मौजूद नहीं रहेगा। यह निर्णय लिया गया है कि तालमेल के लिए बैठकें माकपा महासचिव सीताराम येचुरी शुरू करेंगे। वह इंडिया गठबंधन कोऑर्डिनेशन कमेटी के घटक दलों के सुप्रीमो के साथ खुद बात करेंगे।

माकपा केंद्रीय समिति के एक नेता कहा, "हमारे महासचिव ने समन्वय समिति की पहली बैठक के अगले दिन 14 सितंबर से प्रक्रिया शुरू कर दी है। तब से 21 सितंबर तक उन्होंने व्यक्तिगत रूप से एनसीपी प्रमुख शरद पवार, जद-यू के शीर्ष नेता नीतीश कुमार और राजद नेता तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव से उनके आवास पर जाकर मुलाकात की थी। आने वाले दिनों में वह पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ दल को छोड़कर समन्वय समिति में अन्य घटक दलों के नेताओं के साथ इसी तरह बातचीत करते रहेंगे।''

समन्वय समिति में कोई प्रतिनिधि नहीं भेजने का निर्णय स्पष्ट रूप से माकपा द्वारा तृणमूल के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी के साथ मंच साझा करने की अनिच्छा के कारण लिया गया था, क्‍योंकि पार्टी पश्चिम बंगाल में घोटाले और विभिन्न वित्तीय मुद्दों पर नियमित विरोध प्रदर्शन कर रही है।

हालांकि, पार्टी नेतृत्व ने उस वास्तविक कारण को इस तर्क के साथ छिपा दिया है कि विपक्षी एकता की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए "संगठनात्मक ढांचा" जरूरी नहीं हैं। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि यह वैकल्पिक रणनीति "तृणमूल कांग्रेस से दूरी" को गुप्त रखते हुए गठबंधन काे सहयोग देने का स्मार्ट कदम है।

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