Begin typing your search above and press return to search.

जस्टिस सूर्यकांत बने देश के 53वें CJI: अनुच्छेद 370 और पेगासस जैसे बड़े मामलों में पहले भी दिखा चुके हैं अहम भूमिका, जानिए कौन हैं जस्टिस सूर्यकांत?

CJI Surya Kant: जस्टिस सूर्यकांत ने 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली. वे अनुच्छेद 370, पेगासस, राजद्रोह कानून, पीएम सुरक्षा चूक और OROP जैसे कई बड़े मामलों का हिस्सा रहे हैं. जानें उनका पूरा सफर और महत्वपूर्ण फैसले.

जस्टिस सूर्यकांत बने देश के 53वें CJI: अनुच्छेद 370 और पेगासस जैसे बड़े मामलों में पहले भी दिखा चुके हैं अहम भूमिका, जानिए कौन हैं जस्टिस सूर्यकांत?
X

जस्टिस सूर्यकांत बने देश के 53वें CJI: अनुच्छेद 370 और पेगासस जैसे बड़े मामलों में पहले भी दिखा चुके हैं अहम भूमिका, जानिए कौन हैं जस्टिस सूर्यकांत?

By Ragib Asim

New Delhi. जस्टिस सूर्यकांत ने आज भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के तौर पर शपथ ली. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें शपथ दिलाई. समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और सुप्रीम कोर्ट के कई जज मौजूद थे. उन्होंने जस्टिस बीआर गवई की जगह ली है, जो 23 नवंबर को रिटायर हुए. सूर्यकांत करीब 15 महीने तक CJI रहेंगे और फरवरी 2027 में रिटायर होंगे.

कौन हैं जस्टिस सूर्यकांत?

जस्टिस सूर्यकांत का जन्म हरियाणा के हिसार में 10 फरवरी 1962 को हुआ. एक आम मध्यमवर्गीय परिवार से आने वाले सूर्यकांत ने छोटे शहर से वकालत शुरू की और धीरे-धीरे एक-एक कदम बढ़ाते हुए सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचे. 2011 में उन्होंने कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से लॉ में मास्टर किया और इसमें टॉप किया. पंजाब–हरियाणा हाईकोर्ट में उनका काम काफी चर्चा में रहा और 2018 में उन्हें हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस बनाया गया.

सुप्रीम कोर्ट में कौन-कौन से बड़े फैसलों का हिस्सा रहे?

सुप्रीम कोर्ट में रहते हुए जस्टिस सूर्यकांत कई महत्वपूर्ण मामलों में शामिल रहे. अनुच्छेद 370 को हटाने वाला फैसला उनमें से एक है, जिसमें जम्मू–कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किया गया था. इसके अलावा नागरिकों की आज़ादी, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और नागरिकता अधिकार से जुड़े मामले भी उनकी बेंच पर सुने गए.

वे उस कमेटी को बनाने वाली बेंच में भी थे, जिसे पीएम मोदी की पंजाब यात्रा के दौरान हुई सुरक्षा चूक की जांच करनी थी. पेगासस मामले में उन्होंने साफ कहा था कि “राष्ट्रीय सुरक्षा” का नाम लेकर सरकार को हर चीज़ की इजाज़त नहीं दी जा सकती, और एक स्वतंत्र जांच टीम बनाई गई. राजद्रोह कानून को रोकने वाले फैसले में भी उनका नाम शामिल है, जिसमें कोर्ट ने कहा था कि सरकार जब तक इस कानून की समीक्षा नहीं कर लेती, तब तक इसके तहत नए केस दर्ज न हों.

महिलाओं और सामाजिक न्याय के मामलों में भी सक्रिय

जस्टिस सूर्यकांत ने एक महिला सरपंच को गैर-कानूनी तरीके से हटाए जाने के मामले में उसका पद वापस दिलाया. उन्होंने इस फैसले में साफ कहा कि प्रशासनिक फैसलों में महिलाओं के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए.

उन्होंने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन समेत कई बार एसोसिएशनों में महिलाओं के लिए एक-तिहाई सीटें आरक्षित करने का निर्देश भी दिया. वन रैंक–वन पेंशन (OROP) को सही ठहराने वाले फैसले और एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे पर पुनर्विचार करवाने वाली सात जजों की बेंच में भी वह शामिल रहे.

उनसे क्या उम्मीद है?

जस्टिस सूर्यकांत अपनी साफ सोच और सीधे फैसलों के लिए जाने जाते हैं. उनसे उम्मीद है कि समाधान में देरी वाली समस्या, अदालतों में लंबित मामलों की भारी संख्या और डिजिटल कोर्ट सिस्टम जैसे मुद्दों पर तेज काम होगा. सुप्रीम कोर्ट में प्रशासनिक सुधार और आम लोगों के लिए न्याय की प्रक्रिया आसान बनाने को लेकर भी उनसे उम्मीदें हैं.

Ragib Asim

रागिब असीम – समाचार संपादक, NPG News रागिब असीम एक ऐसे पत्रकार हैं जिनके लिए खबर सिर्फ़ सूचना नहीं, ज़िम्मेदारी है। 2013 से वे सक्रिय पत्रकारिता में हैं और आज NPG News में समाचार संपादक (News Editor) के रूप में डिजिटल न्यूज़रूम और SEO-आधारित पत्रकारिता का नेतृत्व कर रहे हैं। उन्होंने करियर की शुरुआत हिन्दुस्तान अख़बार से की, जहाँ उन्होंने ज़मीन से जुड़ी रिपोर्टिंग के मायने समझे। राजनीति, समाज, अपराध और भूराजनीति (Geopolitics) जैसे विषयों पर उनकी पकड़ गहरी है। रागिब ने जामिया मिलिया इस्लामिया से पत्रकारिता और दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की है।

Read MoreRead Less

Next Story