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छोटे से गांव से SC तक का सफर! जानिये कौन है जस्टिस सूर्यकांत? जो बनेंगे देश के अगले CJI..जस्टिस 'गवई' क्यों की उनकी सिफारिश

Justice Surya Kant Recommended as Next CJI: देश की राजधानी दिल्ली से इस वक्त की बड़ी खबर सामने आई है। यहां सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बी आर गवई ने अपने उत्तराधिकारी का नाम का ऐलान कर दिया है, उन्होंने कानून मंत्रालय को 'जस्टिस सूर्यकांत' के नाम की सिफारिश भेजी है।

छोटे से गांव से SC तक का सफर! जानिये कौन है जस्टिस सूर्यकांत? जो बनेंगे देश के अगले CJI..जस्टिस गवई क्यों की उनकी सिफारिश
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CJI Gavai Recommends Justice Surya Kant

By Ashish Kumar Goswami

नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली से इस वक्त की बड़ी खबर सामने आई है। सुप्रीम कोर्ट के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश (CJI) न्यायमूर्ति बी.आर. गवई ने अपने उत्तराधिकारी का नाम विधि मंत्रालय को भेज दिया है। उन्होंने न्यायमूर्ति सूर्यकांत को भारत का अगला मुख्य न्यायाधीश बनाने की सिफारिश की है।

रिटायरमेंट से पहले सिफारिश

जानकारी के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति को लेकर एक परंपरा चली आ रही है। इसके तहत मौजूदा CJI के सेवानिवृत्त (रिटायर) होने से लगभग एक महीने पहले, विधि मंत्रालय उनसे उनके उत्तराधिकारी का नाम मांगता है। इसी प्रक्रिया के तहत न्यायमूर्ति गवई ने विधि मंत्रालय को यह पत्र लिखा है। जिसमें जस्टिस सूर्यकांत के नाम की सिफारिश की गई है।

आपको बता दें कि, मुख्य न्यायाधीश गवई का कार्यकाल 23 नवंबर को खत्म हो रहा है, जिसके बाद न्यायमूर्ति सूर्यकांत 24 नवंबर को देश के 53वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) का पद संभालेंगे। सुप्रीम कोर्ट में इस समय न्यायमूर्ति सूर्यकांत ही सबसे वरिष्ठ (सीनियर) जज हैं। न्यायमूर्ति सूर्यकांत 9 फरवरी, 2027 तक इस पद पर रहेंगे।

कौन हैं न्यायमूर्ति सूर्यकांत?

न्यायमूर्ति सूर्यकांत अगले महीने भारत के मुख्य न्यायाधीश बनने जा रहे हैं और वे ऐसा करने वाले हरियाणा के पहले व्यक्ति होंगे। उनका जन्म 10 फरवरी, 1962 को हरियाणा के हिसार जिले के पेटवार गाँव में एक साधारण परिवार में हुआ था। उनके पिता एक शिक्षक थे। वहीं, उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गाँव के ही एक ऐसे स्कूल में पूरी की, जहाँ बैठने के लिए बेंच भी नहीं थे। गाँव की साधारण ज़िंदगी और संघर्ष ने उन्हें आगे बढ़ने के लिए हमेशा प्रेरित किया।

संघर्ष भरा रहा शुरुआती सफर

पेटवार गाँव जहां बीते जमाने में बिजली की सुविधा नहीं थी, वहां उन्होंने दीपक की मंद रौशनी में दोस्तों के साथ प्रेरित होकर पढाई की। वहीं, साल 1984 में उन्होंने रोहतक की महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी (MDU) से विधि (लॉ) की डिग्री ली और हिसार की जिला अदालत से अपना करियर शुरू किया। इसके बाद वे पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में वकालत (प्रैक्टिस) करने चंडीगढ़ चले गए। अपनी लगन और मेहनत से वे 38 साल की उम्र में हरियाणा के सबसे युवा महाधिवक्ता (एडवोकेट जनरल) बने।

कई अहम फैसलों में निभाई भूमिका

जिसके बाद साल 2004 में न्यायमूर्ति सूर्यकांत को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट का स्थायी न्यायाधीश बनाया गया। इस कोर्ट में 14 साल से अधिक समय तक सेवा देने के बाद, साल 2018 में वे हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने और फिर 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बने।

हाईकोर्ट में उनके ऐतिहासिक फैसलों में जेल में बंद कैदियों को अपने जीवनसाथी से मिलने और संतानोत्पत्ति के लिए कृत्रिम गर्भाधान का अधिकार शामिल है। इसके अलावा डेरा सच्चा सौदा प्रमुख को बलात्कार के मामलों में दोषी ठहराए जाने के बाद हुई हिंसा के दौरान डेरा का सैनिटाइजेशन करने का आदेश देने वाली पीठ का भी वे हिस्सा रहे थे। सुप्रीम कोर्ट में भी उन्होंने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, पर्यावरण और लैंगिक समानता जैसे कई महत्वपूर्ण मामलों में अहम फैसले सुनाए हैं।

लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा

न्यायमूर्ति सूर्यकांत का सफर उन लाखों युवाओं के लिए एक बड़ी प्रेरणा है जो सीमित संसाधनों के बावजूद बड़े सपने देखते हैं। उन्होंने साबित किया है कि, अगर इरादा पक्का हो और काम के प्रति निष्ठा हो, तो कोई भी व्यक्ति साधारण पृष्ठभूमि से उठकर देश के सर्वोच्च न्यायिक पद तक पहुँच सकता है। उनके फैसलों में हमेशा आम आदमी के हितों और संवैधानिक मूल्यों पर जोर दिया गया है।

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