Chandrayaan 3 Landing: चांद पर उतरा भारत, दुनिया का पहला देश बन रचा इतिहास, प्रज्ञान ने चंद्रमा की धरती पर लहराया तिरंगा
Chandrayaan 3 Landing: भारत का चंद्रयान-3 सफलता पूर्वक चांद की धतरी पर उतर गया। इसके साथ ही चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला भारत दुनिया का पहला देश बन गया है।
एनपीजी न्यूज डेस्क
भारत का चंद्रयान-3 सफलता पूर्वक चांद पर पहुंच गया है। लैंडर विक्रम के चांद की धतरी पर उतरते ही भारत के अंतरिक्ष विज्ञान में एक नया इतिहास रच दिया। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाली भारत दुनिया का पहला देश बन गया है। अब से करीब 4 घंटे बाद लैंडर विक्रम से निकलकर रोवर प्रज्ञान चांद की जमीन पर इसरों के निशान बनाकर भारत की इस सफलता को यादगार बना देगा। लैंडर विक्रम ने भारतीय समय अनुसार शाम ठीक 6 बजकर 4 मिनट पर चांद की धतरी पर सॉफ्ट लैंडिंग की। चंद्रयान-3 की सफलता पर पूरे देश में जश्न का माहौल है। राष्ट्रपति द्रौपति मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ISRO के वैज्ञानिकों को बधाई दी है। भारत की इस सफलता पर दुनिया के दूसरे देशों से भी इसरो के वैज्ञानिकों को लगातार बधाई मिल रही है।
भारत के इस मिशन पर पूरी दुनिया की निगाहें लगी हुई है। वजह यह है कि अब तक कोई भी देश चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर नहीं पहुंच पाया है। पिछले सप्ताह रूस ने अपने चंद्र मिशन 'लूना-25' से यहां पहुंचने की कोशिश की लेकिन वह क्रैश हो गया और उसका मिशन फेल हो गया।
जाने चंद्रयान-3 का अब तक का सफर
चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से शक्तिशाली रॉकेट एलवीएम मार्क 3 से लांच किया गया था। इस मिशन की लागत करीब 600 करोड़ रुपये है।
जानिए लैंडिंग के बाद क्या हुआ
6 पहियों वाला प्रज्ञान रोवर 4 घंटे के बाद लैंडर से निकल कर चंद्रमा की सतह पर उतरेगा। यह एक सेमी प्रति सेकंड की रफ्तार से चलेगा और चंद्रमा के परिवेश को स्कैन करने के लिए नेविगेशन कैमरों का इस्तेमाल करेगा। रोवर में चंद्रमा की सतह से संबंधित डेटा प्रदान करने के लिए उपकरण लगाए गए हैं। यह चंद्रमा के वायुमंडल की मौलिक संरचना के संबंधित डेटा एकत्र करेगा और लैंडर को डेटा भेज देगा। तीन पेलोड के साथ विक्रम लैंडर निकट सतह के प्लाज्मा (आयनों और इलेक्ट्रॉनों) के घनत्व को मापेगा, चंद्रमा की सतह की थर्मल प्रॉपर्टीज (तापीय गुणों) को मापेगा, लैंडिंग स्थल के आसपास सिस्मीसिटी (भूकंपीयता) को मापेगा और चंद्र परत की संरचना और आवरण का वर्णन करेगा।