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Bilkis Bano Case: बिलकिस बानो गैंगरेप मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों को मोहलत देने से किया इनकार, 21 जनवरी तक करें सरेंडर

Bilkis Bano Case: सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो गैंगरेप मामले में 11 दोषियों की याचिकाओं को खारिज कर दिया है। इस याचिका में दोषियों ने आत्मसमर्पण करने और वापस जेल भेजे जाने से पहले और समय की मांग की थी।

Bilkis Bano Case: बिलकिस बानो गैंगरेप मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों को मोहलत देने से किया इनकार, 21 जनवरी तक करें सरेंडर
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By Ragib Asim

Bilkis Bano Case: सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो गैंगरेप मामले में 11 दोषियों की याचिकाओं को खारिज कर दिया है। इस याचिका में दोषियों ने आत्मसमर्पण करने और वापस जेल भेजे जाने से पहले और समय की मांग की थी। न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की अगुवाई वाली पीठ ने दोषियों को रविवार तक आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया है। बता दें कि इन सभी दोषियों ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए कुछ समय मांगा था।

सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि आवेदन में जो कारण दिए गए हैं वह दोषियों को 2 सप्ताह के भीतर आत्मसमर्पण करने के 8 जनवरी के आदेश का पालन करने से नहीं रोकते हैं। बता दें कि कोर्ट ने 8 जनवरी को इस मामले में सभी दोषियों की रिहाई को रद्द कर दिया था और उनसे अगले 2 सप्ताह के भीतर आत्मसमर्पण करने के लिए कहा था।

मामले में एक दोषी गोविंद नाई ने अपनी याचिका में कोर्ट को बताया कि वह 55 वर्ष का है और उसके ऊपर अपने बुजुर्ग माता-पिता की देखरेख की जिम्मेदारी है। उसने बताया है कि वह अपने 2 बच्चों का भी भरण-पोषण करता है और हाल में सर्जरी भी कराई है। ऐसे ही मामले में अन्य दोषियों में से किसी ने बेटे की शादी, किसी ने स्वास्थ्य कारण, तो किसी ने वित्तीय समस्या का उल्लेख किया था।

क्या है मामला?

गुजरात दंगों के दौरान 3 मार्च, 2002 को दंगाइयों ने दाहोद में बिलकिस बानो के परिवार पर हमला कर उनकी 3 वर्षीय बेटी समेत 7 लोगों की हत्या कर दी। दंगाइयों ने 21 वर्षीय बानो के साथ गैंगरेप भी किया था। तब वह 5 महीने की गर्भवती थीं। 2004 में गैंगरेप के 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। गुजरात सरकार ने जेल में उनके बर्ताव को देखते हुए 15 अगस्त, 2022 को उन्हें रिहा कर दिया था।

8 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि जिस राज्य (महाराष्ट्र) में दोषियों के खिलाफ सुनवाई और उन्हें सजा हुई, उस राज्य की सरकार ही दोषियों को रिहा करने का आदेश जारी कर सकती है और जिस राज्य (गुजरात) में अपराध हुआ, वो रिहाई का आदेश जारी नहीं कर सकती। इसी कारण कोर्ट ने गुजरात सरकार के रिहाई के आदेश को रद्द कर दिया था।

Ragib Asim

Ragib Asim-रागिब असीम एक अनुभवी पत्रकार हैं, जो वर्तमान में एनपीजी न्यूज (डिजिटल) में न्यूज़ एडिटर के पद पर कार्यरत हैं। बिहार के बेतिया में जन्मे और पले-बढ़े रागिब ने अपने करियर की शुरुआत प्रिंट मीडिया से की, जिसके बाद उन्होंने डिजिटल मीडिया की ओर सफलतापूर्वक रुख किया। पत्रकारिता के क्षेत्र में उन्हें 10 वर्षों से भी अधिक का अनुभव प्राप्त है, विशेष रूप से न्यू मीडिया में उनकी गहरी पकड़ है। अपने करियर के दौरान उन्होंने हिंदुस्तान समाचार, न्यूज़ ट्रैक, जनज्वर और स्पेशल कवरेज न्यूज़ हिंदी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में कार्य किया है। विज्ञान, भू-राजनीति, अर्थव्यवस्था और समसामयिक विषयों में उनकी विशेष रुचि है। रागिब असीम सटीक, तथ्यपरक और पठनीय कंटेंट के माध्यम से अपने पाठकों को गुणवत्तापूर्ण पत्रकारिता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

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