भारत में एसिड अटैक की कुछ चर्चित घटनाएं... जानिए इंडियन पीनल कोड क्या कहता है, क्यों छूट जाते हैं आरोपी
NPG NEWS
जिसने भी दीपिका पादुकोण की फिल्म "छपाक" देखी है, वह शरीर पर तेजाब पड़ने के बाद उनकी उस हृदयविदारक चीख को नहीं भूल सकता। एक एसिड अटैक पीड़ित को अत्यधिक शारीरिक पीड़ा और जलन झेल कर ज़िदा बच जाने के बाद अपने विकृत चेहरे और शरीर के साथ दुनिया का सामना करने में कितनी असुविधा होती होगी, हम सामान्य लोग इसकी कल्पना कर सिर्फ अफसोस जता सकते हैं। देश में तेजाब हमला करने वालों को कम से कम 5- 10 साल और अधिकतम उम्रकैद का प्रावधान है। इसके बावजूद इस पर रोक नहीं लग पा रही है। आज दिल्ली में घटी घटना इस बात का सबूत है। सच तो यह है कि भारत के हर राज्य में ऐसे मामले निरंतर हुए ही चले जा रहे हैं और गवाहों के अभाव में हमलावर अक्सर छूट भी जाते हैं।
आइए जानते हैं एसिड क्या है। इसके लिए क्या प्रावधान हैं। अटैक के कुछ मामलों को भी देखेंगे कि उन्होंने पीड़ित की खुशियां किस तरह छीनीं।
एसिड क्या है
ब्लैक लॉ डिक्शनरी के अनुसार, एसिड का अर्थ है 7 से नीचे पी.एच. वाला घोल। इसका स्वाद खट्टा होता है, हाइड्रॉक्सिल छोड़ता है, और शरीर के जिस हिस्से पर पड़ता है, वह बुरी तरह झुलस जाता है। चेहरे पर पड़ने पर आँखें, नाक आदि अंग खराब हो जाते हैं। मजबूत एसिड संक्षारक (करोसिव) होते हैं और कमजोर व्यावहारिक रूप से हानिरहित होते हैं। इसे मिनरल, अनोर्गेनिक , प्राकृतिक और ऑर्गेनिक एसिड के नाम से भी जाना जाता है। भारत में अधिकांश आबादी के लिए अभी भी एसिड आसानी से उपलब्ध है।
क्या कहते हैं आंकड़े
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के मुताबिक साल 2018 में महिलाओं पर तेजाब हमले के 131, साल 2019 में 150 मामले और साल 2020 में 105 मामले दर्ज किए गए हैं।
इंडियन पीनल कोड एसिड अटैक पर क्या कहता है
* सेक्शन 326A कहता है कि – जो कोई व्यक्ति, किसी दूसरे व्यक्ति के शरीर के किसी अंग को स्थायी या आंशिक क्षति या विकृति, या चोट या अपंग या विकृत या डिसेबल करता है या एसिड फेंककर या एसिड का इस्तेमाल करके गंभीर चोट का कारण बनता है, एसिड या किसी अन्य साधन का उपयोग करने के इरादे से या इस ज्ञान के साथ कि उसे ऐसी चोट लगने की संभावना है... तो उस व्यक्ति को किसी भी प्रकार के कारावास से दंडित किया जा सकता है, जिसकी अवधि 10 वर्ष से कम नहीं होगी और जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सजता है और वह जुर्माने के लिए भी उत्तरदायी होगा।
इंडियन पीनल कोड का सेक्शन 326B कहता है कि-
जो कोई किसी व्यक्ति पर एसिड फेंकता है या फेंकने की कोशिश करता है या किसी व्यक्ति को एसिड पिलाने का प्रयास करता है, या किसी अन्य साधन का उपयोग करने की कोशिश करता है, उसको स्थायी या आंशिक क्षति या विकृति या जलाने के इरादे से या अपंग या अक्षमता या उस व्यक्ति को गंभीर चोट लगाने के इरादे से, तो ऐसे व्यक्ति को किसी भी अवधि के लिए कारावास से दंडित किया जाएगा जो 5 साल से कम नहीं होगा और जिसे 7 साल तक बढ़ाया जा सकता है और उसे जुर्माना भी देना होगा।
एसिड अटैक के कुछ मामले
1. लक्ष्मी अग्रवाल बनाम भारत संघ मामला
लक्ष्मी बनाम यूनियन ऑफ़ इंडिया, यह एक ऐतिहासिक मामला था, इस मामले में, लक्ष्मी (एसिड पीड़ित) द्वारा याचिका दायर की गयी थी । एक नाबालिग, लक्ष्मी अग्रवाल पर नई दिल्ली के तुगलक रोड के पास तीन पुरुषों द्वारा एसिड से हमला किया गया था, क्योंकि उसने नाइम खान उर्फ गुड्डू से शादी करने से इनकार कर दिया था।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को एसिड के नियमन (रेग्युलेशन) का निर्देश जारी किया था। अदालत ने कंपनसेशन की समस्या का भी समाधान किया। सुप्रीम कोर्ट ने माना कि सेक्शन 357A ,पीड़ित या उसके आश्रितों (डिपेंडेंट्स) को कंपनसेशन के उद्देश्य से धन उपलब्ध कराने के लिए एक योजना तैयार करने का प्रावधान करता है, जिन्हें अपराध के परिणामस्वरूप नुकसान या चोट का सामना करना पड़ा है और जिन्हें रिहैबिलिटेशन की आवश्यकता है। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि एसिड अटैक के पीड़ितों को राज्य सरकार/केंद्र शासित प्रदेश द्वारा कम से कम 3 लाख रुपये की कंपनसेशन दी जानी चाहिए जिससे उनकी देखभाल और रिहैबिलिटेशन किया जा सके।
2.. मारेपल्ली वेंकट श्री नागेश बनाम स्टेट ऑफ़ ए.पी., आरोपी को अपनी पत्नी के चरित्र के बारे में संदेह था और उसने, उसकी योनि (वजाइना) में मर्क्यूरिक क्लोराइड डाला और रेनल फेलर के कारण उसकी मृत्यु हो गई। आरोपी को आई.पी.सी. के सेक्शन 302 और 307 के तहत आरोपित किया गया और दोषी ठहराया गया।
3. स्टेट ऑफ़ कर्नाटक बाइ जलाहल्ली पुलिस स्टेशन बनाम जोसेफ रोड्रिग्स, यह एसिड अटैक से जुड़े सबसे प्रसिद्ध मामलों में से एक है। नौकरी का ऑफर ठुकराने पर आरोपी ने हसीना नाम की लड़की पर एसिड फेंक दिया। इस गहरे जख्म ने उसकी शारीरिक बनावट को बदल दिया और उसके चेहरे का रंग बदल दिया और उसे अंधा बना दिया। आरोपी को आई.पी.सी. के सेक्शन 307 के तहत दोषी ठहराया गया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। ट्रायल कोर्ट ने, आरोपी को 2,00,000 रुपये के कंपनसेशन के अलावा 3,00,000 रुपये के जुर्माने का भुगतान, हसीना के माता-पिता को देने को कहा।
4. देवानंद बनाम द स्टेट के मामले में एक व्यक्ति ने अपनी अलग हुई पत्नी पर एसिड फेंक दिया क्योंकि उसने उसके साथ रहने से इनकार कर दिया था। पत्नी को स्थायी रूप से विकृति और एक आंख की हानि का सामना करना पड़ा।आरोपी को सेक्शन 307 के तहत दोषी ठहराया गया और 7 साल की कैद हुई।
कुछ अन्य मामले
रेशमा कुरैशी
मई 2014 में में जब रेशमा कुरैशी 17 साल की थीं, जब उनकी बहन के पति सहित चार लोगों ने उन पर तेजाब से हमला किया। जब यह घटना हुई, तब वह एक परीक्षा देने के लिए इलाहाबाद में थी। उसने खुद को और अपनी बहन को बचाने के कोशिश में पुरुषों से तेजाब छीन लिया। पुरुषों ने उस पर तेजाब डाला, जिससे उसका चेहरा बुरी तरह जल गया और उसकी एक आंख हमेशा के लिए खराब हो गई। हालांकि, रेशमा ने इससे हार नहीं मानी और उन्होंने 2016 में #TakeBeautyBack अभियान को बढ़ावा देने के लिए न्यूयॉर्क फैशन वीक में रैंप वॉक किया।
प्रज्ञा सिंह
2006 की बात है, जब शादी के 12 दिन बाद, 23 वर्षीय प्रज्ञा सिंह अपना करियर बनाने के लिए अपने गृहनगर वाराणसी से दिल्ली के लिए ट्रेन में अकेले यात्रा कर रही थी। जब वह गहरी नींद में थी, तब एक आदमी जिसके शादी के प्रस्ताव को प्रज्ञा ने ठुकरा दिया था, उसने उसके चेहरे पर तेजाब फेंक दिया। घटना में उसकी एक आंख खराब हो गई और उसे लगभग पंद्रह सर्जरी से गुजरना पड़ा।
चंद्रहास मिश्रा
भारत में केवल महिलाएं ही नहीं बल्कि पुरुष भी एसिड अटैक का शिकार होते हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, भारत में एसिड हमले के पीड़ितों में लगभग 40 प्रतिशत पुरुष हैं। ज्यादातर मामलों में, घरेलू विवाद या पेशेवर प्रतिद्वंद्विता के दौरान पुरुषों को एसिड अटैक का सामना करना पड़ता है। मेरठ निवासी चंद्रहास मिश्रा ने सड़क पर एक महिला को परेशान करते हुए एक शख्स को पकड़ा था। हमलावर उनके जमींदार का बेटा था। इसके बाद उस लड़के ने तेजाब से भरी एक बाल्टी चंद्रहास पर फेंकी, जिससे चंद्रहास 40% से अधिक जल गए।
अनमोल
अनमोल सिर्फ दो महीने की थी जब उसके पिता ने उसकी मां पर तेजाब फेंका, जिसकी जलने से मौत हो गई। अनमोल, जो उनकी गोद में थी, वो भी इसकी चपेट में आ गई और चेहरा खराब होने के साथ ही उसकी एक आंख की रोशनी भी चली गई। वह एक अनाथालय में पली-बढ़ी। अनमोल ने दोस्त बनाने के लिए संघर्ष किया और भेदभाव का सामना करने के कारण उसे अपनी नौकरी भी छोड़नी पड़ी।