
Massive avalanche in Siachen Glacier (NPG file photo)
नई दिल्ली। भारत और दुनिया के सबसे ऊँचे युद्ध क्षेत्र सियाचिन ग्लेसियर में आज मंगलवार एक बड़ा हादसा हो गया। यहां सेना के तीन जवान एक भीषण हिमस्खलन का शिकार हो गए। हादसे की जानकारी मिलते ही सेना की विशेष “अवलांच रेस्क्यू टीमें” (ART) मौके पर पहुंचीं और राहत कार्य शुरू किया गया।
मंगाई गई और मदद
घायलों को निकालने के लिए सेना और वायुसेना के हेलिकॉप्टर, जैसे कि चीता और Mi-17, का इस्तेमाल किया जा रहा है। बचाव दलों को बर्फीले और खतरनाक इलाकों में काम करना पड़ रहा है, जिससे राहत कार्य और भी चुनौतीपूर्ण हो जाता है, इसके लिए लेह और उधमपुर से और मदद मंगाई गई है।
मौसम खराबी की वजह से हुआ हादसा
जानकारी के अनुसार, शहीद हुए सभी सैनिक महार रेजिमेंट से थे और वे गुजरात, उत्तर प्रदेश और झारखंड के रहने वाले थे। हादसे के बाद वे लगभग पांच घंटे तक बर्फ में फंसे रहे, जिसके बाद उनकी जान नहीं बचाई जा सकी। हालांकि, एक सेना के कैप्टन को समय रहते सुरक्षित निकाल लिया गया है। सेना के अधिकारियों ने बताया कि, खराब मौसम और बर्फबारी के बावजूद बचाव अभियान को प्राथमिकता दी जा रही है। सेना की ओर से इस हादसे पर अभी कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं हुआ है।
सियाचिन गलेसियार: दुनिया का सबसे ऊँचा युद्ध स्थल
आपको बता दें कि, सियाचिन गलेसियार भारत ही नहीं दुनिया के सबसे ऊँचे युद्ध स्थलों में से एक है। यह तकरीबन लगभग 20,000 फीट की ऊंचाई पर सियाचिन ग्लेशियर नियंत्रण रेखा (LoC) के उत्तरी छोर पर स्थित है। यहाँ साँस लेना भी बहुत मुश्किल काम हो जाता है, लेकिन हमारे भारतीय सेना के जवान यहाँ दिन- रात अपनी ड्यूटी में लगे रहते है।
-60 डिग्री तक चला जाता है तापमान
आपको बता दें कि, यहाँ का तापमान अक्सर तक़रीबन माइनस साठ (-60 डिग्री) डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है और हिमस्खलन जैसी घटनाएं आम मानी जाती हैं, जो इसे विश्व का सबसे कठिन और खतरनाक सैन्य क्षेत्र बनाती हैं।
पिछले वर्षों में भी हुए हैं ऐसे हादसे
यह कोई पहली घटना नहीं है जब सियाचिन में हिमस्खलन ने जवानों की जान ली हो। वर्ष 2019 में भी एक और बड़े हिमस्खलन में चार सैनिक और दो कुली मारे गए थे। यह हादसा 18,000 फीट की ऊंचाई पर गश्त कर रहे एक दल पर हुआ था। इसके आलावा वर्ष 2021में भी सियाचिन के सब-सेक्टर हनीफ में हुए हिमस्खलन में दो सैनिक शहीद हो गए थे। करीब छह घंटे तक चले बचाव अभियान के बाद अन्य सैनिकों और कुलियों को सुरक्षित निकाला गया था।
वहीं, वर्ष 2022 में सबसे बड़ी त्रासदी अरुणाचल प्रदेश के कामेंग सेक्टर में हुई थी, जहां सात जवान हिमस्खलन की चपेट में आकर शहीद हो गए थे। घटना के तीन दिन बाद उनके शव बरामद किए जा सके थे।
आधुनिक तकनीक की मदद
इन्ही पिछली घटनाओं से सबक लेते हुए सेना ने सियाचिन में कई तकनीकी सुधार किए हैं। बता दें कि, DRDO द्वारा बनाए गए ऑल-टेरेन व्हीकल्स, डायनीमा रस्सियों, चिनूक जैसे भारी हेलिकॉप्टर और ISRO की टेलीमेडिसिन सुविधा ने काफी मदद पहुंचाई है। HAPO चैंबर जैसी चिकित्सा सुविधाएं भी अब उपलब्ध हैं। फिर भी, मौसम की मार यहां सबसे बड़ी चुनौती बनी रहती है।
