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Anupama Gulati Murder Case Explained: पत्नी को 72 टुकड़ों में काटा, डीप फ्रीजर में छिपाई लाश, जानिए क्या है अनुपमा गुलाटी हत्याकांड?
Anupama Gulati Murder Case Explained: अनुपमा गुलाटी मर्डर केस भारत के सबसे खौफनाक डोमेस्टिक क्राइम में गिना जाता है। यह मामला सिर्फ एक हत्या नहीं बल्कि महीनों तक चली साजिश, सबूत मिटाने की कोशिश और बच्चों के सामने रचा गया झूठ था।

Anupama Gulati Murder Case Explained: अनुपमा गुलाटी मर्डर केस भारत के सबसे खौफनाक डोमेस्टिक क्राइम में गिना जाता है। यह मामला सिर्फ एक हत्या नहीं बल्कि महीनों तक चली साजिश, सबूत मिटाने की कोशिश और बच्चों के सामने रचा गया झूठ था। सॉफ्टवेयर इंजीनियर राजेश गुलाटी ने अपनी पत्नी अनुपमा की हत्या कर उसके शरीर के 72 टुकड़े किए, उन्हें डीप फ्रीजर में छिपाया और धीरे-धीरे ठिकाने लगाया। दिसंबर 2025 में नैनीताल हाई कोर्ट ने उसकी उम्रकैद की सजा को बरकरार रखते हुए साफ कर दिया कि ऐसी दरिंदगी के लिए कोई रियायत नहीं हो सकती।
रिश्ता कैसे शुरू हुआ?
राजेश और अनुपमा की मुलाकात 1992 में हुई। दोनों के बीच करीब 7 साल का अफेयर चला और 10 फरवरी 1999 को शादी हुई। शादी के बाद साल 2000 में दोनों अमेरिका चले गए। शुरुआत अच्छी रही लेकिन धीरे-धीरे रिश्ते में तनाव बढ़ता चला गया। 2003 में अनुपमा भारत लौट आई हालांकि 2005 में राजेश उसे फिर अमेरिका ले गया जहां जुड़वा बच्चों का जन्म हुआ।
अमेरिका से देहरादून तक: बढ़ता तनाव
2008 में परिवार भारत लौटकर देहरादून में बस गया। यहां घरेलू विवाद और बढ़ते चले गए, मामला घरेलू हिंसा और प्रोटेक्शन ऑर्डर तक पहुंचा। कोर्ट के निर्देश पर राजेश को हर महीने अनुपमा को 20 हजार रुपये देने थे लेकिन उसने सिर्फ एक बार भुगतान किया। यहीं से यह रिश्ता पूरी तरह टूटने की कगार पर पहुंच गया।
टाइम लाइन: हत्या से हाई कोर्ट के फैसले तक
17 अक्टूबर 2010: हत्या की रात
घरेलू खर्च को लेकर हुए झगड़े में राजेश ने अनुपमा को जोर से थप्पड़ मारा जिससे उसका सिर दीवार से टकराया और वे बेहोश हो गईं। घबराहट में राजेश ने उस का गला घोंट दिया जिससे उस की मौके पर ही मौत हो गई। इसके बाद उसने जो किया उसने पूरे देश को हिला दिया।
अक्टूबर–नवंबर 2010: शव के 72 टुकड़े
हत्या छिपाने के लिए राजेश ने बाजार से इलेक्ट्रिक आरी खरीदी और अनुपमा के शव के 72 टुकड़े कर दिए। बदबू रोकने के लिए उसने एक बड़ा डीप फ्रीजर खरीदा और शव के टुकड़ों को प्लास्टिक बैग में भरकर उसमें रखा। वह रोज कुछ टुकड़े मसूरी डायवर्जन के पास नाले में फेंकता रहा।
बच्चों और परिवार से झूठ
अनुपमा के गायब होने के बाद राजेश बच्चों से कहता रहा कि उनकी मां नानी के घर गई हैं। वह ससुराल वालों को ई-मेल भेजकर भी गुमराह करता रहा। यह झूठ करीब दो महीने तक चलता रहा।
12 दिसंबर 2010: सच्चाई का खुलासा
अनुपमा के भाई को शक हुआ। उसने एक दोस्त को पासपोर्ट विभाग का कर्मचारी बनाकर घर भेजा। राजेश के विरोधाभासी बयानों से पुलिस को सूचना मिली। जब पुलिस ने घर में रखा डीप फ्रीजर खोला, तो अंदर का दृश्य देखकर अधिकारी सन्न रह गए।
2017: ट्रायल कोर्ट का फैसला
देहरादून की निचली अदालत ने राजेश गुलाटी को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद और 15 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। कोर्ट ने माना कि यह सुनियोजित और एक्सट्रीम क्रूर अपराध है।
17 दिसंबर 2025: हाई कोर्ट की मुहर
नैनीताल हाई कोर्ट की बेंच ने राजेश की अपील खारिज करते हुए कहा कि यह मामला किसी क्षणिक गुस्से का नहीं बल्कि ठंडे दिमाग से की गई हैवानियत का उदाहरण है। अदालत ने स्पष्ट किया कि समाज की सुरक्षा के लिए ऐसी सजा जरूरी है।
कोर्ट ने क्या कहा?
हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि आरोपी ने न सिर्फ हत्या की बल्कि सबूत मिटाने के लिए महीनों तक योजना बनाई और बच्चों तक को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया। कोर्ट ने माना कि ऐसे अपराध में सुधार की संभावना नहीं देखी जा सकती और उम्रकैद ही उचित सजा है।
यह मामला क्यों अहम है?
Anupama Gulati Murder Case ने घरेलू हिंसा, मानसिक प्रताड़ना और क्राइम इन्वेस्टिगेशन से जुड़े कई सवाल खड़े किए। यह केस बताता है कि कैसे पढ़ा-लिखा और तकनीकी रूप से सक्षम व्यक्ति भी अत्यंत क्रूर अपराध कर सकता है और कैसे कानून ने इंसाफ की मुहर लगाई।
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