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Allahabad High Court: SC/ST Act का दुरुपयोग: पीड़िताओं और आरोपियों को हाई कोर्ट की फटकार: आरोपियों पर लगाया 5 लाख का जुर्माना

Allahabad High Court: SC/ST Act के दुरुपयोग को लेकर हाई कोर्ट ने पीड़िताओं के अलावा 19 आरोपियों को जमकर फटकार लगाई है। पीड़िताओं को प्रभावित करने के आरोप में कोर्ट ने आरोपियों पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। एफआईआर के बाद अदालत में बयान बदलने को लेकर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने पीड़ितों, एक दलित महिला और उसकी दो बहुओं को राज्य सरकार से प्राप्त मुआवजा राशि 4.5 लाख रुपये वापस करने का निर्देश दिया। हाई कोर्ट ने 1989 के SC/ST Act की धारा 14-ए (1) के तहत 19 आरोपियों द्वारा दायर आपराधिक अपील खारिज कर दिया है।

Allahabad High Court: SC/ST Act का दुरुपयोग: पीड़िताओं और आरोपियों को हाई कोर्ट की फटकार: आरोपियों पर लगाया 5 लाख का जुर्माना
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By Radhakishan Sharma

Allahabad High Court: प्रयागराज। SC/ST Act के दुरुपयोग को लेकर हाई कोर्ट ने पीड़िताओं के अलावा 19 आरोपियों को जमकर फटकार लगाई है। पीड़िताओं को प्रभावित करने के आरोप में कोर्ट ने आरोपियों पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। एफआईआर के बाद अदालत में बयान बदलने को लेकर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने पीड़ितों, एक दलित महिला और उसकी दो बहुओं को राज्य सरकार से प्राप्त मुआवजा राशि 4.5 लाख रुपये वापस करने का निर्देश दिया। हाई कोर्ट ने 1989 के SC/ST Act की धारा 14-ए (1) के तहत 19 आरोपियों द्वारा दायर आपराधिक अपील खारिज कर दिया है।

मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट के सिंगल बेंच ने पीड़िताओं पर दबाव बनाने और न्याय प्रक्रिया को विफल करने के प्रयास में भूमिका निभाने के लिए सभी 19 अभियुक्तों पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने अपने आदेश में अभियुक्ताओं पर यह जुर्माना इस तरह के छेड़छाड़पूर्ण आचरण की पुनरावृति रोकने के लिए लगाया है। जुर्माने की राशि 20 दिनों के भीतर हाई कोर्ट वेलफेयर फंड में जमा करने का निर्देश दिया है।

रामेश्वर सिंह सहित 19 अभियुक्तों द्वारा आपराधिक अपील दायर कर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 147, 148, 149, 323, 504, 506, 452, और 354(खा) और SC/ST Act की धारा 3(2)(वा) के तहत गंभीर आरोपों से जुड़े आपराधिक मामले के संबंध में स्पेशल जज (SC/ST Act), प्रयागराज द्वारा पारित संज्ञान और समन आदेश को रद्द करने की मांग की गई। 4 नवंबर, 2025 को सुनवाई के दौरान, अपीलकर्ताओं के वकील ने तर्क दिया कि FIR शिकायतकर्ता के अंगूठे के निशान पर दर्ज की गई। अधिवक्ता ने कहा कि पीड़िता ने ऐसी कोई FIR दर्ज नहीं कराई। यह देखते हुए कि शिकायतकर्ता अनुसूचित जाति समुदाय की एक महिला है, अदालत ने आशंका जताई कि आवेदकों ने उससे संपर्क किया होगा और उस पर अनुचित दबाव डाला होगा। हाई कोर्ट ने पुलिस उपायुक्त यमुनापार, जांच अधिकारी और पीड़िता को 6 नवंबर, 2025 को व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होने का निर्देश दिया।

तय तिथि पर डीसीपी, जांच अधिकारी और पीड़िता अदालत के समक्ष उपस्थित हुए। कोर्ट के सवाल पर शिकायतकर्ता पीड़ित ने कहा कि सादे कागज पर पुलिस ने अंगूठे का निशान लिया था। पीड़िता के बयान काे झूठा साबित करते हुए राज्य शासन के अधिवक्ता ने पुलिस दस्तावेज पेश करते हुए बताया कि एफआईआर शिकायकर्ता के द्वारा पेश लिखित शिकायत के आधार पर दर्ज की गई है। शिकायतकर्ता और उसकी दोनों बहुओं के बयान CrPC की धारा 161 और CrPC की धारा 164 के तहत दर्ज किए गए हैं।

तीनों महिलाओं की मेडिकल जांच की गई और उन्हें ST/ST Act की वैधानिक योजना के तहत मुआवजे के रूप में ₹1.5 लाख (कुल ₹4.5 लाख) का भुगतान किया गया है। शासन के अधिवक्ता के जवाब के बाद कोर्ट ने हैरानी व्यक्त करते हुए कहा, यह बेहद परेशान करने वाली बात है कि शिकायतकर्ता पीड़िता अब FIR दर्ज कराने से इनकार कर रही है, जबकि उसने CrPC की धारा 164 के तहत आरोपों की पुष्टि करते हुए बयान दर्ज कराया और अत्याचार के वास्तविक पीड़ितों के लिए वैधानिक योजना के तहत पर्याप्त आर्थिक मुआवजा प्राप्त किया। कोर्ट ने कहा, इस तरह का आचरण प्रथम दृष्टया विधि प्रक्रिया के गंभीर दुरुपयोग और SC/ST Act के कल्याणकारी प्रावधानों के घोर दुरुपयोग को दर्शाता है। घटनाओं का क्रम सार्वजनिक धन को गलत तरीके से प्राप्त करने के बाद आपराधिक न्याय प्रक्रिया में हेरफेर करने के एक जानबूझकर प्रयास का संकेत देता है, जिससे राज्य के साथ धोखाधड़ी हुई है। कोर्ट ने इस टिप्पणी के साथ अपील को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने स्पेशल जज (SC/ST Act), प्रयागराज को निर्देशित किया है कि इस न्यायालय के समक्ष पीड़िता द्वारा लिए गए विरोधाभासी रुख या यहां की गई टिप्पणियों से अप्रभावित होकर, कानून के अनुसार सख्ती से मुकदमा जारी रखें।

हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण आदेश

पीड़िता और उसकी दोनों बहुओं को दी गई मुआवजा राशि वापस ली जाए। अपीलकर्ता 20 दिनों के भीतर पांच लाख रुपये जुर्माना की राशि जमा करेंगे। हाई कोर्ट वेलफेयर फंड में जमा करना होगा। अपीलकर्ताओं द्वारा राशि तय समय पर जमा नहीं की जाती है तब ऐसी स्थिति में महापंजीयक कानून के अनुसार रिकवरी करेंगे।

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