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तलाक रुकवाने की सजा तलाक : वकील ने 138 परिवारों को टूटने से बचाया पर खुद की पत्नी ने ले लिया तलाक, जानें बेटी क्यों मानती है रोल मॉडल

तलाक रुकवाने की सजा तलाक : वकील ने 138 परिवारों को टूटने से बचाया पर खुद की पत्नी ने ले लिया तलाक, जानें बेटी क्यों मानती है रोल मॉडल
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By Manoj Vyas

एनपीजी अहमदाबाद डेस्क. सोशल मीडिया पर एक खबर तेजी से ट्रेंड हो रही है. यह खबर एक वकील के तलाक से जुड़ी है. आप कहेंगे कि वकील, जज या कलेक्टर कोई भी हो, इसमें खबर ट्रेंड होने की क्या बात है. यहां आपको बता दें कि वकील साहब ने 138 परिवारों को टूटने से बचाया पर जब खुद की पत्नी ने तलाक के लिए आवेदन किया तो वे नहीं समझा सके और उन्हें अलग होना पड़ा. यह खबर भावुक करने वाली है, क्योंकि अपने पेशे के विपरीत वकील जहां पति-पत्नी को तलाक नहीं लेने के लिए समझा लेते थे तो उनसे फीस नहीं लेते थे. बस यही बात उनके परिवार पर भारी पड़ी. आइए पहले जानते हैं की वकील फीस क्यों नहीं लेते थे...

गुजरात हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले वकील शादी नहीं तोड़ने के लिए राजी होने वाले परिवार से फीस क्यों नहीं लेते थे, यह किस्सा काफी पुराना है. वकील की चचेरी बहन का तलाक हुआ था, तब उन्होंने परिवार को टूटते देखा था. बस उसी समय उन्होंने तय किया कि वे अब परिवारों को टूटने से रोकेंगे. इस तरह जो भी तलाक के केस उनके पास आते थे, वे काउंसिलिंग कर उन्हें मना लेते थे. 16 साल के करियर में उन्होंने ऐसे 138 परिवारों को अलग होने से बचा लिया. इनसे फीस भी नहीं ली. अब आगे पढ़ें इस नेक काम का क्या सिला मिला...

परिवारों को टूटने से बचाने वाले वकील के अभियान ने उन्हें नाम तो दिया पर सिर्फ नाम से घर नहीं चलता. सुविधाएं और संसाधन उपलब्ध नहीं होते. बस घर की आर्थिक तंगी देखकर वकील की पत्नी संतुष्ट नहीं थी. वह दूसरे वकीलों से तुलना करती थी. इस कारण पति-पत्नी के बीच विवाद शुरू हो गया. मामला कोर्ट तक पहुंचा और दूसरों का घर टूटने से बचाने वाले वकील का ही परिवार बिखर गया.

बेटी के लिए पिता रोल मॉडल

वकील और पत्नी के बीच जब विवाद शुरू हुआ, तब उसका सबसे बड़ा असर उनकी बेटी पर पड़ा. बेटी दोनों के झगड़े में पिस कर रह गई. तलाक का केस जब चल रहा था तब लॉ की पढ़ाई कर रही बेटी अपनी मां के साथ रहती थी, लेकिन जब अदालत ने तलाक की मंजूरी दी, तब बेटी ने मां के बजाय पिता के साथ रहना पसंद किया. बालिग होने के कारण कोर्ट ने यह स्वीकार कर लिया. बेटी का कहना है कि पिता उसके रोल मॉडल हैं.

Manoj Vyas

मनोज व्यास : छत्तीसगढ़ में 18 साल से पत्रकारिता में सक्रिय, सभी प्रमुख संस्थाओं में दी सेवाएं, इसी दौरान हरिभूमि समाचार पत्र से जुड़े। इसके बाद दैनिक भास्कर में सिटी रिपोर्टर के रूप में जॉइन किया। नौकरी के साथ-साथ गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय से एमएमसीजे की पढ़ाई पूरी की। न्यायधानी के बाद राजधानी का रुख किया। यहां फिर हरिभूमि से शुरुआत की और नेशनल लुक, पत्रिका, नवभारत, फिर दैनिक भास्कर होते हुए भविष्य की पत्रकारिता का हिस्सा बनने के लिए NPG.News में बतौर न्यूज एडिटर जॉइन किया। इस बीच नवभारत के भुवनेश्वर, ओडिशा एडिशन में एडिटोरियल इंचार्ज के रूप में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं।

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