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8th Pay Commission Explainer: सरकारी कर्मचारी अलर्ट! कितना बढ़ेगा आपका वेतन? आसान भाषा में समझिए फिटमेंट फैक्टर का पूरा फॉर्मूला!

8th Pay Commission: 8वें वेतन आयोग के Terms of Reference मंजूर हो चुके हैं। जानिए फिटमेंट फैक्टर क्या है, इससे कितना बढ़ेगा वेतन और किन सूत्रों के आधार पर तय होती है सैलरी रीविजन की गणना।

8th Pay Commission Explainer: सरकारी कर्मचारी अलर्ट! कितना बढ़ेगा आपका वेतन? आसान भाषा में समझिए फिटमेंट फैक्टर का पूरा फॉर्मूला!
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By Ragib Asim

8th Pay Commission: केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स के बीच इन दिनों सबसे ज्यादा चर्चा में है फिटमेंट फैक्टर। यही वह गुणांक (Multiplier) है जिसके आधार पर यह तय होता है कि बेसिक सैलरी और पेंशन में कितनी बढ़ोतरी होगी। केंद्र सरकार ने हाल ही में 8वें वेतन आयोग (8th Pay Commission) के Terms of Reference (ToR) को मंजूरी दे दी है जिससे अब उम्मीदें बढ़ गई हैं।

इस आयोग की अध्यक्षता न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रंजन देसाई कर रही हैं। आने वाले महीनों में आयोग विभिन्न विभागों और कर्मचारियों के संगठनों से बातचीत करेगा और फिर अपनी सिफारिशें पेश करेगा।
फिटमेंट फैक्टर क्या होता है?
फिटमेंट फैक्टर वह गुणांक (Multiplier) है जिससे यह तय होता है कि पुराने वेतन स्ट्रक्चर से नया वेतन कितना बढ़ाया जाएगा। मिसाल के लिए अगर किसी का बेसिक पे 10,000 है और फिटमेंट फैक्टर 2.0 तय किया जाता है तो नया बेसिक पे 20,000 हो जाएगा।
7वें वेतन आयोग में यह गुणांक 2.57 था यानी वेतन में लगभग 14.3% की प्रभावी वृद्धि हुई थी। अब 8वें आयोग में यही फैक्टर केंद्र बिंदु बन गया है।
कर्मचारी संगठनों की प्रमुख मांगें
नेशनल काउंसिल (JCM) और अन्य कर्मचारी यूनियनों ने सरकार से मांग की है कि फिटमेंट फैक्टर कम से कम 2.57 या उससे ज्यादा रखा जाए। उनका तर्क है कि पिछले 9 वर्षों में महंगाई, जीवन यापन सूचकांक और उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतों में काफी वृद्धि हुई है। इसलिए Dr. Aykroyd Formula के आधार पर बेसिक पे में बड़ा संशोधन होना चाहिए।
Dr. Aykroyd सूत्र क्या कहता है?
यह सूत्र प्रसिद्ध अमेरिकी नूट्रिशनिस्ट (Nutritionist) डॉ. वॉलेस आर. एक्रॉयड के नाम पर आधारित है। इसमें सामान्य उपभोक्ता की आवश्यकताओं जैसे भोजन, कपड़ा, मकान, ईंधन आदि के औसत दामों को आधार बनाकर जीवन-यापन सूचकांक (Cost of Living Index) तैयार किया जाता है। भारत में इस सूचकांक की निगरानी श्रम ब्यूरो करता है।
रिपोर्ट्स में क्या संकेत मिले हैं?
वित्तीय संस्थानों की हाल की रिपोर्ट्स में फिटमेंट फैक्टर को लेकर अलग-अलग अनुमान सामने आए हैं...
Ambit Capital (9 जुलाई): फिटमेंट फैक्टर 1.83 से 2.46 के बीच रह सकता है।
Kotak Institutional Equities (21 जुलाई): यह 1.8 तक सीमित हो सकता है।
कुछ अटकलें 2.57 से 2.86 तक की भी हैं लेकिन फिलहाल संभावना कम मानी जा रही है। सरकार की ओर से आधिकारिक बयान अभी नहीं आया है लेकिन अनुमानों से साफ है कि वेतन वृद्धि 13% से 34% के बीच रह सकती है।
DA रीसेट का असर
जब भी नया वेतन आयोग लागू होता है, मौजूदा महंगाई भत्ता (DA) को शून्य कर दिया जाता है। फिलहाल कर्मचारियों को 58% DA मिल रहा है, जो 8वें वेतन आयोग के लागू होते ही 0% पर रीसेट हो जाएगा। इसलिए कुल वेतन वृद्धि का प्रभाव थोड़ा संतुलित दिखाई देगा।
संभावित न्यूनतम वेतन: गणना समझिए
वर्तमान (7वां वेतन आयोग):
बेसिक पे: ₹18,000
HRA: ₹4,320
TA: ₹1,350
DA (58%): ₹10,440
कुल वेतन: ₹34,110 (लगभग)
8वें वेतन आयोग में अलग-अलग फिटमेंट फैक्टर पर बेसिक पे इस प्रकार बढ़ सकता है —
1.8 फैक्टर: ₹32,400
2.0 फैक्टर: ₹36,000
2.46 फैक्टर: ₹44,280
2.57 फैक्टर: ₹46,260
अगर सरकार 7वें वेतन आयोग के समान या उससे थोड़ा अधिक फैक्टर तय करती है, तो कर्मचारियों का न्यूनतम बेसिक पे ₹45,000 के करीब पहुंच सकता है।
संभावित टाइमलाइन
आयोग अगले कुछ महीनों में डेटा संग्रह और हितधारकों से बातचीत पूरी करेगा। इसके बाद 2026 तक अपनी अंतिम रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपेगा। लागू होने की संभावित तारीख 1 जनवरी 2026 मानी जा रही है, जैसा कि पिछले आयोगों में भी होता आया है।
8वें वेतन आयोग से न सिर्फ कर्मचारियों की आय बढ़ेगी, बल्कि सरकारी खर्च और महंगाई पर भी असर पड़ेगा। फिलहाल सभी की निगाहें आयोग की सिफारिशों और केंद्र सरकार की मंजूरी पर टिकी है। इतना तय है कि यह बदलाव लाखों कर्मचारियों और पेंशनर्स के वेतन स्टक्चर में एक बड़ा सुधार लेकर आएगा।

Ragib Asim

रागिब असीम – समाचार संपादक, NPG News रागिब असीम एक ऐसे पत्रकार हैं जिनके लिए खबर सिर्फ़ सूचना नहीं, ज़िम्मेदारी है। 2013 से वे सक्रिय पत्रकारिता में हैं और आज NPG News में समाचार संपादक (News Editor) के रूप में डिजिटल न्यूज़रूम और SEO-आधारित पत्रकारिता का नेतृत्व कर रहे हैं। उन्होंने करियर की शुरुआत हिन्दुस्तान अख़बार से की, जहाँ उन्होंने ज़मीन से जुड़ी रिपोर्टिंग के मायने समझे। राजनीति, समाज, अपराध और भूराजनीति (Geopolitics) जैसे विषयों पर उनकी पकड़ गहरी है। रागिब ने जामिया मिलिया इस्लामिया से पत्रकारिता और दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की है।

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