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मुंबई में 305 MBBS छात्रों को परीक्षा में बैठने से रोका, सामने आयी ये वजह

Student Short Attendence: न्यूनतम हाजिरी पूरी नहीं कर पाने पर मुंबई के दो बीएमसी मेडिकल कॉलेजों के कुल 305 एमबीबीएस छात्रों को कम से कम एक विश्‍वविद्यालय परीक्षा में बैठने से रोक दिया गया है...

मुंबई में 305 MBBS छात्रों को परीक्षा में बैठने से रोका, सामने आयी ये वजह
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Mumbai medical student 

By Manish Dubey

Student Short Attendence: न्यूनतम हाजिरी पूरी नहीं कर पाने पर मुंबई के दो बीएमसी मेडिकल कॉलेजों के कुल 305 एमबीबीएस छात्रों को कम से कम एक विश्‍वविद्यालय परीक्षा में बैठने से रोक दिया गया है। एक अधिकारी ने यहां मंगलवार को यह जानकारी दी।

ये छात्र हिंदूहृदयसम्राट बालासाहेब ठाकरे मेडिकल कॉलेज से संबद्ध डॉ. आर.एन. कूपर अस्पताल, जुहू और लोकमान्य तिलक मेडिकल कॉलेज, सायन अस्पताल से जुड़े हुए हैं।

अधिकारी ने कहा, कॉलेज प्रशासन के इस कदम से छात्रों पर बुरा असर पड़ने की संभावना है और कई छात्रों का एक साल बर्बाद हो सकता है, हालांकि उन्हें बार-बार चेतावनी दी गई थी और उनके नाम नोटिस बोर्ड पर प्रदर्शित किए गए थे।

आईएएनएस द्वारा संपर्क किए जाने पर बीएमसी के निदेशक, चिकित्सा शिक्षा डॉ. नीलम एंड्राडे ने कहा कि अन्य उच्च अधिकारी और वह स्वयं इस मामले में एक या दो दिन में निर्णय लेंगे कि इन छात्रों को महत्वपूर्ण परीक्षाओं में बैठने की अनुमति दी जाए या नहीं।

नियमों के अनुसार, छात्र की कक्षा में थ्योरी के लिए न्यूनतम 75 प्रतिशत और प्रैक्टिकल के लिए 80 प्रतिशत हाजिरी होनी चाहिए, लेकिन अधिकांश छात्रों ने हाजिरी लक्ष्य को पूरा नहीं किया है, कई 50 फीसदी से कम और कुछ बेहद कम 35 फीसदी हाजिरी वाले हैं।

इन छात्रों ने पहले ही अपने परीक्षा फॉर्म भर दिए हैं, लेकिन दोनों कॉलेजों ने उन्हें इस महीने के अंत में शुरू होने वाली परीक्षाओं के लिए परीक्षा हॉल टिकट यानी एडमिट कार्ड नहीं दिए हैं।

इस कदम से हैरान, मुंबई या अन्य राज्यों के कुछ छात्रों सहित कई घबराए हुए छात्रों ने कॉलेज अधिकारियों से संपर्क कर कोई उपाय करने की मांग की है, लेकिन मामला अभी लंबित है।

हाजिरी कम रहने के बताए गए कारणों में कोचिंग कक्षाओं को प्राथमिकता देना, एक साथ कई प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करना या ऑनलाइन माध्यम से स्व-कोचिंग को प्राथमिकता देना शामिल है।

सायन कॉलेज के एक वरिष्ठ मेडिकल पाठ्यक्रम प्रोफेसर ने स्वीकार किया कि न केवल बीएमसी मेडिकल कॉलेजों में, बल्कि अन्य सरकारी मेडिकल कॉलेजों में भी कई छात्रों के लिए हाजिरी एक प्रमुख मुद्दा रही है, हालांकि निजी मेडिकल कॉलेजों में ऐसी हालत नहीं है।

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