मंत्री अमरजीत भगत असम की ज़मीन पर पूरे रंग में.. कूड़ूख गीत गाते याद दिलाई छत्तीसगढ़ की.. देश की अखंडता एकता के लिए माँगा साथ
गुवाहाटी,19 फ़रवरी 2021। असम में एक छत्तीसगढ़ बसा हुआ है, सदियों पहले छत्तीसगढ़ से असम पहुँचे और वहाँ के चाय बाग़ानों में स्थाईत्व तलाश इन छत्तीसगढ़ियों को असमिया बना चुकी है, लेकिन खूबसूरत बात यह है कि, इन्होंने छत्तीसगढ़ को अपने भीतर मुकम्मल बनाए बचाए रखा है। इनमें सतनामी, साहू, उराँव प्रमुख रुप से मौजूद है। जिन्हें ना ध्यान हो उन्हें पता होना चाहिए कि मिनी माता के नाम से पहचाने जाने वाली सतनाम समाज की परम आराध्य असम के नगांव इलाक़े से आई थीं और उनका मूल नाम मीनाक्षी था।
छत्तीसगढ़ के लोगों की बहुलता इतनी है कि वे असम की बीस से अधिक विधानसभा सीटों को सीधे प्रभावित करते हैं। उपरी आसाम जहां पर भी चाय बाग़ान हैं वहाँ छत्तीसगढ़ मौजुद है, और इसलिए वे निर्णायक है, कम से कम पूरे असम तो नहीं मगर अपने ईलाकों में।
ठीक यहीं पर मंत्री अमरजीत भगत ने डेरा डंडा जमा लिया है। सरगुजिहा अंदाज में अमरजीत यूँ भी रहते हैं, और यही अंदाज अमरजीत को बढ़ते क्रम में जीत भी दिला रहा है। ठीक यही अंदाज असम में अमरजीत ने बनाया है और ज़ाहिर है वे वहाँ ‘हिट’ हो गए हैं।
मंत्री अमरजीत भगत शिवसागर के नजीरा में आमसभा को संबोधित किया लेकिन उसके ठीक पहले वे कर्मा की धून पर खूब थिरके। आमसभा में भी भाषण से हलाकान नहीं किया बल्कि कूड़ूख ( उराँव बोली ) में गीत गाया। इस गीत के ज़रिए ही अमरजीत भगत ने छत्तीसगढ़ की याद दिलाई, छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार की उपलब्धियों के बारे में बताया और आग्रह किया कि देश की अखंडता एकता और विकास के लिए वे सभी साथ दें।