Begin typing your search above and press return to search.

आदिवासियों के ज्वलंत समस्याओं के निराकरण हेतु महामहिम राज्यपाल के नाम सौंपे ज्ञापन

आदिवासियों के ज्वलंत समस्याओं के निराकरण हेतु महामहिम राज्यपाल के नाम सौंपे ज्ञापन
X
By NPG News

धमतरी 9 अगस्त 2020। सर्व आदिवासी समाज जिला धमतरी द्वारा विश्व आदिवासी दिवस का आयोजन प्रति वर्ष अनुसार इस वर्ष भी हर्षोल्लास पूर्वक बुढा देव की पूजा अर्चना के साथ प्रारंभ हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व केंद्रीय मंत्री माननीय श्री अरविंद नेताम जी, अध्यक्षता सर्व आदिवासी समाज के जिला अध्यक्ष जीवराखन लाल मरई द्वारा किया गया एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में श्री सोहन पोटाई पूर्व सांसद, गोंडवाना गोंड महासभा के प्रदेश अध्यक्ष श्री नवल सिंह मंडावी, पूर्व डीआईजी श्री अकबर राम कोराम,पुलिस अधीक्षक श्री राजभानु जी, अनुसूचित जनजाति शासकीय सेवक संघ के प्रांताध्यक्ष आर एन ध्रुव,युवा प्रभाग के प्रदेश अध्यक्ष विनोद नागवंशी, प्रांतीय महासचिव श्री मोहनलाल कोमरे प्रांतीय कोषाध्यक्ष श्री एन आर चंद्रवंशी,जिलाध्यक्ष रायपुर नेपाल सिदार की विशेष उपस्थिति में संपन्न हुआ। इस अवसर पर विशिष्ट सेवा के लिए वरिष्ठ सामाजिकजनों का गोंड़वाना गौरव से सम्मान किया गया।
इस अवसर पर सर्व आदिवासी समाज जिला धमतरी ज्वलंत समस्याओं पर शासन का ध्यान आकृष्ट करते हुए निराकरण की मांग किये हैं जिसमें प्रमुख
वर्तमान सरकार के द्वारा भूमि अधिग्रहण,नजूल भूमि को विक्रय किया जा रहा है ।जो अनुसूचित क्षेत्रों में विधि के विपरीत है। इसको तत्काल रोक लगाया जाए।शिक्षा के लिए आदिवासियों की आय सीमा 2,50,000 निर्धारित किया गया है आदिवासी का निर्धारण जन्म से ही आदिवासी होता है । इसलिये आय-सीमा की बाध्यता समाप्त किया जावे। जिससे इस वर्ग के बच्चे अर्थ के अभाव में उच्च शिक्षा से वंचित ना हो।छत्तीसगढ़ शासन द्वारा संचालित आदिम जाति कल्याण विभाग के स्कूलों को स्कूल विभाग में सम्मिलित कर दिया गया है। जिसके कारण आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा संचालित स्कूलों का अस्तित्व समाप्त हो गया है। पुनः आदिम जाति कल्याण विभाग के स्कूलों को स्कूल शिक्षा विभाग से पृथक किया जावे। भू-राजस्व संहिता की धारा 170 (ख) के तहत आदिवासी अपनी खोई हुई जमीन का केस जीत तो जाता है। लेकिन प्रशासन पर राजनीतिक दबाव के कारण उसे वास्तविक कब्जा नहीं मिल पाता। साथ ही इन प्रकरणों को राजस्व मंडल एवं उच्च न्यायालय में उलझा दिया जाता है, परंतु राज्य सरकार के द्वारा इन प्रकरणों में आदिवासी वर्ग का प्रतिरक्षण नहीं किया जाता है। भारत में अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायत विस्तार अधिनियम 1996 बनाया गया है जिसे पेसा कानून कहा जाता है इसमें अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम पंचायतों एवं ग्राम सभा को जल, जंगल ,जमीन से संबंधित विषयों पर निर्णय लेने का अधिकार देने का प्रावधान है, लेकिन आज दिनांक तक इस कानून का क्रियान्वयन नहीं किया गया है। पेसा कानून को तत्काल लागू किया जावे। अनुसूचित क्षेत्रों में बगैर ग्रामसभा के अनुमोदन के भूमि अधिग्रहण कर कोयला ,लोहा ,बॉक्साइट, चूना पत्थर इत्यादि कच्चा माल खदानों से निकाला जा रहा है और इन मिनरलो का 25% रॉयल्टी प्रभावित आदिवासी परिवारों को नहीं दिया जा रहा है।अंगार मोती देवी स्थल गंगरेल का स्थायी पट्टा गोंड़ समाज के नाम पर जारी हो।
वर्ष 2011 के जनगणना में आदिवासियों की जनसंख्या अन्य समाज की तुलना में कम हो गई। जबकि पूरे दुनिया की जनसंख्या वृद्धि हो रही है। आदिवासियों के संरक्षण हेतु ठोस पहल किया जावे।भारत के सुप्रीम कोर्ट में एक भी आदिवासी न्यायाधीश नहीं है। कॉलेजियम सिस्टम समाप्त कर आईएएस ,आईपीएस की भर्ती प्रक्रिया अपनाकर उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालयों ,उच्च न्यायिक सेवा के जजों व सरकारी वकीलों /विधि अधिकारियों की नियुक्ति के लिये वर्तमान चयन प्रणाली को समाप्त कर अखिल भारतीय न्यायिक सेवा / विधि अधिकारी सेवा का गठन स्थापना के लिये एतिहासिक निर्णय लेकर शीघ्रातिशीघ्र बहुसंख्यक वर्ग अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग को न्ययपालिका मे पारदर्शिता के साथ उचित प्रतिनिधित्व देकर शीघ्र न्याय,समता एवं सामाजिक न्याय दिलाने का आदर्श स्थापित करने हेतु पहल हो।छत्तीसगढ़ एवं भारत के उच्च न्यायालयों में आदिवासी न्यायाधीश नहीं हैं। जनसंख्या के अनुपात में आदिवासी न्यायाधीशों को प्रतिनिधित्व मिले।छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में आदिवासियों से संबंधित प्रकरणों, याचिकाओं के सुनवाई के बाद अधिकांश निर्णय आदिवासियों के विरुद्ध में जा रहा है। आदिवासियों के पक्ष को मजबूती से रखने हेतु सरकार पहल करें।छत्तीसगढ़ के केंद्रीय, राज्य एवं निजी क्षेत्र में स्थापित विश्वविद्यालयों में एक भी आदिवासी कुलसचिव नहीं है और कुलपति नहीं है।अतः जनसंख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व मिले।
राज्य सरकार द्वारा फर्जी जाति प्रमाण पत्र धारी शासकीय सेवकों को मुख्यमंत्री के घोषणा के बाद भी विगत एक साल से कोई कार्यवाही नहीं किया जाना मुख्यमंत्री के वादा खिलाफी है । तत्काल फर्जी जाति प्रमाण पत्र धारियों खिलाफ कार्यवाही हो।
राज्य सरकार स्कूल शिक्षा विभाग अन्तर्गत नव-सृजित अंग्रेजी माध्यम स्कूलों के लिये जिले में प्रसारित किये गये त्रुटिपूर्ण पृथक-पृथक विज्ञापनों को निरस्त कर नये सिरे से जिला स्तरीय ,संभाग स्तरीय या राज्य स्तरीय आरक्षण प्रावधान अनुसार विज्ञापन प्रसारित किये जायें। जिससे क्षेत्र के बहुसंख्यक आदिवासी वर्ग के योग्य उम्मीदवारों को शासन की महत्वाकांक्षी योजना में सहभागिता निभाने का मौका मिल सके। साथ ही उक्त त्रुटि के लिये जिम्मेदार संबंधितों पर नियमानुसार कठोर कार्यवाही भी की जाये। अन्यथा आरक्षण संबंधी संवैधानिक प्रावधानों को नहीं मानने की दशा में उग्र आंदोलन के लिये बाध्य होना पड़ेगा।जिसकी संपूर्ण जवाबदारी शासन-प्रशासन की होगी । तेंदूपत्ता संग्राहकों को समय पर भुगतान नहीं किया जा रहा है जिसके कारण आम जनता में आक्रोश बना हुआ है।छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति कर्मचारी अधिकारियों के पदोन्नति संबंधी कार्यवाही में द्वेषपूर्ण ढंग से कार्यवाही करने के कारण आरक्षित वर्ग के कर्मचारी, अधिकारियों को पदोन्नति नहीं दिया जा रहा है। पदोन्नति नियम 2003 के नियम 05 (रोस्टर नियम) स्थगन हटने तक स्थगन के बाद जारी समस्त पदोन्नति आदेश प्रभावित आरक्षित sc,st आरक्षण रोस्टर बिंदु से निचे के सभी अनारक्षित जिनका नियम विरुद्ध पदोन्नति कर दिया गया है को निरस्त कर संशोधित पदोन्नति आदेश जारी कर सकते हैं परंतु जहां sc,st के लिये बिंदु आरक्षित है उससे नीचे के अनारक्षित बिंदु को अनारक्षित कर्मचारियों को पदोन्नति देकर न भरा जाय यदि भरा जाता है तो वह आरक्षण अधिनियम एवम पदोन्नति नियम का उल्लघन के साथ साथ संवैधानिक प्रावधानो का उलंघन तथा माननीय उच्च. न्यायालय के स्थगन आदेश का उलंघन माना जायेगा। अनारक्षित वर्ग को बगैर आरक्षण रोस्टर पालन किए पदोन्नति दिया जा रहा है जिसे निरस्त किया जाकर जनसंख्या के अनुपात में पदोन्नति प्रदान किया जाए।विगत एक साल से जनजाति आयोग के अध्यक्ष पद रिक्त होने के कारण एक साल से आदिवासियों की समस्याएं का निराकरण नहीं हो रहा है। जिसके कारण आदिवासी भटक रहे हैं।बोधघाट परियोजना का पुनः प्रारंभ करना आदिवासी संस्कृति रुढी, परंपरा, रीति रिवाज के विपरीत होने के साथ ही आदिवासियों का विस्थापन का एक नया तरीका ईजाद किया जा रहा है। बोधघाट परियोजना पर रोक लगाई जाए। सलवा जुडूम से विस्थापित आदिवासियों को एक कमेटी बनाकर तत्काल सीमांत प्रदेशों से वापस लाकर बसाया जाए।जेल में बंद निर्दोष आदिवासियों को तत्काल रिहा किया जाए।जनजाति सलाहकार परिषद का अध्यक्ष ,परिषद के सदस्यों में से ही नियुक्त किया जाए।आदिवासी समाज से जनजाति के मामलों के जानकार को मुख्यमंत्री का सलाहकार नियुक्त किया जाए। आदिवासियों को आदिवासी धर्मकोड प्रदान करने हेतु राज्य सरकार प्रस्ताव पारित कर केंद्र को अनुमोदन के लिए भेजें। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति संरक्षण कक्ष की स्थापना करने की कृपा करें, जिससे आरक्षित वर्ग के लोगों को त्वरित न्याय मिल सके।
उक्त बिंदुओं पर त्वरित कार्यवाही करते हुए आदिवासी वर्ग के हितों की रक्षा हेतु सुश्री अनुसुइया उइके जी महामहिम राज्यपाल छत्तीसगढ़ शासन , माननीय श्री भूपेश बघेल जी मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ शासन को अनुविभागीय अधिकारी राजस्व अनुविभाग धमतरी के माध्यम से ज्ञापन सौंपा गया।
इस अवसर पर भारी बारिश के बीच सोशल डिस्टेंसिंग एवं शासन द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों का पालन करते हुए सर्व आदिवासी समाज के कार्यकारी जिलाध्यक्ष बहुर सिंह मरकाम, तहसील अध्यक्ष माधव सिंह ठाकुर,कुलंजन सिंह मण्डावी, जयपाल सिंह ठाकुर, भूपेंद्र कुमार ध्रुव, डॉ आनंद राम ठाकुर,विश्राम सिंह कंवर, विष्णु कंवर, पोखन कंवर,सम्पत राम कंवर, ओमप्रकाश कंवर, रामलाल कंवर, सुरेश दीवान, रोहित दीवान,जगन्नाथ मण्डावी, माधव सिंह ठाकुर,गोपी नेताम, रोहित नेताम, ढालूराम ध्रुव, एच आर ध्रुव, जान सिंह ध्रुव, उदय नेताम, सुदर्शन ठाकुर,हुलार सिंह कोर्राम,घनश्याम नेताम,रिखी राम ध्रुव,बालक नेताम,नरेश नेताम, ठाकुर राम नेताम,होमन सिंह कतलाम, गुहलेद मण्डावी, कुलेश्वर प्रसाद, गोपीचंद नेताम, संतोष कुंजाम, गेवा राम नेताम,व्ही एस सिदार,सुखचन्द सोरी,दूज राम मरई, अशोक ध्रुव सहित बड़ी संख्या में समाज प्रमुख गण उपस्थित थे।

Next Story