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मरवाही उपचुनाव : “खुला रहस्य” धर्मजीत सिंह ने सार्वजनिक किया..बोले – “जब भी मरवाही उप चुनाव होगा.. अमित जोगी हमारे प्रत्याशी होंगे”

मरवाही उपचुनाव : “खुला रहस्य” धर्मजीत सिंह ने सार्वजनिक किया..बोले – “जब भी मरवाही उप चुनाव होगा.. अमित जोगी हमारे प्रत्याशी होंगे”
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By NPG News

रायपुर,4 जुलाई 2020। 19 बरसों से अनवरत प्रदेश के शक्तिशाली राजनैतिक कुनबे जोगी परिवार के क़ब्ज़े में रही सीट मरवाही में उप चुनाव को लेकर अभी तारीख़ें तय नहीं है, लेकिन एक ओपन सिक्रेट याने “खुला रहस्य” लोरमी विधायक धर्मजीत सिंह ने सार्वजनिक करते हुए बताया है कि, जब भी मरवाही में उप चुनाव होंगे अमित जोगी ही छजका (जे) के प्रत्याशी होंगे।
प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री रहे अजीत जोगी ने मरवाही में सबसे पहली बार 2001 में उप चुनाव के ज़रिए प्रतिनिधित्व हासिल किया था। अजीत जोगी ने 2003,2008 और फिर अभी 2018 के बीते विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी। 2018 का चुनाव अजीत जोगी ने अपनी नवगठित पार्टी छजका के झंडे तले लड़ा था और जीत दर्ज कर ली थी। हालिया दिनों इस सीट पर उपचुनाव की स्थिति तब तय हो गई जबकि, विलक्षण नेता अजीत जोगी 29 मई को निधन हो गया।
बीते 19 बरस मरवाही से जोगी का क़ब्ज़ा नहीं हटा। 2013 में अजीत जोगी के पुत्र अमित जोगी ने चुनाव लड़ा था और वे जीते थे। उसके बाद एक बार फिर कमान अजीत जोगी ने सम्हाली।
जादुई करिश्माई नेता रहे अजीत जोगी मरवाही के ही जोगीखार के निवासी थे। उनकी मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार के वक्त छजका अध्यक्ष और स्व.अजीत जोगी के पुत्र के शब्दों ने तब ही तय कर दिया था कि, जब भी चुनाव होगा परिदृश्य क्या होगा। तब अमित जोगी ने कहा था –

“ मरवाही स्व. जोगी की जन्मभूमि कर्मभूमि देहभुमि है, मैं तो उनका पुत्र हूँ लेकिन उनकी संतान तो मरवाही की जनता है..जिसके लिए वे प्रतिक्षण समर्पित रहे”

यह कोई संयोग ही बस नहीं था कि, अचानक अमित जोगी ने ट्वीट कर लिखा –

“मेरे पिता अपने साथ मेरा क्रोध भी ले गए.. वे सकारात्मकता मुझमें और बढ़ा गए और मेरी वह नकारात्मकता ले गए..मेरे इस क्रोध की वजह से जिन्हे भी दुख पहुँचा हो, मैं क्षमा माँगता हूँ”

यह छुपा हुआ नहीं है कि, स्वाभाविक रुप से अजीत जोगी की आँखों का तारा रहे अमित जोगी के क्रोधी स्वभाव ने बहुतेरों के बीच अमित के लिए असहज स्थिति बनाई थी। इसलिए यह ट्वीट बहुत मौजूं था।
स्व. अजीत जोगी के मरवाही से रिश्ते बेहद गहरे रहे हैं।इस इलाक़े से उनकी जीत के अंतर वाले आंकडे साबित करते हैं कि भले उनकी जाति को लेकर सियासत होती रही, लेकिन मरवाही के वनांचल में मौजुद वनवासियों के लिए वे सदैव “उनके अपने” रहे।
मरवाही के उप चुनाव को लेकर यह तय है कि यह चुनाव “भावनाओं के महासागरीय तेज उफान मारती लहरों” के साथ होना है। बेहद सरल सहज रेणु जोगी इस लहर की बेहद ताकतवर शै होंगी। स्व. अजीत जोगी की बेहद तिकड़मी और ज़बर्दस्त प्रभावी सियासत से अलग ऐसी राजनीति करने वाली जिसमें कहीं कोई राजनीति की नकारात्मकता नहीं दिखती। एक ऐसी महिला जिनके व्यवहार शालीनता के आगे विरोधी भी नतमस्तक होते हैं। कोई शक नहीं कि,भावनाओं से भरे होने वाले इस उपचुनाव में अपने पति को खोने वाली पत्नी का अपने बेटे के लिए वोट देने का आग्रह करना भावनाओं के महासागर में तेज लहरें पैदा करेगा।
सत्ता में क़ाबिज़ रहने वाली पार्टी के लिए हमेशा उप चुनाव सरल माने जाते हैं.. क्योंकि हर साधन संसाधन मौजुद होता है.. और बहुतेरे ग़लत इसलिए ग़लत नहीं माने जाते क्योंकि वे कहीं दर्ज ही नहीं होते.. पर “भावनाओं के आसमान छूती लहरों” के चुनाव में केवल साधन संसाधन नहीं बल्कि जो चाहिए वो यह कि, बग़ैर भावनाओं को आहत किए जनता को यह भरोसा दिलाया जा सके कि, वे उनके उतने ही इमानदार सेवक साबित होंगे जितने कि जोगी थे.. इस भरोसे को हासिल करने के लिए बहुत सी कवायद करनी होगी… जिसमें किसी अगर मगर किंतु परंतु की कहीं कोई संभावना नहीं है।
भावनाओं के इस सियासी चक्र में जिससे चूक हुई तो शर्तिया वह चुक जाएगा।

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