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Ujjain Mahakal Aarti: महाकाल के भांग श्रृंगार पर विवाद, विद्वत परिषद और पुजारियों के बीच घमासान

Ujjain Mahakal Aarti: महाकालेश्वर मंदिर में बाबा महाकाल के भांग श्रृंगार को लेकर विवाद बढ़ गया है. 18 अगस्त को महाकाल के भांग श्रृंगार के दौरान अचानक श्रृंगार गिर गया, जिसके बाद यह मुद्दा गरमाया. यह घटना सीसीटीवी में रिकॉर्ड हो गई और इसके बाद विद्वत परिषद और मंदिर के पुजारियों के बीच तीखी बहस शुरू हो गई है.

महाकाल के भांग श्रृंगार पर विवाद, विद्वत परिषद और पुजारियों के बीच घमासान
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By Anjali Vaishnav

Ujjain Mahakal Aarti: महाकालेश्वर मंदिर में बाबा महाकाल के भांग श्रृंगार को लेकर विवाद बढ़ गया है. 18 अगस्त को महाकाल के भांग श्रृंगार के दौरान अचानक श्रृंगार गिर गया, जिसके बाद यह मुद्दा गरमाया. यह घटना सीसीटीवी में रिकॉर्ड हो गई और इसके बाद विद्वत परिषद और मंदिर के पुजारियों के बीच तीखी बहस शुरू हो गई है.

विद्वत परिषद का आरोप

उज्जैनी विद्वत परिषद के अध्यक्ष डॉ. मोहन गुप्त ने दावा किया कि शास्त्रों में महाकाल के भांग श्रृंगार का कहीं कोई उल्लेख नहीं है. उन्होंने कहा कि "यह सिर्फ जजमानों को आकर्षित करने का एक तरीका है और इससे शिवलिंग का नुकसान हो रहा है." उनका कहना था कि पहले कभी भी महाकाल का भांग से श्रृंगार नहीं हुआ था.

पुजारियों का विरोध

मंदिर के पुजारियों ने इस आरोप का कड़ा विरोध किया है. श्री महाकालेश्वर मंदिर के प्रमुख पुजारी महेश गुरु ने कहा कि "यह परंपरा सदियों पुरानी है. शिव पुराण में इस बात का उल्लेख है कि जब भगवान शिव ने विष पीया था, तब माता सीता ने उन्हें भांग का लेपन किया था." उनका कहना था कि 1978 से पहले भी यह परंपरा थी और मंदिर में ही निर्धारित भांग ही भगवान महाकाल को अर्पित की जाती है.

मंदिर प्रशासन का स्पष्टीकरण

मंदिर प्रशासन ने इस विवाद के बाद बयान जारी किया कि महाकाल को रोज़ करीब 3 किलो भांग अर्पित की जाती है. इसके अलावा, प्रशासन ने यह भी कहा कि भविष्य में भांग को तौलकर ही पुजारियों को दी जाएगी. प्रशासक कौशिक ने इस कदम को सही ठहराते हुए कहा, "अब भांग का तौल कांटे से किया जाएगा ताकि कोई भी गड़बड़ी न हो."

क्या था श्रृंगार गिरने का कारण?

महाकाल का भांग श्रृंगार 18 अगस्त को गिर गया था जब महाकाल की राजसी सवारी नगर भ्रमण पर निकली. सीसीटीवी फुटेज में यह घटना देखी गई, जिसके बाद पुजारियों ने इसे ठीक किया. ज्योतिषाचार्य पंडित अमर डब्बेवाला ने इसे देवता का संकेत बताते हुए कहा कि आने वाले महीनों में अप्राकृतिक घटनाओं की संभावना हो सकती है.

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